भारतीय फौज के जांबाज़ कमांडो ने अभी तो बस ज़रा सा ट्रेलर ही दिखाया था कि पाकिस्तान में बैठे भारत के दुश्मनों के पसीने छूट गए. उन्हें अपनी मौत का खौफ इस कदर डराने लगा कि हमले के कुछ ही घंटे बाद सारे के सारे अपने घरों से निकल कर बिलों में जा छुपे हैं. सिर्फ इस डर से कि कहीं कि अब भारतीय फौज उनके घरों में घुस कर उन्हें ना मार दें. पाकिस्तान से आ रही खबरों के मुताबिक भारत के तीन सबसे बड़े दुश्मन लश्कर का चीफ हाफिज सईद, जैश का मुखिया मसूद अजहर और 93 मुंबई सीरियल ब्लास्ट का गुनहगार दाऊद इब्राहिम खुफिया ठिकानों पर जा छुपे हैं.
पीओके में भारतीय कमांडो के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी मीडिया में गुरुवार दिन भर हाफिज सईद और मसूद अजहर की सुरक्षा को लेकर कई चैनलों पर चर्चा तक हुई. चूंकि पाकिस्तान शुरू से दाऊद की पाकिस्तान में मौजूदगी को नकारता रहा है इसलिए दाऊद के बारे में कोई बात नहीं हुई. ये बात समझी जा सकती है. लेकिन अब जैसे ही पीओके में घुस कर भारतीय कमांडो ने सईद और मसूद अजहर एंड कंपनी के आतंकवादियों को चुन चुन कर मारा उसके बाद से सईद और मसूद अजहर दोनों को ओसामा याद आ गया. ओसामा को अमेरिका के सील कमांडो ने ऐसे ही एक ऑपरेशन में एबटाबाद में उसके घर में घुस कर मारा था.
घनी आबादी की तरफ भागे गुनहगार
लिहाजा इसी डर से हाफिज सईद और मसूद अजहर ने बुधवार को सर्जिकल स्ट्राइक की खबर मिलते ही अपने-अपने अड्डे बदल दिए. सूत्रों के मुताबिक अब दोनों अपने-अपने मदरसों और संगठन के हेडक्वार्टर से दूर कुछ
चुनिंदा गुर्गों के साथ घनी आबादी के बीच रहने चले गए हैं. इसके पीछे उनकी सोच ये है कि घनी आबादी के बीच रहना ज्यादा महफूज है. क्योंकि ऐसी जगहों पर कोई बड़ा ऑपरेशन करने का जोखिम नहीं लेता. पीओके
में घुस कर भारतीय फौज ने टेरर कैंप में छुपे आतंकवादियों को मार क्या गिराया वहां के टेरर कैंप ही उजड़ गए. खबर है कि एलओसी के करीब अधिकृत कश्मीर में चल रहे कम से कम 16 से 17 टेरर कैंप अफीन
जगह से दूर बस्तियों के बीच शिफ्ट कर दिए गए हैं. इतना ही नहीं हाफिज सईद और मसूद अजहर भी अपनी जान बचाने के लिए घनी बस्तियों में लोगों के बीच जा छुपे हैं. जबकि दाऊद इब्राहीम को पाक आर्मी के
अफसरों के रिहाइशी इलाके में शिफ्ट कर दिया गया है.
बिहार और डोगरा रेजिमेंट के जवानों ने लिया बदला
भारतीय फौज के सर्जिकल स्ट्राइक के तरीके से पाकिस्तान में बैठे भारत के दुश्मन डर गए हैं. दरअसल उरी हमले की टीस वैसे तो हर हिंदुस्तानी के दिल में थी. लेकिन वो बिहार और डोगरा रेजिमेंट के जवान थे जिन्हें
इस दर्द का अहसास सबसे ज़्यादा था. क्योंकि उस हमले में इन्हीं रेजीमेंट के जवान आतंकियों का निशाना बने थे. ऐसे में हिंदुस्तानी फौज ने जब पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया तो इन दो रेजीमेंट के जवानों
ने ही चुन-चुन कर अपने साथियों का बदला ले लिया. घातक नाम के कमांडोज़ उतने ही जीदार हैं बस यूं समझ लीजिए कि हिंदुस्तान फौज के ये कमांडोज़ जिस तरफ़ चल पड़ते हैं, दुश्मनों के छक्के छूट जाते हैं. पीओके
के सर्जिकल स्ट्राइक में हिंदुस्तानी फ़ौज की दूसरी इकाइयों को जब इन्हीं घातक कमांडोज़ का साथ मिला, तो ऐसा कोहराम मचा कि दुश्मनों में भेगदड़ मच गई.