आसाराम की सबसे बड़ी राजदार, आसाराम के लिए लड़कियों को समपर्ण कराने वाली सबसे बड़ी हथियार, शिल्पी आखिर महीने भर की लुका-छुपी के बाद खुद ही सामने आ गई और अदालत के सामने समर्पण कर दिया. अब जाहिर है शिल्पी के समर्पण के साथ ही आसाराम के सामने समपर्ण करने वाली तमाम लड़कियों का सच एक-एक कर बाहर आना शुरू हो जाएगा. यानी यह तय है कि आने वाले दिन आसाराम के लिए और भी मुसीबत भरे हैं.
आसाराम को जेल हुई और शिल्पी उससे पहले ही फरार हुई. शिल्पी की तलाश में पुलिस बेहद शिद्दत के साथ जुट गई लेकिन शिल्पी किस बिल में जाकर छुप गई पुलिस भी इसका पता नहीं लगा पाई लेकिन अब महीने भर बाद शिल्पी खुद हाजिर हुई और जोधपुर की जिला अदालत में सरेंडर कर दिया. हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत खारिज होने के 10 मिनट के भीतर ही शिल्पी ने कोर्ट में सरेंडर कर दियाः
दोपहर साढ़े तीन बजे शिल्पी की हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज हुई थी और 3 बजकर 40 मिनट पर शिल्पी ने अपने आपको पुलिस के हवाले कर दिया. 18 सितंबर को शिल्पी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी जबकि उससे पहले सेशन कोर्ट से शिल्पी की जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी.
आसाराम पर जिस दिन से यौन शौषण के आरोप लगे हैं, हर रोज कोई ना कोई बड़ा खुलासा हो रहा है. आस्था का सफेद चोला ओढ़ने वाले आसाराम को कलंक का कीचड़ हर रोज और ज़्यादा काला कर रहा है. अब पुलिस के गिरफ्त में हर वो शख्स आ चुका है जो बाबा के चौबीसों घंटे इर्द गिर्द रहता था. पहले सेवादार शिवा, फिर रसोइया प्रकाश और छिंदवाड़ा आश्रम का डायरेक्टर शरत चंद्र और अब आसाराम की करीबी शिल्पी भी पुलिस की गिरफ्त में है.
जाहिर है अब आसाराम के केस की कड़ियां फिर से जुड़ेंगी. आसाराम के इर्द गिर्द साए की तरह रहनेवालों का आमना-सामना होगा. फिर राज भी बड़े खुलेंगे. यानी आसाराम की मुसीबतों का नया काउंटडाउन अब शुरू हुआ है. आसाराम 1 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं. पुलिस चार्जशीट तैयार करने में जुटी है. अब आसाराम बचेंगे या फिर जेल में जाएंगे, सबकी नजर इसी पर है.
अगर पीड़ित लड़की का आरोप सही है और जोधपुर पुलिस की तफ्तीश सच तो यकीन मानिए शिल्पी ही वो लड़की है जो आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली लड़कियों को आसाराम के सामने समर्पण करने के लिए तैयार करती थी. बकौल जोधपुर पुलिस आसाराम ने शिल्पी को अपने गुरुकल का वार्डन ही इसी मकसद से बनाया था.
शिल्पी का पहले फरार होना, फिर लोअर कोर्ट में जमानत की अर्जी देना और तब अर्ज़ी खारिज होने पर हाई कोर्ट के दरवाज़े पर दस्तक देना काफी कुछ कहता है. आख़िर क्या वजह है कि शिल्पी अब तक उस मामले में पुलिस और क़ानून का सामना करने से बच रही थी, जिस मामले में उलझ कर खुद उसके गुरु आसाराम बड़े घर पहुंच गए.
पुलिस की मानें तो शिल्पी ही वो लड़की है, जिसने ना सिर्फ इस लड़की को आसाराम के सामने पेश करने की पूरी ज़मीन तैयार की थी, बल्कि और भी लड़कियों का आसाराम के सामने समर्पण के लिए तैयार किया था और आसाराम ने शिल्पी को सिर्फ इसी इरादे से हरिद्वार के आश्रम से निकाल कर छिंदवाड़ा के अपने गुरुकुल में वार्डन बना कर भेजा था. शिल्पी गई, उसने लड़की से बात भी की लेकिन जब लड़की आसाराम के सामने जाने को तैयार नहीं हुई तो उसने लड़की को आसाराम के सामने पेश करने के लिए नई कहानी तैयार कर ली.
पुलिस के मुताबिक ये कहानी थी भूत प्रेत और बीमारी की. दरअसल, ये शिल्पी ही थी जिसने लड़की पर भूत प्रेत का साया होने की बात कह कर उसे आसाराम से अकेले मिलवाने का प्लान तैयार किया और लड़की पीछे हटने लगी तो लड़की के मां-बाप को ही झांसे में ले लिया. चूंकि लड़की के मां-बाप पहले ही आसाराम के भक्त थे, वो इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सके और इस एक हामी ने पूरे परिवार की ज़िंदगी बदल ली. लेकिन पुलिस की मानें तो शिल्पी की ये पहली और इकलौती करतूत नहीं है, बल्कि शिल्पी ने इस लड़की के अलावा भी कई लड़कियों को इसी तरह बाबा के पास पेश करने के लिए ताना-बाना बुना है.
इतना ही नहीं वो आसाराम की तथाकथित बीमारी, नशे की आदत और दूसरे सही-गलत धंधों से भी पर्दा हो हटा सकती है और अब देर से ही सही, शिल्पी पुलिस और क़ानून के पास पहुंच चुकी है. ऐसे में देखना ये है आख़िर पुलिस शिल्पी से उसके गुरु के कितने और कैसे काले राज उगलवा पाती है.
संचिता गुप्ता उर्फ़ शिल्पी कुछ साल पहले तक एक मामूली लड़की थी लेकिन वो आसाराम के संपर्क में क्या आई देखते ही देखते उसने फर्श से अर्श तक का सफ़र पूरा कर लिया लेकिन अब तकदीर का पहिया एक बार फिर से घूमा है और बाबा के साथ अब शिल्पी के सितारे भी गर्दिश में हैं.
वैसे तो शिल्पी आसाराम के छिदवाड़ा आश्रम के स्कूल के गर्ल्स हॉस्टर की वार्डन थी लेकिन कहा जाता है कि आसाराम के सांसारिक आनंद की वो सूत्रधार थी. एक ऐसी सहेली जो बाबा आसाराम की कुंठाओं की कहानियों की साझीदार थी, जो आसाराम की गिरफ्तारी के बाद से न जाने कहां गायब हो गई थी.
संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी, जो आसाराम के लिए न सिर्फ लड़कियों को फंसाती थी बल्कि उन्हें इस बात के लिए भी बहलाती-फुसलाती थी कि वो आसाराम के सामने खुद को समर्पित कर दें. आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की को भी शिल्पी ने ही सबसे पहले बहकाया और भरमाया था.
शिल्पी ने ही आसाराम पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली बच्ची के दिमाग में बीमारी का नासूर भरा था. आसाराम की साधिका, सहेली और साझीदार, उसी ने बच्ची के मन में ठूंस-ठूंस कर ये समझाया था कि तुम्हारी दिमागी हालत ठीक नहीं है और इस बीमारी का उपचार सिर्फ आसाराम के पास है.
जैसे ही इस पूरे मामले का खुलासा हुआ और आसाराम जेल गए वैसे ही उनकी दोस्त, उनके कई गुनाहों का सच जानने वाली राजदार शिल्पी अचानक अदृश्य हो गई थी जबकि जोधपुर पुलिस ने आसाराम से पहले शिल्पी के लिए वारंट निकाला था. उसे 29 अगस्त तक पेशी की मोहलत दी गई थी लेकिन पुलिस आसाराम के ध्यान में ऐसी मगन हुई कि शिल्पी कबूतर की तरह फुर्र हो गई थी और अब जब वो पुलिस के हाथ लगी है तो जाहिर है कई और हैरान करने वाले राज खुलेंगे.
पहले निजी सेवादार शिवा, फिर छिंदवाडा आश्रम का डायरेक्टर शरत चंद, उसके बाद रसोइया प्रकाश और अब सबसे अहम मोहरा शिल्पी. ये सब सिर्फ नाम नहीं हैं बल्कि हकीकत में ये सब आसाराम की मुसीबत हैं क्योंकि यही वो राजदार हैं जो जैसे-जैसे राज उगलेंगे आसाराम की जेल यात्रा लंबी होती जाएगी.
आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने कहा था कि पीड़ित लड़की मानसिक रूप से बीमार थी लेकिन पुलिस को दिये बयान में उनके छिंदवाड़ा गुरुकुल के डायरेक्टर शरत चंद्र ने कहा है कि
पीड़िता को कोई बीमारी नहीं थी. वो लड़की आश्रम की वार्डन शिल्पी के संपर्क में थी और वही जानती है कि क्या बीमारी थी. आसाराम के अहमदाबाद आश्रम से निर्देश मिलने के बाद ही उन्होंने शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता को नौकरी पर रखा था.
शरतचंद के बयानों की पुष्टि और इससे जुड़े सुबूतों को इकट्ठा करने के लिए जोधपुर पुलिस शरतचंद को लेकर छिंदवाड़ा गुरुकुल पहुंची. दूसरी तरफ आसाराम के रसोइया प्रकाश ने भी पूछताछ में खुलासा किया कि
आसाराम का मोबाइल फोन मैं ही रखता था. पीडिता को जोधपुर मड़ई कुटिया में लाने के लिए शिल्पी, शरत चंद्र और शिवा का फोन आया था. खुद आसाराम को पहले से पता था कि पीड़िता मड़ई कुटिया में आने वाली है और इसके लिए इंतजाम के आदेश भी दे दिए गए थे. आसाराम किसी लड़की या महिला को छूते थे तो कोई विरोध नहीं करता था बल्कि सारी लड़कियां समर्पण के लिए ही आती थीं.