आज के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह की मौत इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि जिस खबर की तफ्तीश के लिए वो मध्यप्रदेश गए थे उस खबर में दर्जनों मौतें लिपटी हैं. और इन मौतों की गिनती अब 47 तक जा पहुंची है. पर क्या ये सारी मौत सिर्फ इत्तेफाक है?
ये देश का पहला ऐसा घोटाला है जो ना सिर्फ खूनी बन चुका है बल्कि देश के इतिहास का सबसे बड़ा सीरियल किलर भी बनता जा रहा है. 47 तक मौत की गिनती जा पहुंची है. कहां जाकर रुकेगी, ना कोई बताने वाला और ना ही शायद रोकने वाला. आलम ये है कि अब तो बस व्यापम का जिक्र चलते ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं, सांसें घुटने लगती हैं और सीने में जकड़न सी महसूस होने लगती है.
घंटे दिन में, दिन हफ्ते में, हफ्ता महीने में और महीना साल में बाद में बदलता है उससे पहले और उससे तेजी से इस मामले में जिंदगी मौत में बदल रही है. और मौत भी कैसी-कैसी और किस-किस शक्ल में? 25 साल के लड़के को दिल का दौरा पड़ रहा है, तो 22 साल की लड़की की लाश रेलवे ट्रैक पर मिल रही है. कोई सड़क पर एक्सिडेंट में मर रहा है तो कोई होटल के अपने बस्तर पर सोते हुए ही जिंदगी से निजात पा रहा है. कहीं किसी को ब्रेन हैमरेज हो रहा है तो कोई शराब पीकर मर रहा है. कोई अपने ही घर में जिंदा जल रहा है तो कोई बिना किसी वजह के खुदकुशी से मर रहा है.
दरअसल मौत के इस खौफनाक सिलसिले की शुरुआत हुई, 21 नवंबर 2009 को जब पीएमटी घोटाले में बिचौलिए के तौर पर पहचाने गए एक शख्स विकास सिंह ठाकुर की मध्यप्रदेश के बड़वानी में रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई. तब इस मौत की वजह बीमारी और दवाओं का रिएक्शन बताई गई, लेकिन फिर देखते ही देखते मौत का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि किसी को समझ ही नहीं आया कि आखिर ये मामला क्या है? सुनी-सुनाई बातों को छोड़िए 2012 से इस मामले की जांच शुरू करनेवाली स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने इस सिलसिले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसने खुद माना है कि व्यापम घोटाले से जुड़े 25 से 30 साल की उम्र के कुल 32 रैकेटियर्स यानी धंधेबाज़ अब तक रहस्यमयी हालात में मर चुके हैं. एसआईटी ने तो यहां तक कहा है कि कोई है, जो इस तरह एक के बाद एक लोगों की जान लेकर मामले की तफ्तीश को रास्ते से भटकाना चाहता है.
मौत के कुछेक मामले पेचीदा या फिर उलझाने वाले हो सकते हैं, लेकिन जब हर उलझाने वाले मामले का ताल्लुक व्यापम घोटाले से हो, तो दिमाग का घूमना लाजिमी है. व्यापम घोटाले से जुड़ी अगली मौत भी ऐसी ही है. महज 29 साल की उम्र में एक आरोपी को हार्ट अटैक हुआ और पलक झपकते उसकी जान चली गई, वो भी जेल के अंदर.
क्या व्यापम घोटाले की रिपोर्टिंग करना ही अक्षय सिंह के लिए जानलेवा साबित हुआ? आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह की जिन हालात में मौत हुई वो भी शक पैदा करता है. हालांकि मौत की वजह को लेकर पक्के तौर पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आधी-अधूरी है और इंतजार है विसरा रिपोर्ट का.