
Don Amir Tipu Balaz Trakanwala Murder: पाकिस्तान में चुनावी धांधली और सरकार बनाने की कवायद के बीच संडे की रात न्यूज़ चैनलों पर केवल एक ही ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी. और वो खबर थी लाहौर के सबसे बड़े डॉन अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला के कत्ल की. उसका कत्ल एक शादी में हुआ. कभी लाहौर के किंग कहे जाने वाले बिल्ला ट्रकांवाला के पोते अमीर की मौत के साथ ही ये उस खानदान के चौथे वारिस का मर्डर था. और इसी के साथ लाहौर के पूरे अंडरवर्ल्ड में कोहराम मच गया.
18 फरवरी 2024, चोंग, लाहौर
रात के करीब 9 बजे थे. लाहौर में एक बेहद अहम शादी थी. शादी लाहौर के सबसे बड़े और खूबसूरत डॉन अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला के सबसे करीबी दोस्त हमजा की बहन की. तमाम मेहमानों के साथ बारात आ चुकी थी. खाना खुल चुका था. अमीर ट्रकांवाला अपने खास दोस्तों और भाइयों के साथ एक टेबल पर बैठा था. उसके चारों तरफ उसके सुरक्षा गार्ड ऑटोमेटिक हथियार लिए तैनात थे. तभी एक शख्स ट्रकांवाला के टेबल की तरफ बढ़ता है और उससे एक सेल्फी लेने की गुजारिश करता है.
लेकिन फिर अगले ही पल वो कपड़ों में छुपाए ऑटोमेटिक हथियार से सीधे अमीर पर हमला कर देता है. उसका एक साथी भी मेहमान के भेष में वहां मौजूद था. वो भी फायरिंग शुरू कर देता है. सुरक्षा गार्ड फौरन हरकत में आते हैं. जवाबी फायरिंग करते हैं. जिसमें सेल्फी लेने वाला हमलावर मौके पर ही मारा जाता है. जबकि दूसरा अफरातफरी के आलम में भाग निकलता है. अमीर को फौरन लाहौर के जिन्ना अस्पताल ले जाया जाता है. लेकिन तब तक वो दम तोड़ चुका था.
हर न्यूज चैनल पर थी अमीर के मर्डर की खबर
पिछले कई दिनों से पाकिस्तान का हर न्यूज चैनल पूरे दिन चुनाव की खबरों पर ही डटा हुआ था. वोटों की गिनती में हुई धांधली और नई सरकार को लेकर पूरे दिन ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी. लेकिन 18 फरवरी की रात जैसे ही अमीर ट्रकांवाला की शूटआउट की खबर आई, पाकिस्तान का हर न्यूज चैनल पाकिस्तानी चुनाव छोड़ कर अमीर की खबर दिखाने लगा. अब हर चैनल पर अमीर ही ब्रेकिंग न्यूज था. सवाल ये है कि आखिर अमीर टीपू ट्रकांवाला की मौत की खबर हर न्यूज चैनल पर सुर्खियों में क्यों थी? अमीर था कौन? और अपनी मौत से पहले उसने अपने व्हाट्स एप के स्टेटस पर ये लाइनें क्यों लिखी थी? 'ऐ खुदा जब तक जिंदगी मेरे लिए बेहतर है, मुझे जिंदा रख और जब मौत मेरे लिए बेहतर हो तो मुझे उठा ले.'

मुंबई अंडरवर्ल्ड की तरह काम करते हैं लाहौर के डॉन
पाकिस्तान का नाम सामने आते ही पाकिस्तान की गोद में पल रहे बड़े-बड़े आतंकवादी संगठन और उनके सरगनाओं के चेहरे नजरों में तैरने लगते हैं. ये आतंकी संगठन और आतंकवादी भारत को लहूलुहान करते हैं. लेकिन इन सबसे हट कर पाकिस्तान में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो पाकिस्तानी अंडरवर्ल्ड पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए जब तब और जहां तहां एके-47 का बर्स्ट मारते रहते हैं. पाकिस्तानी अंडरवर्ल्ड ठीक वैसा ही है और वैसा ही काम करता है, जैसे कभी मुंबई में अंडरवर्ल्ड के वर्चस्व की लड़ाई को लेकर सड़कों पर खून बहा करता था.
लाहौर पर कब्जे की लड़ाई
जैसे भारत में अंडरवर्ल्ड का हेडक्वार्टर मुंबई हुआ करता था, वैसे ही पाकिस्तान में अंडरवर्ल्ड से जुड़े ज्यादातर डॉन लाहौर पर कब्जे के लिए लड़ते हैं. ये लाहौर के वो डॉन हैं, जिनकी बाकायदा सरकार ने लिस्ट निकाल रखी है. लेकिन लाहौर के इन टॉप टेन डॉन की बात करें, उससे पहले लाहौर के सबसे बड़े डॉन यानी अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला के कत्ल की बात करते हैं.
ट्रकांवाला परिवार में हुए तीन बड़े डॉन
ट्रकांवाला परिवार के ये तीन सबसे बड़े डॉन हुए. बिल्ला ट्रकांवाला, उसका बेटा आरिफ टीपू ट्रकांवाला और आरिफ का बेटा अमीर ट्रकांवाला. हालांकि कहानी बिल्ला से भी पहले शुरू होती है. यानी बिल्ला के बाप दादा से. तब भारत के साथ पाकिस्तान भी आजाद हुआ था. फिर 47 में पाकिस्तान बना. आजादी के पहले से ही लाहौर के मशहूर शाह आलम मार्केट में ट्रकांवाला परिवार का इस हद तक दबदबा था कि बाकायदा यहां उनकी गद्दी लगा करती थी.
बिल्ला ट्रकांवाला कहलाता था किंग ऑफ लाहौर
दरअसल, इस परिवार का ट्रांसपोर्ट का काम था. परिवार के पास सैकड़ों ट्रक थे. जिनमें माल की ढुलाई पूरे पाकिस्तान में हुआ करती. इसीलिए परिवार का नाम ट्रकांवाला पड़ा. इस बिजनेस ने ही ट्रकांवाला परिवार के बहुत सारे दुश्मन पैदा किए. इस दुश्मनी की वजह से इस परिवार में पहला कत्ल बिल्ला के बाप का हुआ. बाप की मौत के बाद 80 के दशक में बिल्ला ट्रकांवाला ने विरासत संभाली और यहीं से इस परिवार का खौफ लाहौर से निकल कर पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों तक पहुंच गया. बिल्ला का रसूख इतना था कि क्या नेता, क्या मंत्री और क्या पुलिस.. सभी उसकी गद्दी पर हाजिरी लगाया करते थे. चुनाव में नेता उससे अपना काम निकलवाया करते थे. बिल्ला ने ना सिर्फ अपने बाप के कातिलों को ढूंढ ढूंढ कर मारा, बल्कि कहते हैं कि उनके पूरे खानदान का सफाया कर डाला. बिल्ला पर दर्जनों मुकदमे थे. लेकिन पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी. एक वक्त ऐसा भी आया, जब बिल्ला को किंग ऑफ लाहौर कहा जाने लगा था.

ऐसे हुआ था बिल्ला का खात्मा
1994 की बात है. एक दिन बिल्ला सुबह-सुबह अपने घर के बाहर बैठा था. तभी हथियारों से लैस कई हमलावर उसके घर के दरवाजे तक पहुंच गए. और उसी के दरवाजे पर उसे गोली मार कर चले गए. बाप की तरह अब बिल्ला भी मारा जा चुका था. बिल्ला का भी एक ही बेटा था. आरिफ टीपू ट्रकांवाला. बाप की मौत के बाद अब आरिफ ट्रकांवाला ने विरासत संभाली. कहते हैं कि बिल्ला की दहशत को उसने पूरे लाहौर में डबल कर दिया था. बाप की तरह ही आरिफ ने भी चुन चुन कर अपने बाप के कातिलों को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन इनमें से कुछ ऐसे थे, जो डर के मारे पाकिस्तान छोड़ कर विदेश भाग गए थे. बस वही बचे हुए थे.
आरिफ ट्रकांवाला से कांपते थे लाहौर के दूसरे डॉन और गैंग
अब बिल्ला के बाद लाहौर में आरिफ का खौफ था. शौक ऐसे कि अपने घर के बाड़े में वो एक साथ दस-दस शेर पाला करता था. आरिफ की क्रूरता से लाहौर के दूसरे डॉन और गैंग तक कांपते थे. लेकिन आरिफ को भी अंदाज़ा था कि दुश्मनों की तादाद ज्यादा है. उसके बाप को घर के दरवाजे पर मारा था, कल को उसके परिवार पर भी हमला हो सकता है. लिहाजा उसने अपनी बीवी और बेटे को दुबई भेज दिया. बिल्ला की तरह ही आरिफ को भी एक ही बेटा था.. अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला.
एयरपोर्ट की पार्किंग में हुआ था आरिफ का मर्डर
अमीर ने दुबई में ही पढ़ाई की. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला अमीर दुबई के ही कॉलेज से ग्रैजुएट हुआ. उसका इरादा दुबई में ही सेटल होने का था. उसके वालिद आरिफ भी यही चाहते थे कि वो लाहौर की इस काली दुनिया और उसके कारोबार से दूर ही रहे. लेकिन फिर तभी फरवरी 2010 में आरिफ ट्रकांवाला अपने बेटे अमीर और बीवी से मिलने के लिए दुबई पहुंचता है. दुबई से वापस लाहौर लौटने पर जैसे ही वो लाहौर एयरपोर्ट की पार्किंग में पहुंचता है, तभी अचानक उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसने लगती हैं. आरिफ मौके पर ही दम तोड़ देता है. ट्रकांवाला पीढ़ी में ये तीसरी मौत थी. दादा, बाप और अब बेटा.

अपने बाप की मौत का बदला लेना चाहता था अमीर
आरिफ की मौत की खबर सुनते ही अमीर अपनी अम्मी के साथ दुबई से लाहौर पहुंचता है. चूंकि घर का वो इकलौता बेटा था, लिहाजा अब उसके सामने दो ही रास्ते थे. या तो लाहौर में बाप दादा की विरासत को आगे बढ़ाए या फिर सारा कारोबार बेच कर वापस दुबई शिफ्ट हो जांए. लेकिन अमीर ने पहला रास्ता चुना. क्योंकि उसे अब अपने बाप की मौत का बदला लेना था.
अमीर ने संभाली परिवार की खूनी विरासत
आरिफ की मौत के पीछे बट्ट गैंग का हाथ था. इस गैंग के दो डॉन थे. एक गोगी बट्ट और दूसरा तीफी बट्ट. आरिफ की मौत के बाद ही ये दोनों पाकिस्तान छोड़ कर भाग गए. बाप के कातिलों का पता चलते ही अमीर ट्रकांवाला परिवार की खूनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुद ही गन उठाने का फैसला करता है. इसके बाद वो एक एक कर अपने बाप के कातिलों को ठिकाने लगाता जाता है. लेकिन बट्ट ब्रदर्स अब भी उसकी पहुंच से बाहर थे. दुश्मनी अब भी जारी थी. दोनों गैंग की खूनी लड़ाई में दर्जनों जानें गईं, लेकिन बट्ट और अमीर अब भी जिंदा थे.
मेहमान बनकर शादी में आया था गोगी बट्ट गैंग का शूटर
इसी दुश्मनी के चलते अमीर ने अपनी सुरक्षा के लिए तीस से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड्स रखे हुए थे, जिनके पास ऑटोमेटिक वेपन थे. अमीर पर दो-तीन बार हमले भी हुए. लेकिन वो बाल-बाल बच गया. 18 फरवरी को अमीर के सबसे करीबी दोस्त हमजा की बहन की शादी थी और अमीर वहां जरूर जाएगा, ये खबर गोगी बट्ट गैंग को भी थी. और बस इसी के बाद गोगी बट्ट ने अपने खास शूटर मुजफ्फर हुसैन को मेहमान बना कर शादी में भेजा. जहां उसने अमीर ट्रकांवाला को गोली मारी. मुजफ्फर के मोबाइल से लाहौर पुलिस को ये पता चला है कि 18 फरवरी की रात तक गोगी बट्ट लगातार मुजफ्फर के संपर्क में था. अब लाहौर पुलिस गोगी बट्ट के पीछे है, लेकिन फिलहाल वो फरार है.

क्या अब खत्म हो जाएगी की लाहौर की गैंगवार?
अमीर टीपू बलाज ट्रकांवाला अपने पीछे दो बेटे और बीवी को छोड़ गया है. दोनों बेटे अभी बहुत छोटे हैं. लाहौर अंडरवर्ल्ड को जाननेवाले ये मानते हैं कि शायद अमीर ट्रकांवाला की मौत के बाद अंडरवर्ल्ड की ये जंग अब खत्म हो जाएगी. क्योंकि बिल्ला, आरिफ या अमीर की तरह उनकी मौत का बदला लेनेवाला परिवार में अब कोई इस लायक है नहीं. लेकिन परिवार के इतिहास को देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि कल क्या होगा?
अमीर की बेवा के पास भी अब दो रास्ते हैं. सारा कारोबार बेच कर दोनों बेटों के साथ वापस दुबई शिफ्ट हो जाए या फिर लाहौर की गद्दी विरासत की तरह संभालती रहे. अगर उसने दूसरा रास्ता चुना, तो क्या पता बेटे बड़े होने के बाद फिर से बदले के रास्ते पर चल पड़े.
सरकार ने जारी की थी टॉप टेन गैंग और डॉन की लिस्ट
यूं तो पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में बहुत सारे गैंग एक्टिव हैं. लेकिन गैंगवॉर की सबसे खौफनाक सूरत लाहौर में ही नजर आती है. जितने गैंग अकेले लाहौर में पनपते हैं, उतने पाकिस्तान के किसी दूसरे शहर में नहीं. आए दिन गैंगवॉर की आपसी लड़ाई के बीच होने वाले खून खराबों और बिगड़ते लॉ एंड ऑर्डर की वजह से पाकिस्तान की पंजाब सरकार को भी इस तरफ ध्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ा. कुछ वक्त पहले ही पंजाब सरकार ने लाहौर के टॉप टेन गैंग और डॉन की एक लिस्ट जारी की थी. इनमें से कुछ के एनकाउंटर भी हो चुके हैं.
जमीन को लेकर पनपी दुश्मनी
फिलहाल लाहौर के जो गैंग या डॉन सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं, उनके नाम हैं- आबिद बॉक्सर, अरशद अमीन चौधरी, आतिफ चौधरी, आबिद चौधरी, ताहिर प्रिंस, शाहिद मेओ, अच्छू शुकरावाला, कालू शाहपुरिया, बशीरा पहलवान, बुड्ढा गुज्जर, इसरारुल हक बट और सुहैल शौकत बट्ट. लेकिन इन तमाम गैंग्स या डॉन के बीच लाहौर अंडरवर्ल्ड में जो नाम पिछले पचास सालों में सबसे ऊपर रहा है, वो है ट्रकांवाला परिवार का. हालांकि ट्रकांवाला परिवार की ज्यादातर गैंग से दुश्मनी है. इस दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह लाहौर में जमीन के कब्जे को लेकर है.
लाहौर में कुख्यात हैं तीन गैंग
कहते हैं कि लाहौर में जिन तीन गैंग या तीन खानदान की वजह से सबसे ज्यादा खून खराबा हुआ, सबसे ज्यादा लाशें गिरीं, वो हैं बिल्ला ट्रकांवाला, इसरारुल हक बट्ट गैंग और सुहैल शौकत बट्ट गैंग. इन्हीं दो बट्ट गैंग में से गोगी और तीफी बट्ट भी आते हैं. ट्रकांवाला परिवार के चौथे वारिस यानी अमीर टीपू ट्रकांवाला के कत्ल के पीछे भी गोगी बट्ट का ही नाम सामने आया है. लाहौर अंडरवर्ल्ड की सबसे चौंकानेवाली बात ये है कि इससे जुड़ा कोई भी गैंग अपने आगे दाऊद इब्राहिम को भी कुछ नहीं मानता. और खबर ये भी है कि लाहौर अंडरवर्ल्ड में कभी दाऊद गैंग अपनी पैठ भी नहीं बना पाया.