महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट केस में आए नए ट्विस्ट ने लोगों को हैरान कर दिया है. इस मामले की तफ्तीश में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. पता चला है कि उस रात एक्सीडेंट से पहले नाबालिग आरोपी ने सिर्फ एक पब में चंद पेग शराब के लिए तकरीबन 69 हजार रुपए उड़ा दिए थे. पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता को गिरफ्तार तो कर लिया है, लेकिन उसका मोबाइल फोन रहस्यमयी तरीके से गायब है.
जुर्म की दुनिया में एक कहावत है. वो ये कि हर जुर्म की आहट पहले ही सुनाई देती है. जरूरत है उस आहट को सुनने और जुर्म को रोकने की. लेकिन पुणे के पोर्श कार एक्सीडेंट के मामले में ना सिर्फ नाबालिग रईसज़ादे के घरवालों ने, बल्कि बार मालिकों से लेकर ट्रैफिक डिपार्टमेंट और दूसरी एजेंसियों तक ने ना सिर्फ उस आहट को अनसुना कर दिया, बल्कि खुद ही जुर्म की जमीन तैयार कर दी. इससे दो लोगों की जान चली गई.
क्या आप यकीन करेंगे कि अपनी पोर्श कार से नौजवान लड़का-लड़की की जोड़ी को कुचल कर मारने वाले नाबालिग लड़के को उसके पिता ने उसके नाबालिग होने के बावजूद ना सिर्फ करीब 3 करोड़ के कार की चाबी थमा दी, बल्कि एक ही रात में मौज मस्ती के लिए इतने पैसे दिए कि करोड़ों हिंदुस्तानी जितने पैसे महीने भर की मेहनत के बाद भी नहीं कमा पाते. पुणे पुलिस की छानबीन में पता चला है कि एक्सिडेंट से पहले नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ना सिर्फ दो पबों में जाकर जम कर शराब पी, बल्कि एक पब में महज 90 मिनट तक ड्रिंक्स लेने के बाद उसने 48 हजार रुपए का बिल चुका डाला.
आरोपी एक रात में गटक गया 69 हजार रुपए की शराब
पुलिस के मुताबिक शनिवार की रात को आरोपी पहले अपने दोस्तों के साथ कोज़ी पब में गया था. वहां जब रात 12 बजे के बाद ड्रिंक्स सर्व करना बंद कर दिया गया, तो दोस्तों के साथ ब्लाक मैरिएट पब के लिए रवाना हो गया और जाने से पहले उसने पब में 48 हजार रुपए का बिल दिया. फिर मैरिएट पब में भी 21 हजार की शराब गटक गया. पुणे के नाबालिक आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे बुधवार को सेशंस कोर्ट में पेश किया, जहां उसे दो दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.
आरोपी के पिता का मोबाइल फोन रहस्यमय ढंग से गायब
अपने नाबालिग बेटे को कार की चाबी देने के जुर्म में बिल्डर विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. तफ्तीश में साफ हुआ है कि अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद विशाल ने पुलिस को ना सिर्फ गुमराह करने की कोशिश की, बल्कि घर से भाग गया. लेकिन उसे संभाजी नगर के एक लॉज से पकड़ लिया गया. उधर, पुलिस ने विशाल अग्रवाल को दो दिनों की रिमांड पर तो ले लिया है, लेकिन अजीब बात ये है कि उनका मोबाइल फोन रहस्यमय ढंग गायब है.

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी को रिमांड होम में भेजा
विशाल अग्रवाल का मोबाइल फोन अब तक पुणे पुलिस को नहीं मिला है. वहीं उसके नाबालिग बेटे को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पेश किया गया है. जहां बोर्ड ने उसकी जमानत रद्द करने के साथ-साथ उसे रिमांड होम भेजने का हुक्म दिया. पुलिस ने उसे बालिग मान कर मुकदमा चलाने की मांग की थी, लेकिन बोर्ड ने कहा कि इस पर फैसला इनवेस्टिगेशन के नतीजों के बाद लिया जाएगा. पुलिस ने नाबालिग को शराब परोसने के जुर्म में दोनों बार को सील कर दिया है.
पुणे नगर निगम ने दो अवैध बारों पर चलाया बुल्डोजर
पुणे नगर निगम ने वैसे बारों को नोटिस थमा दिया है, जो नाजायज कब्जे वाली जमीन पर बने हैं. दो बार को तो बुल्डोज़र से ज़मींदोज़ कर दिया गया है. लेकिन ये सारी कार्रवाई देख कर लोगों का यही कहना है कि काश ये सारी सख्ती पहले होती, तो शायद दो बेगुनाह नौजवानों को अपनी जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता. उनके परिजनों को अब पूरे जीवन उनके लिए तड़पना होगा. दोनों इंजीनियर थे. नौकरी कर रहे थे. परिवार के लिए सहारा थे.
नाबालिग आरोपी को थाने में मिला वीआईपी ट्रीटमेंट
सबसे हैरानी की बात ये है कि हादसे के बाद नाबालिग आरोपी की हुई मेडिकल जांच की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. इसलिए सवाल ये जस का तस है कि उसने शराब पी थी या नहीं और पी थी तो कितनी पी थी? केस की मजबूती इस बात पर डिपेंड करती है. सवाल है इस देरी की वजह क्या है? अब तक की खबरों के मुताबिक नाबालिग आरोपी को थाने में वीआईपी ट्रीटमेंट देने की बात भी सामने आई है. हादसे के बाद रात को उसे थाने में पिज्जा और सैंडविच सर्व किया गया था इसके अलावा उसे यरवडा थाने के सीनियर पीआई के कमरे में कुर्सी पर बिठाया गया, जहां एससी लगा है. पुलिस ने पूरी खातिरदारी की थी.

स्पोर्ट्स कार पोर्श से नाबालिग ने दो इंजीनियरों को रौंदा
बताते चलें कि हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की सुबह की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई. कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था.
सीएम एकनाथ शिंदे ने दिए थे कड़ी कार्रवाई के निर्देश
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और गृह मंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस मामले में पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इस मामले में पुलिस पर किसी दबाव के बारे में पूछे जाने पर पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि पुलिस शुरू से ही कानून के मुताबिक काम कर रही है. पुलिस पर किसी का कोई दबाव नहीं है. उन्होंने कहा, "हम पुलिस द्वारा उठाए गए हर कानूनी कदम पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. हमने यथासंभव कड़ी कार्रवाई की है.'' आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.