scorecardresearch
 

मौत के मुंह से ऐसे निकली महिला, ISIS के आतंकियों ने बनाया था बंधक

जरा सोचिए किसी की आंखों के सामने उसी की अपनी दो सहेलियों के सिर कलम किए जा रहे हों और उससे जबरदस्ती वो सब कुछ देखने को कहा जा रहा हो तो उस पर क्या बीतेगी? इतना ही नहीं, फिर उसे ये भी बताया जा रहा है कि ठीक 24 घंटे बाद उसी तरह, उसी जगह पर और ठीक वैसे ही उसकी भी मौत होने वाली है.

Advertisement
X
मौत के मुंह से ऐसे निकली महिला
मौत के मुंह से ऐसे निकली महिला

जरा सोचिए किसी की आंखों के सामने उसी की अपनी दो सहेलियों के सिर कलम किए जा रहे हों और उससे जबरदस्ती वो सब कुछ देखने को कहा जा रहा हो तो उस पर क्या बीतेगी? इतना ही नहीं, फिर उसे ये भी बताया जा रहा है कि ठीक 24 घंटे बाद उसी तरह, उसी जगह पर और ठीक वैसे ही उसकी भी मौत होने वाली है.

लताकिया के टेंपररी रूसी एयरबेस को अचानक खबर मिली कि शहर से ठीक 181 किलोमीटर की दूरी पर एलेप्पो शहर में आईएसआईएस का एक ठिकाना है. जहां ना सिर्फ आईएस के बहुत से आतंकवादी मौजूद हैं बल्कि वहां कई बंधक भी फंसे हुए हैं.

खबर मिलते ही एयरबेस पर हलचल शुरू हो गई. तय ठिकाने को दोबारा चेक किया गया और फिर हमले की तैयारी शुरू कर दी गई. मिशन के लिए रूस के फाइटर जेट्स को चुना गया, पर आतंकवादियों के साथ वहां कई बंधकों के होने की भी खबर थी. ऐसे में हमले के दौरान उनके भी मारे जाने का डर था, पर दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था. जमीन से हमला खतरनाक था और वक्त गंवाते ही आतंकवादियों के ठिकाने बदल देने का खतरा भी. लिहाजा तय हुआ कि हवाई हमला बिना वक्त गंवाए होगा.

Advertisement

रूसी वायु सेना को लताकिया एयरबेस पर सीरिया के एलेप्पो में आईएस के आतंकवादियों के होने की खबर मिली थी. उसी जगह रूसी फाइटर जेट्स को हवाई हमला करना था, मगर वहां आतंकवादियों के साथ-साथ बहुत से बेगुनाह बंधक भी थें और उन्हीं में से एक थीं 30 साल की स्कूल टीचर उम अब्दो.

उम अब्दो अपनी दो सहेलियों के साथ पिछले कई दिनों से आईएस के ठिकाने पर कैद थीं. आईएस ने उम अब्दो को उसकी मौत की तारीख, वक्त और कैसे मौत मिलेगी ये सब बता रखा था. सिर्फ बता ही नहीं रखा था, बल्कि उसकी मौत का मंजर बाकायदा उसे दिखा भी रखा था. तय हिसाब से उम अब्दो की मौत में कुछ ही घंटे बचे थे. खुद उम अब्दो को यकीन हो चला था कि अब उसकी मौत तय है.

मगर तभी हवा में कुछ हलचल हुई. वो हलचल कुछ और नहीं, बल्कि लताकिया एयर बेस से उड़े वही फाइटर जेट्स थे. आइएस के ठिकाने के ठीक ऊपर से अचानक फाइटर बम बरसाते हुए आगे निकल गए. देखते ही देखते जमीन पर कोहराम मच गया. अचानक हुए इस हमले से बेखबर आईएस के बहुत से आंतकवादी मौके पर ही मारे गए. कुछ जो बचे, वो मुकाबले की नाकाम कोशिश करते रहें, वहीं ज्यादातर भाग कर जान बचाने लगे.

Advertisement

इसी अफरातफरी का फायदा उठा कर बहुत से बंधक भी वहां से निकल भागें और उन्हीं में से एक खुशकिस्मत उम अब्दो भी थी, जिसकी मौत कुछ ही घंटे बाद तय थी, मगर रूसी सेना के आसमानी हमले ने ऐन वक्त पर उनकी जान बचा ली.

हवाई हमले के बाद भाग कर उम अब्दो किसी तरह आईएस के कब्जे वाले इलाके से निकल कर महफूज ठिकाने तक पहुंच गईं. इसके बाद जब उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी 24 घंटे की कहानी सुनाई तो उसे सुन कर रूसी और सीरियाई फौजियों के रौंगटे खड़े हो गए.

 

Advertisement
Advertisement