scorecardresearch
 

12 साल से छोटे बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल करेगी Pfizer, 6 महीने के बच्चे भी होंगे शामिल

दुनिया के कई देशों में 12 साल से ऊपर के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है और अब इससे छोटे बच्चों की वैक्सीन पर काम हो रहा है. अमेरिकी कंपनी फाइजर 12 साल से छोटे बच्चों पर एक बड़ा क्लीनिकल ट्रायल करने जा रही है, जिसके नतीजे सितंबर तक आ सकते हैं.

Advertisement
X
ये ट्रायल अमेरिका समेत पोलैंड, फिनलैंड और स्पेन में भी होगा. (फाइल फोटो-PTI)
ये ट्रायल अमेरिका समेत पोलैंड, फिनलैंड और स्पेन में भी होगा. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ट्रायल में करीब 4,500 बच्चे होंगे शामिल
  • 6 महीने से 11 साल तक के बच्चों पर ट्रायल

अमेरिका, कनाडा समेत दुनिया के कई देशों में 12 साल या उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है और अब इससे छोटे बच्चों की वैक्सीन पर काम हो रहा है. अमेरिकी कंपनी फाइजर ने ऐलान किया है कि वो जल्द ही 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर एक बड़ा क्लीनिकल ट्रायल करने जा रही है. इस ट्रायल में 6 महीने से लेकर 11 साल तक के 4,500 बच्चों को शामिल किया जाएगा. ये ट्रायल अमेरिका के अलावा पोलैंड, फिनलैंड और स्पेन के बच्चों पर भी होगा.

फाइजर के मुताबिक, फेज-1 के ट्रायल में 144 बच्चों को शामिल किया गया था और उसके नतीजे बेहतर रहे हैं. इसके बाद कंपनी ने ज्यादा बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल करने का फैसला लिया है. फाइजर ने बताया कि 5 से 11 साल के बच्चों को 10 माइक्रोग्राम का एक डोज और 5 महीने से 5 साल के बच्चों को 3 माइक्रोग्राम की एक डोज दी जाएगी.

पैरेंट्स ने लगाई है वैक्सीन तो कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए नहीं होगी घातक: एक्सपर्ट

फाइजर के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि 5 से 11 साल के बच्चों के ट्रायल का नतीजा सितंबर तक आने की उम्मीद है और उसके बाद इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी जाएगी. वहीं, 2 से 5 साल के बच्चों का डेटा इसके बाद ही आएगा. जबकि, 6 महीने से 2 साल के बच्चों का डेटा अक्टूबर या नवंबर में आने की उम्मीद है.

Advertisement

जानकार मानते हैं कि अगर कोरोना के खिलाफ 'हर्ड इम्युनिटी' तक पहुंचना है तो ज्यादा से ज्यादा बच्चों और युवाओं को वैक्सीनेट करना होगा. हालांकि, mRNA वैक्सीन के साथ अमेरिका समेत कई देशों में दिल में सूजन के मामले भी सामने आए हैं. पिछले हफ्ते इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि जिन युवाओं को फाइजर की वैक्सीन लगी है, उनमें खासतौर से पुरुषों में मायोकार्डिटिस (दिल में सूजन) की शिकायत सामने आ रही है. हालांकि, ये समस्या ज्यादा लंबे वक्त के लिए नहीं है और कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है. हालांकि, फाइजर का कहना है कि मायोकार्डिटिस और वैक्सीन का कोई लिंक नहीं है. फाइजर और मॉडर्ना दोनों ही mRNA बेस्ड वैक्सीन है.

मॉडर्ना-फाइजर जैसी वैक्सीन की मंजूरी में होगी आसानी, DCGI ने उठाया ये बड़ा कदम

बहरहाल, 12 साल से छोटे बच्चों पर ट्रायल होना भारत के लिए भी अच्छी खबर है क्योंकि जल्द ही फाइजर को भारत में मंजूरी मिल सकती है. हालांकि, अभी ये मंजूरी 18 साल से ऊपर के युवाओं के लिए ही रहेगी. लेकिन अगर 12 साल से छोटे बच्चों पर फाइजर का ट्रायल सफल होता है तो भारत में भी छोटे बच्चों को फाइजर की वैक्सीन लग सकती है. इससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को वैक्सीनेट करने में मदद मिलेगी. भारत में कोवैक्सीन 2 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों पर ट्रायल कर रही है.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement