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इराक: शहर-शहर खून-खराबा जारी, अब तक ढाई हजार लोगों की मौत

गृहयुद्ध की आग में जल रहे इराक में हालात दिन ब दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. आतंकवादियों के कब्जे वाले शहरों में जगह-जगह लाशें पड़ी हैं जिन्हें उठाने वाला भी कोई नहीं है.

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गृहयुद्ध की आग में जल रहे इराक में हालात दिन ब दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. आतंकवादियों के कब्जे वाले शहरों में जगह-जगह लाशें पड़ी हैं जिन्हें उठाने वाला भी कोई नहीं है. क्‍योंकि इराकी फौज या दूसरी अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वहां तक पहुंच ही नहीं है. ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र ने किया है.

द इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट यानी आईएसआईएल या आईएसआईएस के आतंकवादी जिन शहरों पर कब्जा कर रहे हैं, वहां पर वो मौत का खूनी खेल रहे हैं. वो पकड़े गए इराकी सैनिकों का सरेआम शहर की सड़कों पर कत्ल कर रहे हैं. इराक में यूएन के प्रतिनिधि निकोलय म्लादिनोव के मुताबिक अकेले जून में आईएसआईएस और इराकी सेना के बीच चल रही लड़ाई में 2417 लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में 1531आम नागरिक और 886 सैनिक हैं. पर इन आम नागरिकों में कितने इराकी और कितने विदेशी हैं ये फिलहाल पता नहीं चल पा रहा है.

यूएन के मुताबिक ये लगातार दूसरा महीना है जब इतने कत्लेआम हुए. इससे पहले मई में 799 लोगों का कत्ल हुआ था. इनमें से 603 आम नागरिक थे, बाकी सैनिक. यूएन के मुताबिक अप्रैल में भी आतंकवादियों के हाथों इराक में 750 लोगों की जानें गई थीं.

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बकौल यूएन इनमें मौत के वो आंकड़े शामिल नहीं हैं जो इराक के सुन्नी बहुल इलाके में आते हैं. आशंका है कि सुन्नी बहुल इलाके में मरने वालों की तादाद कहीं ज्यादा है. उधर, खून-खराबे के बीच इराकी संसद का पहला सत्र मंगलवार से शुरू हुआ. इराक के सबसे बड़े शिया धर्म गुरु ने पिछले हफ्ते सरकार से अपील की थी कि वो मिलजुल कर नया प्रधानमंत्री चुनें ताकि देश इस बुरे दौर से निकल सके.

लेकिन, इराकी संसद के शुरू होने से पहले ही आईएसआईएस के सरगना अबू-बकर-अल-बगदादी ने ये कह कर सबको चौंका दिया है कि वो 'द इंडिपेंडेंट' के नाम से एक अलग देश बना रहा है. इस नए देश में इराक और सीरिया के वो सभी इलाके और शहर आएंगे जहां पर चरमपंथियों ने कब्ज़ा जमाया हुआ है. इसके साथ ही उसके आतंकवादियों ने उस इस्लामी खिलाफत का भी एलान कर दिया जिसका सपना बगदादी ने देखा है. इतना ही नहीं बगदादी को दुनिया के मुसलमानों का नेता भी घोषित कर दिया गया है. खास इसी मकसद से आईएसआईएस ने अपना नाम बदल कर इस्लामिक स्टेट रख लिया है.

जानकारों की मानें तो बगदादी अल-कायदा की बादशाहत को खत्म करना चाहता है. दरअसल बगदादी अल-कायदा से काफी पहले ही अपने रिश्ते तोड़ चुका है और अब इस्लामिक स्टेट बनाने का एलान करने के बाद उसने दुनिया के तमाम सुन्नी चरमपंथियों से उसकी इस लड़ाई में मदद करने के लिए कहा है. जानकारों के मुताबिक बगदादी के एलान के बाद दुनिया के कई आतंकवादी संगठन उसके साथ जुड़ सकते हैं. साथ ही इराक में चल रही जंग में उसका साथ देने के लिए आगे आ सकते हैं.

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हिंदुस्‍तान के आतंकवादी भी बगदादी के साथ!
वैसे सूत्रों की माने तो हिंदुस्तान के कुछ आतंकवादी भी बगदादी का साथ दे रहे हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारतीय मूल के एक शख्स के खिलाफ लुकआउट सर्क्यूलर जारी किया हुआ है. इस शख्स का नाम हाजी फकरुद्दीन उस्मान अली बताया जा रहा है. उनके मुताबिक ये शख्स भारत में घुसने की फिराक में है और इसीलिए देश के हर एयरपोर्ट और बंदरगाह पर उसकी तलाश की जा रही है. खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक ये शख्स तमिलनाडु का रहने वाला है और कुछ साल पहले वो बिजनेस के सिलसिले में सिंगापुर चला गया था. वहां पर इसकी मुलाकात बगदादी के एक गुर्गे से हुई और उस्मान अली बगदादी के कहने पर सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध में आईएसआईएस की तरफ से जंग में शरीक हो गया. लेकिन वो भारत में किस मकसद से आ रहा है, ये अब तक किसी को भी नहीं पता है. लेकिन खुफिया एजेंसियों को डर है कि उस्मान अली बगदादी के ही इशारे पर हिंदुस्तान आ रहा है और उसका मकसद यहां आकर दहशत फैलाने का है.

वैसे भारतीय खुफिया एजेंसियों इस बात का अनुमान नहीं लगा पाईं हैं कि इराक और सीरिया में कितने भारतीय अबू-बकर-अल-बगदादी की मदद कर रहे हैं या फिर उसकी तरफ से लड़ रहे हैं. लेकिन उनके मुताबिक भारत से बड़ी तादाद में कम उम्र के लड़के पश्चिम एशिया गए हैं और इनमें से कुछ लड़कों को आतंकवादियों ने मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी है.

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जाहिर है अगर अबू-बकर-अल-बगदादी के बढ़ते कदमों को जल्दी नहीं रोका गया तो वो अल-कायदा के बाद पूरी दुनिया के लिए एक नया सिरदर्द बन जाएगा.

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