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50 से ज्यादा मर्डर, शवों को मगरमच्छों को ख‍िलाया...'डॉक्टर डेथ' क्र‍िमिनल है या साइकोपैथ? एक्सपर्ट से समझ‍िए

साल 2002 से 2004 के बीच डॉक्टर डेथ ने 21 टैक्सी ड्राइवरों को मार डाला और उनके शव उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की हजारा नहर में फेंक दिए, जहां मगरमच्छ शवों को खा जाते थे. इस मानस‍िकता के पीछे एक क्र‍िमि‍नल से ज्यादा क्या किसी साइकोपैथ का दिमाग काम कर रहा था. क्र‍िमिनल साइकोलॉजिस्ट ने विस्तार से बताया.

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Doctor Death Representational photo by AI
Doctor Death Representational photo by AI

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक ऐसे खूंखार अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसकी कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं. नाम है डॉ. देवेंद्र शर्मा जिसे लोग 'डॉक्टर डेथ' के नाम से भी जानते हैं. कभी आयुर्वेदिक डॉक्टर रहा ये शख्स पहले किडनी तस्करी के रैकेट में शामिल हुआ, फिर 21 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या की और अपने कबूलनामे में 100 से ज्यादा हत्याओं की बात कही. ऐसा शख्स जिसके भीतर इतनी क्रूरता और हिंसा हो, उसे क्या कहेंगे. क्या ये साइकोपैथ हैं या सिर्फ क्रूर अपराधी? आइए क्र‍िमिनल साइकोलॉजिस्ट से समझते हैं. 

क्या है 'डॉक्टर डेथ' की क्रूरता की कहानी

'डॉक्टर डेथ'यानी देवेंद्र शर्मा की जिंदगी कभी आयुर्वेदिक डॉक्टर था. उसने जयपुर से आयुर्वेद में डिग्री ली और गैस एजेंसी का बिजनेस शुरू किया. बिजनेस में घाटे के बाद उसने अपराध की राह पकड़ ली. साल 1994 से 2004 के बीच उसने 125 से ज्यादा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट कराए, जिसमें हर ट्रांसप्लांट के लिए उसे 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे. इसके बाद उसने टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाना शुरू किया. 

जानकारी के मुताबिक साल 2002 से 2004 के बीच उसने 21 टैक्सी ड्राइवरों को मार डाला और उनके शव उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की हजारा नहर में फेंक दिए, जहां मगरमच्छ शवों को खा जाते थे. उसने खुद कबूल किया है कि 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की है लेकिन पुलिस को शक है कि ये आंकड़ा 100 से ज्यादा हो सकता है. जून 2023 में पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया और राजस्थान के दौसा जिले में एक आश्रम में पुजारी बनकर छुप गया. 9 महीने की तलाश के बाद दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 

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क्या देवेंद्र शर्मा साइकोपैथ है?

क्रिमिनल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अनुजा कपूर बताती हैं कि देवेंद्र शर्मा जैसे अपराधी में साइकोपैथिक लक्षण साफ दिखते हैं. साइकोपैथी एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति में भावनाओं, पछतावे और नैतिकता की भारी कमी होती है. इस तरह के अपराधी में अपने किए पर कोई अफसोस नहीं होता. देवेंद्र ने 21 हत्याएं कीं और शवों को मगरमच्छों वाली नहर में फेंक दिया, लेकिन उसे कोई गिल्ट नहीं था. 

डॉ अनुजा कहती हैं कि साइकोपैथ को सनसनी चाहिए होती है. इसी तरह देवेंद्र का बार-बार अपराध करना और पैरोल पर पुजारी बनकर छुपना यही द‍िखाता है. साइकोपैथ दूसरों पर हावी होना चाहते हैं. देवेंद्र ने ऐसे ही टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाकर अपनी ताकत दिखाई. देवेंद्र जैसे अपराधी में साइकोपैथिक लक्षण तो हैं, लेकिन उसकी जिंदगी की घटनाओं ने भी उसे अपराध की राह पर धकेला. जैसे गैस एजेंसी का फेल होना, लालच और आसान पैसे की चाह ने भी उसे पहले किडनी तस्करी और फिर हत्या की ओर मोड़ दिया. 

क्या कहते हैं रिसर्च स्टडीज?

PMC की एक स्टडी बताती है कि सीरियल किलर अक्सर बचपन में शारीरिक, मानसिक या यौन शोषण का शिकार होते हैं, जो उनकी मानसिकता को प्रभावित करता है. हालांकि, देवेंद्र के बचपन के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं है लेकिन उसकी हरकतें साइकोपैथिक व्यवहार से मेल खाती हैं. 

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यह भी पढ़ें: नहर में बहती थी लाशें, मगरमच्छ खाते थे सबूत... 50 कत्ल कर चुके दिल्ली के 'डॉक्टर डेथ' की खौफनाक कहानी

क्या इलाज से ठीक हो सकते हैं ऐसे अपराधी?

डॉ. अनुजा कपूर कहती हैं कि साइकोपैथी का इलाज बेहद मुश्किल है. साइकोपैथ के दिमाग में भावनात्मक प्रोसेसिंग करने वाला हिस्सा (एमिग्डाला) कम सक्रिय होता है, जिसके कारण उन्हें दूसरों की तकलीफ समझ ही नहीं आती. अगर इलाज की संभावना की बात करें तो कुछ मामलों में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) से साइकोपैथिक व्यवहार को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं कुछ दवाइयां भी ऐसी होती हैं जो आक्रामकता को कम कर सकती हैं. ऐसे अपराधियों को समाज से अलग रखना जरूरी है क्योंकि ये बार-बार अपराध करते हैं. देवेंद्र का पैरोल पर फरार होना इसका सबूत है. 

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