बीते दस महीने से भारत और चीन के बीच सीमा पर जो विवाद बना हुआ था, उसके अब खत्म होने की उम्मीद नजर आने लगी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश को जानकारी दी है कि भारत और चीन दोनों की सेनाएं एलएसी पर अपनी-अपनी मौजूदा स्थिति से पीछे हटने को तैयार हो गई हैं. यानी चीन अब पैंगोंग लेक से पीछे हटने को राजी हो गया है. सवाल ये कि आखिर चीन इतनी आसानी से पीछे हटने को तैयार कैसे हो गया. आइए जानते हैं इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी.
चट्टानी इरादों और भारतीय रणबांकुरों के शौर्य के आगे आखिरकार ड्रैगन को डरना ही पड़ा. वो जिस इरादे से पैंगोंग लेक और एलएसी की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था, वो इरादा छोड़ कर उसे अपने कदम पीछे खींचने ही पड़े. और इस तरह करीब दस महीने से जारी भारत और चीन के बीच का सीमा विवाद अपने खात्मे की तरफ बढ़ चला है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में ऐलान किया कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद को खत्म करने पर अब सहमत हो गए हैं और अब दोनों ही देशों की सेनाएं पैंगोंग लेक के नॉर्थ-साउथ इलाके से पीछे हट जाएंगी.
चीन कि जिद के चलते इस विवाद की शुरुआत पिछले साल अप्रैल महीने में हुई थी. तब चीन ने पैंगोंग लेक के पास तय एलएसी को पार करने की हिमाकत की थी. चीन पुरानी एलएसी को मानने से इनकार कर रहा था और फिंगर फोर तक आ चुका था. यहां तक कि उसने वहां कैंप बनाने भी शुरू कर दिए थे. इसके बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर दोनों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हो गया. दोनों ही देशों ने यहां हजारों जवानों की तैनाती कर दी. दोनों देशों की फौज के बीच झड़पें भी हुईं. गोली भी चली. गलवान में हमारे 20 जवान शहीद हुए, चीन के जवानों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. लेकिन अब आखिरकार ये विवाद खात्मे की तरफ है. असल में एलएसी फिंगर 8 तक है, लेकिन चीन इसे मानने से इनकार कर रहा था.
अब हिंदुस्तान के मजबूत इरादों के आगे बेशक ड़्रैगन का दम निकलने लगा हो, लेकिन सवाल ये है कि आखिर वो क्या रणनीति रही, जिसके चलते चीन को सीमा का विवाद खत्म कर पीछे हटने के लिए राजी होना पड़ा. आइए हम आपको बताते हैं.
सेना की ज़बरदस्त तैनाती
ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए भारत ने रणनीतिक हो या फिर राजनीतिक, हर मोर्चे पर काम किया. चीन ने जब अप्रैल में पहले वाली स्थिति ना लागू करने की बात कही तो भारत ने भी LAC पर अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ा दी. चीन ने जब करीब दस हजार जवानों की तैनाती की तो भारत ने भी इतने ही जवानों को LAC पर लगा दिया. इतना ही नहीं मई के महीने में भारत की ओर से सीमा पर टैंकों की भी तैनाती कर दी गई. सितंबर-अक्टूबर तक फौजियों की तादाद 60 हजार तक पहुंच गई.
इस तनाव के बीच भारत ने टाइप 15 लाइट टैंक्स, इंफैंट्री फाइटिंग व्हिकल्स, AH4 हॉवित्जर गन्स, HJ-12 एंटी टैंक्स गाइडेड मिसाइल्स, NAR-751 लाइट मशीनगन, W-85 हैवी मशीनगन बॉर्डर पर तैनात कर दिए. जून में तनातनी कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई, क्योंकि गलवान घाटी में भारत-चीन के जवान आमने-सामने आ गए थे. फिर यहां हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ. हालांकि उसने अपने फौजियों की मौत छिपा ली. उधर, लद्दाख के आसमान में तेजस, राफेल, मिग, अपाचे, चिनूक जैसे फ्लाइंग मशीन गरजते रहे. चीन को सख्त संदेश गया.
भारत ने दिखाई कूटनीतिक ताकत
एक तरफ जहां सरहद पर भारत लगातार अपने फौजियों की तादाद बढ़ा रहा था, वहीं राजधानी दिल्ली से भी लगातार चीन को किसी भी हिमाकत की कड़ी सज़ा देने की बात अलग-अलग तरीक़े से कही जाती रही. सरकार ने फौज को खुली छूट दी और सैन्य लेवल पर ही मसलों को सुलझाने पर जोर दिया. इसके अलावा जब सैन्य लेवल पर बात नहीं बनी, तब चीन मामले के विशेषज्ञ कहे जाने वाले एनएसए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला. साथ ही विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री लेवल पर भी सरकार ने अपनी ओर से बातचीत की. केंद्र ने सर्वदलीय बैठक की.
और इसी बीच पीएम मोदी ने अचानक लद्दाख का दौरा कर ना सिर्फ़ जवानों के हौसले बुलंद कर दिए, बल्कि वहीं से ये साफ कर दिया कि अब विस्तारवाद का दौर खत्म हो चुका है. कई चीनी एप पर बैन लगा दिया गया, देश में कई बड़े प्रोजेक्ट से चीनी कंपनियों को हाथ धोना पड़ा और चीनी निवेश के मसले पर देश में भी विरोध की हवा बन गई. यही वजह रही कि सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विश्व में चीन के प्रति एक अलग माहौल बन गया. और उस पर कूटनीतिक दबाव बढ़ने लगा.
मोर्चों पर कब्जे की रणनीति
चीन बातचीत के बाद भी पीछे हटने को तैयार नहीं था. और तब भारतीय सेना ने उसे उसी के जाल में फंसा दिया. चीन LAC पर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा था और भारतीय जांबाजों ने अलग-अलग पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. इन पहाड़ियों पर कब्जे से भारत को रणनीतिक फायदा हुआ और चीन को झुकना पड़ा. भारतीय सेना ने मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला राचाना ला, मोखपारी और फिंगर 4 रिज लाइन की कई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. हार कर चीन सैन्य लेवल पर बात करने को तैयार हुआ. पीछे हटने पर भी हामी भरी.
अब दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक दोनों देशों की सेनाएं एलएसी से पूरी तरह हट जाएंगी. उसके बाद फिर 48 घंटे के अंदर दोनों देशों के बीच बैठक होगी. चीन अपनी सेना की टुकड़ी को नॉर्थ बैंक में फिंगर 8 के पूर्व में रखेगा, जबकि भारत फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट बेस पर रखेगा. ऐसा साउथ बैंक के पास भी होगा. दोनों देश अपने-अपने अतिरिक्त निर्माण भी हटा लेंगे.