किसने सोचा था कि अस्पताल में लाशों के बीच इलाज चलता रहेगा. किसने सोचा था कि अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर घंटों इंतजार करना पड़ जाएगा. आखिर किसने सोचा था, कि राजा हो या रंक, अंतिम यात्रा में न तो उसकी अर्थी सजेगी और न ही अर्थी को कोई कंधा देगा. एक महामारी ने सबकुछ बदलकर रख दिया है. देखें ये रिपोर्ट.