इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग के 46वें दिन आईडीएफ ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. इजरायली सेना ने हमास के खिलाफ दूसरे चरण का युद्ध शुरू कर दिया है. इसमें इजरायल के निशाने पर हमास की सुरंगें हैं. इजरायली सेना के टैंक और युद्ध लड़ रहे उसके इंजीनियर ढूंढ ढूंढ कर हमास की सुरंगों को तबाह कर रहे हैं. हमास जहां ये सवाल उठाकर अपनी ताकत दिखा रहा है कि 46 दिन हो गए लेकिन इजरायल गाजा पर कब्जा नहीं कर सका, वो अपनी सुरंगों के दम पर ही अब तक युद्ध में टिका है.
इधर इजरायली सेना ने एक बड़ा दावा किया है. आईडीएफ की 36वीं डिवीजन ने वीडियो जारी कर बताया है कि हमास ने गाजा में स्कूल और अस्पतालों के साथ मस्जिद तक को भी नहीं बख्शा है. एक मस्जिद के भीतर से भारी संख्या में हथियार मिले हैं. ये मस्जिद गाजा सिटी के पड़ोस में जिटौन इलाके में मिली है. यहां इजरायली सेना को एक ब्लास्ट-प्रूफ दरवाजा मिला था. उसे उड़ाकर सेना अंदर दाखिल हुई तो वहां एक रॉकेट लैब भी मिला. उसमें रॉकेट बनाने के साजो-सामान और बोर्ड पर रॉकेट की डिजाइन बनी हुई थी.
इजरायली सेना ने मस्जिद के अंदर से रॉकेट, मोर्टार, ड्रोन और विस्फोटक सामान बरामद किया है. इससे पहले आईडीएफ ने गाजा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा में धावा बोलकर वहां से बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए थे. वहां एक खास हिस्से में सर्जिकल ऑपरेशन किया गया था. सीसीटीवी कैमरों पर हमास के आतंकियों ने टेप लगा रखा था. एमआरआई रूम में मशीन के पीछे एक बैग में एके-47 राइफल, ग्रेनेड और राइफल की मैगजीन रखी हुई थी. अलमारी में कपड़े से ढक कर असॉल्ट राइफल रखी गई थी. शेल्फ में जहां दवाइयां होनी चाहिए वहां भी हथियार और कारतूस रखे हुए थे. हमास की पूरी मिलिट्री किट मिली थी. अस्पताल के नीचे एक बड़ा टनल नेटवर्क भी मिला है.
बंधकों को अल-शिफा में ही क्यों ले गए हमास आतंकी
सोमवार को इजरायल डिफेंस फोर्सेस ने एक वीडियो जारी किया था. उसमें दिखाया गया कि इजरायल से बंधक बनाकर लाए गए एक नेपाली नागरिक और एक थाई नागरिक को शिफा अस्पताल में लाया गया था. बंधक हथियारबंद हमास आतंकियों से घिरे नजर आ रहे थे. ऐसे में सवाल उठा कि क्या आतंकी घायल बंधकों का इलाज कराने के लिए अल-शिफा अस्पताल ले गए थे? क्या महिलाओं और बच्चों को गोली मार देने वाले आतंकी बंधकों की जान बचाने के लिए अस्पताल ले गए थे? इसका सीधा जवाब है, नहीं.
इजरायल ने किया अल-शिफा अस्पताल का 'पर्दाफाश'
हमास के आतंकियों का पर्दाफाश करने के लिए इजरायली सेना एक दूसरा वीडियो जारी किया है. इसमें दावा किया गया है कि जिस वीडियो में गाजा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा में बंधकों को लाते दिखाया जा रहा है, उसका मकसद उनका इलाज कराना नहीं था. 7 अक्टूबर को एक खास मकसद से इन बंधकों को अगवा किया गया और फिर उन्हें अस्पताल लाया गया. ऐसा इसलिए कि अल-शिफा अस्पताल हमास की पूरी तरह से नियंत्रण में था. उसके नीचे सुरंगों का लंबा जाल है, जिनसे बंधकों को एक से दूसरी जगह तक ले जा सकता है. इस वजह से ही हमास के आतंकियों ने रास्ते में पड़ने वाले तमाम अस्पतालों को छोड़कर सीधे अल-शिफा अस्पताल में बंधकों को पहुंचाया था.
हमास नेता ने दिए इजरायल संग युद्धविराम के संकेत
इसी बीच हमास नेता इस्माइल हनिएह ने दावा किया है कि इजरायल के साथ युद्धविराम समझौते के करीब हैं. हमास नेता ने कहा कि अपना जवाब कतर के अधिकारियों को दे दिया है. दूसरी तरफ इजरायल के बेन ग्विर ने बंधक सौदे को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि वो बेहद चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाहें हैं कि इजरायल फिर से शालिट सौदे के जैसी कोई बड़ी गलती करने जा रहा है. साल 2006 में इजरायल ने बंधक बनाए गए अपने एक जवान के बदले 980 फिलीस्तीनियों को रिहा किया था.
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इजरायल ने लॉन्च किया एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम
इजरायल ने अपने सबसे ताकतवर हथियार एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम लॉन्च कर दिया है. पहले टेस्ट में ही लाल सागर से दागे गए एक रॉकेट को एरो सिस्टम ने मार गिराया. साल 2022 में इजरायल ने एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया था. इस डिफेंस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये चारों तरफ से आने वाली मिसाइलों को एक साथ नष्ट कर सकता है. इतना ही नहीं 200 किलोमीटर से अधिक दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को टारगेट करके रोकने की क्षमता रखता है.
2400 किलोमीटर तक मार कर सकती है मिसाइल
इसकी एक खूबी यह भी है कि ये बैलिस्टिक मिसाइलों को वायुमंडल के बाहर भी मार सकता है. इसके साथ ही बायो, न्यूक्लियर और केमिकल ले जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट कर सकता है. एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम अत्याधुनिक मिसाइलों और रॉकेट से लैस है. इसे इजराइल का सबसे मजबूत शील्ड सिस्टम माना जाता है. इससे दागी गई मिसाइल डायवर्ट मोटर होने के साथ कभी भी अपनी दिशा बदल सकती है. करीब 2400 किमी तक मार कर सकती है. इसको एंटी सैटेलाइट हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इजरायल ने साल 2006 में लेबनान में हिजबुल्लाह और 2014 में गाजा पट्टी में हमास के आतंकियों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था.