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डिजिटल अरेस्ट, सिम बॉक्स और करोड़ों की ठगी... चंडीगढ़ पुलिस ने किया इंटरनेशनल साइबर सिंडिकेट का भंडाफोड़

चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह में शामिल 10 साइबर ठगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इनका नेटवर्क कंबोडिया, हांगकांग, लाओस और म्यांमार जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से जुड़ा हुआ था.

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चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. (AI Representative Image)
चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. (AI Representative Image)

चंडीगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह में शामिल 10 साइबर ठगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इनका नेटवर्क कंबोडिया, हांगकांग, लाओस और म्यांमार जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से जुड़ा हुआ था. देश की डिजिटल सिक्योरिटी के लिए गंभीर खतरा बन चुका था. ये ठग डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों को जाल में फंसाते थे.

पुलिस जांच में इस गिरोह की मोडस ऑपरेंडी सामने आई है. पूछताछ में पता चला है कि यह गैंग खुद को सीबीआई, ट्राई और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर लोगों को झांसे में लेता था. गिरोह सिम बॉक्स नामक उपकरण का इस्तेमाल करता था, जो इंटरनेट कॉल्स को स्थानीय मोबाइल कॉल्स में बदल देता था. हर सिम बॉक्स से एक दिन में दो लाख से ज्यादा आईवीआर कॉल्स की जा सकती थीं. 

इसके जरिए लोगों को फंसाने के लिए नकली पुलिस स्टेशन का वीडियो कॉल सेटअप दिखाया जाता था. फर्जी केस के नाम पर उनसे पैसे ऐंठ लिए जाते थे. इस केस की जांच तब शुरू हुई जब चंडीगढ़ की एक महिला ने डिजिटल अरेस्ट की शिकायत दर्ज कराई. उसके पति भारतीय सेना में एक दिवंगत ब्रिगेडियर रहे हैं. 11 जुलाई को उनको पहले एक वॉयस कॉल और फिर व्हाट्सएप वीडियो कॉल आई थी. 

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कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी सुनील बताया. उसने डराते हुए कहा कि उसके आधार कार्ड और नाम पर खोला गया एक बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग जांच में फंसा हुआ है. ठगों ने महिला का भरोसा जीतने के लिए भारत सरकार की मुहर वाले फर्जी दस्तावेज और नकली पासबुक भी व्हाट्सएप पर भेजे. इसके बाद कानूनी कार्रवाई के भय से महिला को अपनी पूरी जमा-पूंजी उनको भेज दी.

पीड़िता ने बताया कि उसने एक करोड़ रुपए से ज्यादा रकम अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए थे. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि जिस मोबाइल नंबर से कॉल किया गया था, वह पंजाब के लुधियाना से एक्टिवेट किया गया था. उस नंबर का आईएमईआई करीब 180 सिम एक्टिवेशन से जुड़ा पाया गया, जो इस बात का सबूत है कि दूरसंचार ढांचे का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया था. 

इसके अलावा कई सिम कार्ड उत्तर प्रदेश के मेरठ और हापुड़ से एक्टिव पाए गए. व्हाट्सएप नंबर मिजोरम से एक्टिवेट किया गया था. आरोपियों की उम्र 19 से 35 साल के बीच है. छापेमारी के दौरान उनसे जुड़े बैंक खातों में 36.98 लाख रुपए की रकम जब्त की गई है. पकड़े गए आरोपी लुधियाना और मेरठ से हैं. वे गिरोह का हिस्सा बनकर सीमा पार पैसे भेजने में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे.

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