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ऑपरेशन बम बाज़ारः 130 से 500 रुपये तक मिलता है मौत का सामान, ऐसी है बंगाल चुनाव की तैयारी!

फल सब्ज़ियों की तरह कैसे बम बिक रहे हैं. घरों में बैठकर आसानी से कैसे लोग बम के ऑर्डर ले रहे हैं. कैसे कपड़े की दुकान चलाने वाले भी बम की सेल लगाकर बैठे हैं. कैसे जंगलों के अंदर बम की फैक्ट्रियां चल रही हैं. आज बंगाल का ये विस्फोटक खुलासा आपके सामने है.

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पश्चिम बंगाल के कई जिलों में ऐसे बम कारोबारी दुकान लगाए बैठे हैं
पश्चिम बंगाल के कई जिलों में ऐसे बम कारोबारी दुकान लगाए बैठे हैं

अगर हिंसा के कारोबार की बात करें तो देश में अवैध बंदूकों के लिए यूपी, बिहार की कई जगहें बदनाम हैं. लेकिन पूरे देश में बंगाल ही ऐसी जगह है, जहां बम कल्चर दिखता है. आप अक्सर सुनते हैं कि बंगाल में किसी पर देसी बम चला तो किसी पर पेट्रोल बम फेंका गया. वहां पर बम, बारूद से नीचे बात नहीं होती. 

सवाल ये है कि बंगाल में ये बम बारूद आता कहां से है. बंगाल में बम बारूद के डीलर कौन हैं और कितनी आसानी से वहां बम बारूद मिल जाता है. हमारी स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने ज़मीनी पड़ताल की. हमारी टीम पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में गई. वहां पर ऐसे लोगों से मुलाकात की, जो बंगाल के उस बम बाज़ार का हिस्सा हैं, जो हिंसक राजनीति में फल फूल रहा है. 

फल सब्ज़ियों की तरह कैसे बम बिक रहे हैं. घरों में बैठकर आसानी से कैसे लोग बम के ऑर्डर ले रहे हैं. कैसे कपड़े की दुकान चलाने वाले भी बम की सेल लगाकर बैठे हैं. कैसे जंगलों के अंदर बम की फैक्ट्रियां चल रही हैं. आज बंगाल का ये विस्फोटक खुलासा आपके सामने है. हमारे रिपोर्टर ने खोज निकाला कई मौत के सौदागरों को. देखिए क्या कहते हैं बम बाजार के कारोबारी. 

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शाहजहां- आपका ये घर में फेकेगा ना ये घर छत उड़ा देगा.   
रिपोर्टर- अच्छा इतना स्ट्रांग होगा? 
शाहजहां- हां. 

शिवम- माल करना हैं तो अभी से कर लीजिये, इलैक्शन के टाइम में देखिये माल का रेट बढ़ेगा. माल ठीक-ठाक नहीं होगा. 
रिपोर्टर- उस वक़्त और लोगो की भी डिमांड होगी ना?
शिवम- बहुत डिमांड होगा अभी इस साल तो दोनों पार्टी एक दम कड़क-कड़क लड़ रही हैं. दोनों पार्टी का भी माल अभी से चल रहा है. 
रिपोर्टर- आप लोगों के पास ऑर्डर आ गया?
शिवम- हां. 
रिपोर्टर- किसका?
शिवम- हज़ार-हज़ार पीस का.

बंगाल में बम डीलर्स की एक-एक बात ध्यान से सुनिए, क्योंकि इन बातों में बंगाल का वो विस्फोटक सच है, जो आजतक की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम आपके सामने लेकर आई है. 

शाहजहां- जब फटेगा ना बहुत धमाका आवाज़ होगा और बहुत तेज होगा.
रिपोर्टर- ये टोटल कितना पीस हैं?
शाहजहां- 20 बम. 
रिपोर्टर- 20 हैं ना 20 बम.
शाहजहां- हां.

शिवम- ठीक हैं ना, हमलोग टिफ़िन बॉक्स में माल बना कर लैंडमाइन कर दिया. 
रिपोर्टर- कहां?
शिवम- वो मेदिनीपुर में. 
रिपोर्टर- लैंडमाइनिंग मतलब ज़मीन के नीचे डाल दिया.    
शिवम- ज़मीन के नीचे.
रिपोर्टर- किसके लिए?
शिवम- मेदिनीपुर में. 
रिपोर्टर- मतलब इलेक्शन के टाइम?
शिवम- इलेक्शन के टाइम नहीं माओवादी जब काम करता ना लैंडमाइन  फटाता था. कुछ हम भी माल दिया था.

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ये वो लोग हैं, जो बंगाल में खुद बम की चलती फिरती फैक्ट्री हैं. और जिनका बम वाला धंधा बंगाल में कभी मंदा नहीं होता. हमारी टीम नॉर्थ चौबीस परगना में ऐसे ही एक शख्स तक पहुंची. जिसका नाम है शाहजहां.

रिपोर्टर- मैंने ऑर्डर दे दिया तो 100 पीस कितने दीन में मिल जाएगा? 
शाहजहां- चार दिन में. 
रिपोर्टर- चार दिन में. मुझे उसमें बारूद ज्यादा चाहिए. 
शाहजहां- हां बस हो गया ना. बड़ा ज़र्दा वाला डब्बा देखा है? 
रिपोर्टर-आ?
शाहजहां- ज़र्दा वाला डब्बा देखा हैं बड़ा? 
रिपोर्टर- हां.
शाहजहां- इतना बड़ा, कम से कम इतना बड़ा होगा. 
रिपोर्टर- बारूद उसमें ज्यादा भर देना कि ज्यादा फटे. 
शाहजहां- हां आप आइए मंगल को आइए. आपको सैंपल दिखा देते हैं.

100 पीस बम का ऑर्डर सिर्फ 4 दिन में तैयार और बम भी ऐसा कि कोई दीवाली के पटाखे नहीं. जान लेने वाला मकान तक उड़ा देने वाला. 

शाहजहां- आपका ये घर में फेकेगा ना ये घर छत उड़ा देगा.  
रिपोर्टर- अच्छा इतना स्ट्रांग होगा 
शाहजहां- हां. 

नट, बोल्ट, कीलों वाले बम. कितना भी खतरनाक बम चाहिए. वो बनकर मिल जाएगा. कितने भी बम का ऑर्डर दीजिए. वो भी मिल जाएगा. सैंपल देखिए, ऑर्डर दीजिए. बंगाल में इलेक्शन का टाइम है, तो इस वक्त डिमांड भी ज़्यादा है. और रेट भी ज़्यादा है. दूसरी मीटिंग में ही शाहजहां ने बम का प्राइस डबल कर दिया.

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शाहजहां- रेट बढ़ा देता है. 225 रुपया करके लगेगा. 
रिपोर्टर- इलेक्शन के वक़्त? 
शाहजहां- हां.
रिपोर्टर- क्यों?
शाहजहां- उस टाइम माल देता हैं हम लोग रिस्क लेकर. एक नंबर चीज़ हैं दूसरा नंबर चीज़ हैं. उसमें और ज्यादा कुछ देना होगा.

रिस्क तो ये भी समझते हैं. इसलिए उन्हीं से बम के ऑर्डर लेते हैं. जो जान पहचाने वाले होते हैं. शाहजहां का दावा है कि हर पार्टी और नेता उसके पास आते हैं.

रिपोर्टर- आप पार्टी लोगों को देते हो या नेता लोग जान-पहचान वाले किसको देते हो?
शाहजहां- नेता लोग को देते हैं. 
रिपोर्टर- किस पार्टी को ?
शाहजहां- कोई पार्टी हो चाहे सीपीएम बोलो. चाहे कांग्रेस बोलो. चाहे त्रिमूल बोलो. चाहे बीजेपी बोलो. जो पार्टी हो लेकिन जान-पहचान होना चाहिए.

अब इस दूसरे शख्स से मिलिए. दक्षिण 24 परगना में हमारी टीम बम डीलर के पास पहुंची. जिसका नाम शिवम है. जो सिर्फ देसी बम बनाने में ही नहीं बंदूक और लैंडमाइन तक सप्लाई करने के दावे करता है. 

रिपोर्टर-  किसी भी पार्टी से हो आप बम सप्लाइ करते हो या फिर एक ही पार्टी को करते हैं? 
शिवम- नहीं-नहीं, ऐसा बात नहीं हैं. हम आदमी जनता है पार्टी नहीं जनता.  
रिपोर्टर- अच्छा. 
शिवम- मेरा दोस्त है ठीक है चलो. पार्टी नहीं जनता पार्टी वो समझ ले, क्या?  
रिपोर्टर- हूं. 
शिवम- मैं बिजनेसमैन हूं. 
रिपोर्टर- हूं बिलकुल. 
शिवम- ठीक है ना, हमलोग टिफ़िन बॉक्स में माल बना कर लैंडमाइन कर दिया. 
रिपोर्टर- कहां?
शिवम- वो मेदिनीपुर में. 
रिपोर्टर- लैंड माइन मतलब ज़मीन के नीचे डाल दिया.    
शिवम- ज़मीन के नीचे.
रिपोर्टर- किसके लिए? 
शिवम- मेदिनीपुर में. 
रिपोर्टर- मतलब इलेक्शन के टाइम?
शिवम- इलेक्शन के टाइम नहीं. माओवादी जब काम करता ना लैंडमाइन फटाता था. कुछ हम भी माल दिया था. 

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शिवम नाम के शख्स ने एक बम का रेट 130 रुपये लगाया. और ये भी दावा किया कि पुलिस को सब पता होता है. इलेक्शन के टाइम पर उसके पास हज़ार पीस का ऑर्डर भी आ चुका है.

रिपोर्टर- पुलिस को पैसा देना होता है?
शिवम- हूं. 
रिपोर्टर- उसको पता होता है कि यहां बम का फैक्ट्री चल रहा है. 
शिवम- हूं सब जानता है. 

शिवम- माल करना हैं तो अभी से कर लीजिए. इलेक्शन के टाइम में देखिये माल का रेट बढ़ेगा. माल ठीक-ठाक नहीं होगा. 
रिपोर्टर- उस वक़्त और लोगो की भी डिमांड होगी ना?
शिवम- बहुत डिमांड होगा. अभी इस साल तो दोनों पार्टी एक दम कड़क-कड़क लड़ रहा है. दोनों पार्टी का भी माल अभी से चल रहा है. 
रिपोर्टर- आप लोगों के पास ऑर्डर आ गया?
शिवम- हां. 
रिपोर्टर- किसका?
शिवम- हज़ार-हज़ार पीस. 
रिपोर्टर- किसका?
शिवम- हज़ार-हज़ार पीस. सभी का ही. हम काम करने वाला कोई मेरा ये नहीं है. 
रिपोर्टर- हज़ार-हज़ार पीस पार्टी के तरफ से आ गया, कैंडिडेट की तरफ से या पार्टी की तरफ से?
शिवम- कैंडिडेट पैसा देता है. कैंडिडेट थोड़े ही आएगा. पैसा देता है वो. 

बंगाल के इस बम बाज़ार की सीक्रेट इंवेस्टिगेशन में हम बर्दमान जिले में पहुंचे. जहां हमें शफीक नाम का शख्स मिला. इसने बम के अंदर बारूद के हिसाब से हमारी टीम को रेट बताया.

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रिपोर्टर- एक बम का कितना पैसा पड़ेगा?
शफ़ीक- एक बम का आपका पैसा जितना माल देगा, उतना दाम पड़ेगा. एक माल का आप रखिए 500, 400, 300 जितना माल देगा उसका दाम. 
रिपोर्टर-  हमको अच्छा वाला चाहिए होगा तो कितना?
शफ़ीक- वो तो 500 का.  
रिपोर्टर- 500?
शफ़ीक- 100 ग्राम माल देगा तो 500 रुपया लगेगा.  
रिपोर्टर- 100 ग्राम बारूद होगा तो कितना पॉवरफुल होगा?
शफ़ीक- विराट पॉवरफुल होगा. फाड़ देगा माटी का ये दलान. घर को फाड़ देगा.   
रिपोर्टर- दलान घर फाड़ देगा? 
शफ़ीक- फाड़ देगा. 
रिपोर्टर- मतलब घर फाड़ देगा? 
शफ़ीक- फाड़ देगा वो. 
रिपोर्टर- और आदमी पर फेंके तो?
शफ़ीक- वो मर जाएगा.
रिपोर्टर- क्या बात कर रहे हैं? 
शफ़ीक- आदमी को फेंकेगा. आपके यहां निकाल दिया आप मर जाएगा.

इनके पास पहले से ही तैयार बम रखे होते हैं. बस इन्हें ऑर्डर का इंतज़ार होता है. शफीक ने हमारी टीम के सामने तो हज़ार रुपये में ग्रेनेड तक सप्लाई करने के दावे किए. 

रिपोर्टर- कितना रखा हुआ है बना कर?
शफ़ीक- वो बात नहीं सुनना चाहिए 600 होगा 700 भी होगा. 
रिपोर्टर- 600-700 रखे हुए हैं?
शफ़ीक- हां रखेंगे. 
रिपोर्टर- बना कर अभी रखे हुए हैं?
शफ़ीक- अभी रखा हुआ है. 

रिपोर्टर- ये कौन सा होता है, पेट्रोल बम होता या फिर वो?
शफ़ीक- पेट्रोल.

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शफ़ीक- एक माल है लीजिये हज़ार रुपया का. ऐसे निकलेगा थोड़ा सा ऐसे कर दीजिएगा फट जाएगा. करेंट हैं करेंट सिस्टम हैं अंदर.     
रिपोर्टर- अच्छा. 
शफ़ीक- उसको ग्रानेट बोलता है.
शफ़ीक- सैंपल चाहिए, शाम को मिल जाएगा.

यानी बम, बंदूक, लैंडमाइन बारूद और ग्रैनेड तक सबकी बंगाल के इस बम बाज़ार में सीक्रेट सेल लगी है. ऐसे में राजनैतिक हिंसा वाला कल्चर आखिर खत्म भी कैसे होगा?

 

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