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कोरोना वॉरियर्स से ये कैसा बर्ताव? जिस पुणे में सबसे ज्यादा एक्टिव केस, वहीं डॉक्टरों-नर्सों की कट रही सैलरी

महाराष्ट्र के पुणे में इस वक्त राज्य के सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं. लेकिन यहीं के कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों-नर्सों को आधी सैलरी मिल रही है. मेडिकल स्टाफ का दावा है कि पहले जितनी सैलरी पर रखा गया था, अब उसका 50% काटकर दिया जा रहा है.

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पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग परिसर में बना कोविड अस्पताल
पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग परिसर में बना कोविड अस्पताल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मेडिकल स्टाफ की शिकायत- 50% कम मिल रही सैलरी
  • पहले डॉक्टरों को 90,000 और नर्सों को 40,000 मिलती थी तनख्वाह
  • अस्पताल की व्यवस्था देखने वाली कंपनी ने बताई वजह

महाराष्ट्र का पुणे जिला. राज्य के किसी भी दूसरे जिलों की तुलना में कोरोना के सबसे ज्यादा एक्टिव केस यहीं पर हैं. मार्च के आखिरी हफ्ते में यहां से हर दिन तीन हजार से लेकर चार हजार नए पॉजिटिव केस रिपोर्ट हो रहे हैं. लेकिन यहां कोविड अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों-नर्सों ने सैलरी में कटौती करने की शिकायत की है. उनका दावा है कि पहले जितनी सैलरी तय हुई थी, अब उसका 50% काट कर सैलरी दी जा रही है. बता दें कि पुणे में फिलहाल 59,475 एक्टिव केस हैं.

ऐसे में मरीजों के इलाज के लिए पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ में तीन जम्बो कोविड अस्थायी अस्पताल फिर एक्टिव हो गए हैं. ऐसा ही एक जम्बो अस्पताल पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (PMC) ने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग यानी CoEP के परिसर में पिछले साल तैयार किया था. 600 बेड्स की व्यवस्था वाला ये अस्पताल तीन जम्बो अस्थायी अस्पतालों में सबसे बड़ा था. कोरोना केसों की संख्या फिर तेजी से बढ़ने के बाद PMC को इस अस्पताल को नए सिरे से एक्टिव करना पड़ा है. इस अस्पताल में 250 सामान्य और 25 आईसीयू बेड्स काम कर रहे हैं. लेकिन यहां के डॉक्टर्स और नर्सों में उनके भुगतान में कटौती होने की वजह से नाराजगी है.   

CoEP ग्राउंड जम्बो अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, “कोरोना महामारी का प्रकोप जब बहुत ज्यादा था, तब डॉक्टर की 90,000 रुपए और नर्स की 40,000 रुपए सैलरी तय की गई थी. लेकिन डॉक्टर्स और नर्सों को तय की हुई पूरी सैलरी और समय पर न मिलने की शिकायत रही. पिछले साल के आखिरी महीनों में उन्होंने धरना और नारेबाजी कर विरोध भी जताया था.’  

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डॉक्टर ने आगे कहा कि ‘कोरोना एक बार फिर जब बढ़ रहा है, तो जिस कंपनी ने अस्पताल का कॉन्ट्रैक्ट ले रखा है उसने डॉक्टर्स और नर्सों के वेतन में 50% तक की कटौती कर दी है. अब ICU संभालने वाले MBBS डॉक्टर्स को इस महीने 45,000 रुपए ही वेतन दिया जा रहा है.’  

CoEP ग्राउंड जंबो कोविड अस्पताल की व्यवस्था देखने वाली कंपनी मेडब्रास के डीन डायरेक्टर डॉक्टर श्रेयांस कपाले से इस बारे में जब बात की गई तो उन्होंने डॉक्टर्स और नर्सों के वेतन में कटौती किए जाने की पुष्टि की. डॉक्टर कपाले के मुताबिक, पिछले साल कोरोना केसों की संख्या बहुत ज्यादा थी, इलाज को लेकर ज्यादा जानकारी भी नहीं थी. ऐसे में डॉक्टर्स और नर्सों को भी डर था. उन्हें ज्यादा तनख्वाह दिया जाना जरूरी था, जिससे मरीजों का तत्काल इलाज किया जा सके. इन्सेंटिव के तौर पर उनका पारिश्रमिक बढ़ाया गया था. जैसे कोरोना महामारी से पहले किसी नर्स को 18,000 रुपए वेतन मिलता था, तो उसे बढ़ाकर 35 से 40 हजार कर दिया गया. इसी तरह डॉक्टर्स का वेतन 45 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दिया गया था. लेकिन अब डॉक्टर्स और नर्सों को ऐसे इलाज का अनुभव है. उन्हें किसी तरह का डर नहीं है. ऐसे में अब उनके वेतन में कटौती की गई है.”  

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पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की अतिरिक्त आयुक्त रूबल अग्रवाल से जब CoEP ग्राउंड जम्बो अस्पताल के डॉक्टर्स की शिकायत पर रुख जानना चाहा तो फोन पर कोई जवाब नहीं मिला. पुणे शहर के मेयर मुरलीधर मोहोल के मुताबिक, सभी जम्बो अस्पतालों को कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक पैसे दिए जा रहे हैं. इस जम्बो अस्पताल के डॉक्टर्स और नर्सों के वेतन में क्यों कटौती की गई, इस मामले पर गौर किया जाएगा. 

इस बीच, कम वेतन की शिकायत करने वाले डॉक्टरों ने राज्य के उपमुख्यमंत्री और पुणे जिले के गार्डियन मंत्री अजीत पवार से इस मामले में दखल देने के लिए कहा है. इन डॉक्टरों का कहना है कि कम से कम हर महीने 60,000 रुपए तो दिए जाएं.

 

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