जीबी रोड की बदनाम गलियों में हर रोज नामालूम कितनी ही लड़कियां अपनी आबरू का सौदा करने को मजबूर होती हैं. इनमें कुछ तो हालात की गुलाम हैं. लेकिन बहुत सी ऐसी भी हैं, जिन्हें उन्हीं के जैसे कुछ इंसानों ने सेक्स स्लेव यानी जिस्मफरोशी का गुलाम बना रखा है. दरअसल, धोखे की अंधी गलियों में फंस कर ऐसी ज्यादातर लड़कियां जिस्मफरोशी के इन अड्डों और अड्डों में बने तहखानों में ऐसे फंसती है कि फिर मौत ही उन्हें इनसे बाहर निकाल पाती है.
पुलिस की मौजूदगी में इन अड्डों पर छापामाक कर दीवारों के बीच बने तहखाने का दरवाजा तोड़ा जाता है और फिर इस अंधेरे कमरे में जो मंजर दिखाई देता है, उससे कोठे में मौजूद हर शख्स कुछ देर के लिए ठिठक जाता है. तहखाने के अंदर अंधेरे में एक के बाद एक कई लड़कियां नजर आती हैं, जिन्हें यहां छुपा कर रखा गया है. जो पहले तो तहखाने पर हुई दबिश से कुछ देर के लिए सकते में नजर आती हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें अपनी आजादी की घड़ी के करीब होने का अहसास होता है, एक-एक कर खामोशी से तहखाने से बाहर निकल आती है. एक, दो, तीन, चार, पांच... और इस तरह जीबी रोड के दो अलग-अलग कोठों पर पिछले दो दिनों में पड़ी दबिश के बाद ऐसी कुल सात लड़कियों को इस जहन्नम से आजादी मिल जाती है.
लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये लड़कियां कौन हैं? कहां से लाई गई हैं? उन्हें इस तरह यूं इन तहखानों में कैद करके रखने का मकसद क्या है? इन्हें यहां कैद करने के पीछे आखिर कौन सा शख्स है? और सबसे अहम ये कि आखिर अब अचानक इन लड़कियों को इस कैदखाने से आजादी कैसे मिल रही है...? तो इन सवालों का जवाब भी कम अचरज भरा नहीं है.
जीबी रोड के कोठों में तिल-तिल कर जीनेवाली ऐसी हर लड़की के साथ धोखे और दर्द की ऐसी कहानी जुड़ी है, जिस पर यकीन करना भी मुश्किल है. लेकिन यकीन अपनी जगह है और हकीकत अपनी जगह, क्योंकि कोठे में फंसनेवाली बहुत सी लड़कियां यहां सिर्फ इसलिए होती हैं, क्योंकि उनकी पीठ कर उनका कोई अपना ही धोखे का खंजर उतार चुका होता है.
दिल्ली के सबसे बदनाम इलाके जीबी रोड की ये तस्वीर ना तो नई हैं और ना ही पहली बार नजर आई है, लेकिन हर बार की तरह इन तस्वीरों में भी धोखे, बेबसी और दर्द की कभी ना भुला पानेवाली अफसोसनाक कहानियां जुड़ी हैं.
अब छुड़ाई गई इन लड़कियों को ही लीजिए, अंधेरे कोठों की तंग गलियों से निकल कर खुले आसमान के नीचे सांस ले रही ऐसी हर लड़की की पीठ पर धोखे का एक खंजर गड़ा है, और इत्तेफाक से हर खंजर पे हाथ किसी अपने का ही है.
शनिवार को जीबी रोड के कोठा नंबर 59 से आजाद करवाई गई ये लड़कियां पिछले कई महीनों से यहां कैद करके रखी गई थीं. दरअसल, अलग-अलग लोगों ने इन लड़कियों को धोखे से इस कोठे के मालिक के पास बेच दिया था, और इसके बाद से ये लगातार इसी कैद में रह कर अनजान लोगों के साथ अपने जिस्म का सौदा करने को मजबूर थीं.
सितम देखिए कि इन तीन लड़कियों में से एक तो नाबालिग है, जिसे किसी और ने नहीं, बल्कि खुद उसकी मौसी ने ही धोखे से इस कोठे में बेच दिया. दरअसल, पुणे की रहनेवाली गरीब घर की इस लड़की को नौकरी की सख्त दरकार थी, और उसकी मौसी ने उसकी इसी मजबूरी का फायदा उठा लिया. उसने अपनी ही भांजी को नौकरी का झांसा दिया और सीधे किसी दलाल के जरिए इस कोठे में बिकवा दिया. इसके बाद उसने यहां से भागने और आजाद होने की लाख कोशिश की, लेकिन ये मुमकिन नहीं हो सका.
ठीक इसी तरह इसी कोठा नंबर 59 में बगैर गुनाह के जहन्नुम की सजा भोग रही इन दो लड़कियों की पीठ पर धोखे का खंजर किसी गैर ने नहीं, बल्कि खुद उनके आशिकों ने ही घोंपा था. पश्चिम बंगाल और नेपाल की रहनेवाली इन दोनों ही लडकियों को उनके आशिकों ने मुहब्बत के सुनहरे ख्वाब दिखाए थे और बड़े शहर में चल कर नए सिरे से जिंदगी शुरू करने का झांसा दिया था. लड़कियों ने अपने आशिकों पर तो ऐतबार कर लिया, लेकिन आशिक धोखेबाज निकले, और फिर जब इन्हें होश आया, इनकी आजादी नीलाम हो चुकी थी. जिंदगी की बोली लग चुकी थी.
शनिवार के बाद रविवार को भी पुलिस दिल्ली पुलिस ने कोलकाता क्राइम ब्रांच और कुछ एनजीओ के कार्यकर्ताओं के साथ जीबी रोड के एक दूसरे कोठे यानी कोठा नंबर 70 पर दबिश दी और वहां से भी बिल्कुल वही कहानी सामने आई. यहां भी चार लड़कियों को इसी तरह कैद करके रखा गया था, और इत्तेफाक से इस बार छापेमारी की इस कार्रवाई में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी शामिल थीं.
दरअसल, बंगाल से रहस्यमयी तरीके से गायब एक लड़की की तलाश में कोलकाता क्राइम ब्रांच की टीम पिछले कई दिनों से जीबी रोड की खाक छान रही है. पुलिस के पास खबर है कि उस लड़की को भी धोखे से जिस्मफरोशी के धंधेबाज़ों ने जीबी रोड के किसी कोठे में बेच रखा है. बस, उसी की तलाश में पिछले कुछ दिनों से छापेमारी का ये सिलसिला चल रहा है. लेकिन तकदीर का खेल देखिए कि अब तक वो लड़की तो नहीं मिली, हां... उसकी तलाश में दूसरी कई लड़कियां इस नर्क से जरूर आजाद हो गईं.
वैसे अब इन दोनों ही मामलों में बेशक पुलिस ने कुल सात लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधेबाजों के चंगुल से आजाद करवा लिया हो, लेकिन अब भी ऐसी लड़कियों को खरीद कर उनसे जबरन धंधा करने वाले कोठा मालिकों तक पुलिस और कानून के लंबे हाथ नहीं पहुंच सके हैं और इतना होने के बावजूद धोखे की अलग-अलग अनगिनत कहानियों के साथ जीबी रोड में बहुत से कोठे अब भी बदस्तूर चल रहे हैं.