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मुर्दों को भी लूट रहे, क्‍या आप इन्‍हें इंसान कहेंगे?

आसमानी आफत की कहानियां तो आप लगातार सुन और देख रहे हैं. उत्तराखंड के दामन में फैली दर्द और बेचारगी की तस्वीरें भी लगातार आपकी आंखों के सामने से गुजर रही हैं. लेकिन कुछ तस्वीरें और कहानियां ऐसी भी हैं जिन्‍हें सुनने और देखने के बाद आप एक साथ शर्म और गुस्सा दोनों को महसूस करेंगे.

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आसमानी आफत की कहानियां तो आप लगातार सुन और देख रहे हैं. उत्तराखंड के दामन में फैली दर्द और बेचारगी की तस्वीरें भी लगातार आपकी आंखों के सामने से गुजर रही हैं. लेकिन कुछ तस्वीरें और कहानियां ऐसी भी हैं जिन्‍हें सुनने और देखने के बाद आप एक साथ शर्म और गुस्सा दोनों को महसूस करेंगे. जरा सोचिए, लाशों के ढेर के बीच लालची इंसान, इंसानों को ही नोचने-खसोटने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे? रौंगटे खड़े कर देने वाली ये कहानी है लाशों के लुटेरों की.

एक तरफ कुदरत का कहर, हर तरफ मातमी चीख-पुकार. लाशों के ढेर के बीच अपनों को तलाशते निढाल लोग. जिंदा रहने के लिए जद्दोजहद करती जिंदगी. मदद के लिए गिड़गिड़ाती औरतें, बच्चे और बूढ़े. और दूसरी तरफ घने जंगल, पथरीले पहाड़ और उन पथरीले पहाड़ों में घूमते इंसान के भेष में जानवर. यकीन नहीं होता कि ऐसे माहौल में भी कोई इंसान इंसान को नोच खाएगा. पर अफसोस ये वो सच है जो अब छन-छनकर उत्तराखंड की पहाड़ियों से बाहर आ रहा है.

जिस वक्त आसमानी आफत से लोग जिंदगी बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे, जिस वक्त बहुत से लोग आखिरी सांसें गिन रहे थे, और जिस वक्त बहुत से लोगों की आखिरी सांसें भी टूट चुकी थीं, तब ठीक उसी वक्त कुछ लोग ऐसे भी थे जो मुर्दों के बदन से जेवर नोच रहे थे, उनकी जेबों से बटुआ निकाल रहे थे और जो औरतें, लड़कियां जिंदा बच कर रास्ता भटक गई थीं उनके साथ जोर-जबरदस्‍ती कर रहे थे.

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चार धाम की यात्रा पर गए देवभूमि से जिंदा बचकर लौटे लोगों की आपबीती थरथरा देने वाली है. इन लोगों के मुताबिक केदारनाथ, बद्रीनाथ और गौरीकुंड के करीब नेपालियों का एक जत्था पूरे दो दिनों तक लूटपाट करता रहा. केदारनाथ की पहाड़ियों से बसों में सवार होकर न्यू टिहरी पहुंचे कुछ लोगों को वहां पहले से तैनात उत्तराखंड पुलिस ने बस से उतारा और अपनी हिरासत में ले लिया. इसके बाद इनकी जामा तलाशी ली गई.

इन लोगों के पास से पुलिस को काफी कैश मिले. पूछताछ हुई तो ये लोग सही-सही जवाब नहीं दे सके कि इनके पास इतने सारे पैसे कहां से आए? पुलिस को शक है कि य़े पैसे लूटपाट के ही हैं. जो यात्रा में फंसे यात्रियों से लूटे गए हैं. पुलिस को शक है कि इनमें से कुछ नेपालियों ने महिलाओं और औरतों के साथ जोर-जबरदस्ती भी की थी. लिहाजा इन्हें हिरासत में लेने के बाद बाकायदा लाउडस्पीकर पर जगह-जगह घोषणा की जा रही थी कि अगर किसी के साथ जोर-जबरदस्ती की गई है तो वो आकर इन लोगों में से आरोपी की शिनाख्त करें.

इतना ही नहीं केदारनाथ और बद्रीनाथ से लौट रहे कई बाबा और पुजारियों को भी जगह-जगह पुलिस ने हिरासत में लिया है. इनकी तालशी में उनके पास से लाखों रुपये मिले हैं. एक साधु के पास से तो पुलिस को करीब एक करोड़ रुपये मिला है. ये पैसे उसने ढोलक में छुपा रखे थे. पुलिस को शक है कि ये रुपये भी लूटपाट के हैं या फिर मुर्दों की जेबों से निकाले गए हैं. या ये भी मुम्किन है कि ये रुपये मंदिर के खजाने के हों.

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एक तरफ लाशों की ढेर और दूसरी तरफ जीने की जद्दोजहद और इन सबके बीच लाशों से कफन और जिंदा लोगों से जिंदगी लूटते कुछ लोग. उत्तराखंड के पहाड़ों पर इंसान के भेष में घूम रहे इन शैतानों को देखकर सचमुच का शैतान भी शर्मसार हो जाता. पर क्या करें इन इंसानों का? जिन्हें इंसान कहते भी शर्म आती है.

एक तरफ कुदरत का कहर और दूसरी तरफ इंसानों का. उत्तराखंड में आई तबाही के बाद अगर हजारों इंसानों ने सैलाब में फंसे लोगों की तरफ़ मदद का हाथ बढ़ाया, तो ऐसे लोग भी कम नहीं थे, जिन्होंने मौका मिलते ही इंसान और इंसानियत दोनों को मटियामेट कर दिया. सैलाब में अपना सबकुछ गंवाने के बाद जिन लोगों को जान के लाले पड़े थे, लुटेरों ने वादियों में ऐसे लोगों को भी नहीं बख्शा.

ये तो रही जिंदा लोगों से हुई ज्‍यादती की बात. पुलिस की मानें तो इस इलाके में मौत के मुंह में समा चुके लोगों के जिस्म से भी सोने-चांदी के ज़ेवर लूटे जाने की खबरें सामने आई हैं. पुलिस के हत्थे कुछ ऐसे लोग भी चढ़े, जिनके पास से 83 लाख रुपये बरामद हुए. और बाद में पूछताछ के दौरान इन्होंने माना कि ये रुपये उन्होंने सैलाब के शिकार लोगों से लूटे और लाशों से बटोरे थे. यकीनन ये वाकये किसी भी इंसान को अंदर से झकोझोरनेवाले हैं.

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इंसानियत को शर्मसार करनेवाला ऐसा ही एक वाकया मध्यप्रदेश के छत्तरपुर से आए लोगों के साथ हुआ. छत्तरपुर के एक गांव से कुल 66 लोग केदरनाथ के दर्शन के लिए आए थे. लेकिन सैलाब के बाद सिर्फ 8 ही लोग बचे. बाकि 58 लोग कहां गए, किसी को नहीं पता. लेकिन इन 8 लोगों के साथ वहां जो कुछ हुआ, उस पर यकीन करना भी मुश्किल है. जान बचाने के लिए पहाड़ों पर चढ़े इन लोगों के साथ नेपाली लोगों ने लूटपाट और मारपीट की. घर के रास्ते हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर इन्होंने खुद पर गुजरी जो कहानी सुनाई वो हैरान करनेवाली थी.

वैसे पहाड़ों पर बादल फटने के बाद जो कहर बरपा, उसका असर कई तरह से इंसानों पर हुआ. केदारघाटी में आए सैलाब में स्टेट बैंक का ट्रेजरी रूम भी बह गया और साथ ही बह गए 5 करोड़ रुपये. लेकिन हद तो तब हो गई, जब जान बचाने को सुनसान बियाबान में इधर-उधर भाग रही महिलाओं के साथ भी बदमाशों ने ज्‍यादती करने से गुरेज नहीं किया. कई महिलाओं के अकेलेपन और उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर बदमाशों ने उनके साथ बलात्कार जैसी घिनौनी वारदात तक को अंजाम दिया.

कहते हैं किसी की मजबूरी का फायदा उठाना ठीक नहीं, लेकिन जरा सोचिए उत्तराखंड के सैलाब में फंसे उन लोगों की जिन्हें जिंदा रहने के लिए 5 रुपये का बिस्किट एक हजार रुपये में और 10 रुपये की पानी की बोतल दो हजार रुपये में खरीदनी पड़ी. कहने को तो इन्हें बेचनेवाले दुकानदार थे, धंधा कर रहे थे. लेकिन हकीकत में ये भी थे लाशों के लुटेरे.

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उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि फंसे हुए लोगों को 2 हजार रुपये मिलेंगे.
लेकिन मुख्यमंत्री जी, जरा ये भी तो जान लीजिए कि आपके इस दो हजार रुपये से फंसे हुए लोगों को मिलेगा क्या.

उत्तराखंड में आसमानी आफत में फंसे लोग जब दाने-दाने को मोहताज थे तो उस समय कई जगहों पर लूट मची थी. लूट ऐसी जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे. गोचर में मौत के मुंह से वापस लौटे कुछ लोगों ने जो देखा और महसूस किया उसे सुनकर आप चौंक भी जाएंगे और घबरा भी जाएंगे.

रास्ते में फंसे लोगों की माने तो हर छोटी चीज के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ती थी. आरोप है कि मदद के नाम पर चल रहा था महालूट का खेल. लोग भूख-प्यास से बेहाल थे. मरता क्या ना करता.

उत्तराखंड में त्रासदी के बाद जो हालात बने हैं वो रुह कंपा देने वाले हैं. सरकार भले ही युद्धस्तर पर राहत का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, वो त्रासदी का शिकार हुए लोग बयां कर रहे हैं.

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