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Corona Virus: बच्चों पर कोरोना के खतरे के बावजूद स्कूल बंद करने के पक्ष में क्यों नहीं एक्सपर्ट?

Coronavirus Among Kids India: कोरोना की नई लहर में बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों में कई बच्चे संक्रमित मिल चुके हैं. हालांकि, इसके बावजूद पैरेंट्स और एक्सपर्ट स्कूल बंद करने का विरोध कर रहे हैं.

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दिल्ली के स्कूलों में अभी ऑफलाइन क्लासेस ही जारी रहेंगी. (फाइल फोटो-PTI)
दिल्ली के स्कूलों में अभी ऑफलाइन क्लासेस ही जारी रहेंगी. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पैरेंट्स बोले- वायरस के साथ जीना होगा
  • एक्सपर्ट ने कहा, स्कूल बंद नहीं होने चाहिए
  • एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चों में हल्के लक्षण

Coronavirus Among Kids India: देश में कोरोना की रफ्तार एक बार फिर तेज हो गई है. सबसे ज्यादा मामले दिल्ली-NCR में सामने आ रहे हैं. 24 घंटे में कोरोना के 2,380 नए मामले सामने आए हैं. इनमें से 1,009 अकेले दिल्ली के हैं. दिल्ली-NCR में कोरोना की नई लहर में बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं. कई स्कूलों में अब तक सैकड़ों बच्चे पॉजिटिव मिल चुके हैं. हालांकि, बच्चों के संक्रमित मिलने के बावजूद भी एक्सपर्ट और पैरेंट्स स्कूल बंद करने का विरोध कर रहे हैं. 

बुधवार को कोरोना के हालातों पर दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) की बैठक भी हुई थी. इस बैठक में स्कूल बंद नहीं करने का फैसला लिया है. एक अधिकारी ने बताया कि स्कूल बंद नहीं होंगे और ऑफलाइन क्लासेस जारी रहेंगी. स्कूलों को सभी मामलों की जानकारी तुरंत शिक्षा विभाग को देने को कहा गया है. एक्सपर्ट की सलाह के बाद स्कूलों के लिए अलग से SOP जारी की जाएगी. 

हालांकि, हरियाणा के शिक्षा विभाग ने स्कूलों को आदेश दिया है कि वो किसी भी छात्र को ऑफलाइन क्लास अटेंड करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें कहा था कि अगर किसी क्लास में कोई छात्र या टीचर संक्रमित मिलता है तो उस क्लास को बंद कर दिया जाएगा, जबकि बाकी क्लासेस ऑफलाइन चलती रहेंगी. 

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इन सबके बावजूद जब कोरोना की नई लहर का खतरा बच्चों पर बढ़ता जा रहा है तब भी पैरेंट्स और एक्सपर्ट का मानना है कि स्कूल बंद नहीं किए जाने चाहिए. उनका कहना है कि स्कूल बंद करना कोई हल नहीं है. 

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स्कूल बंद करने का विरोध क्यों?

पैरेंट्स की क्या है राय?

- तान्या अग्रवाल 6 साल के बच्चे की मां है. वो कहती हैं, जब बाकी जगह खुली हुई हैं तो स्कूलों को टारगेट क्यों किया जा रहा है. ज्यादातर मामलों में बच्चों में हल्के लक्षण हैं या कोई लक्षण नहीं है. ऑनलाइन क्लास से बहुत नुकसान होता है. बच्चों में आंखों की दिक्कतें, सीखने की कमी और मेंटल हेल्थ जैसी समस्याएं हो रहीं हैं. हम कई सारी बीमारियों और खतरों के साथ जी रहे हैं और इसलिए हमें अब इस वायरस के साथ जीने के तरीकों को ढूंढना होगा, क्योंकि ये कहीं नहीं जाने वाला. 

- सिमरन खारा भी 6 साल के बच्चे की मां हैं. वो कहती हैं कि सबसे आखिर में स्कूल बंद होने चाहिए. दो साल से स्कूल बंद होने से पढ़ाई पर असर हुआ है. ये बच्चों के लिए ठीक नहीं है. मॉल, ट्रैवल, सिनेमा हॉल, शादियां जब सब कुछ पूरी क्षमता से हो रहा है तो फिर स्कूल को बंद करना बेकार है.

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- श्रीयांका कक्कड़ दिल्ली के रहने वाले हैं. उनका बच्चा दूसरी क्लास में पढ़ता है. कक्कड़ कहते हैं कि मेरा मानना है कि अब ये महामारी सामान्य फ्लू से ज्यादा नहीं रह गई हैं, इसलिए हमें इससे निपटने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए सबकुछ रोक देना सही नहीं है. कोविड अब यहीं रहेगा. स्कूलों को खुले रखना चाहिए और बच्चों को अपनी जिंदगी जीने देना चाहिए. ऑनलाइन क्लास से बच्चों की मेंटल हेल्थ और विकास पर नुकसान पड़ता है. उनका कहना है कि कोविड के स्ट्रेन फ्लू या वायरल की तरह आ या जा सकते हैं और हमें प्रोटोकॉल बनाते हुए जरूरी सावधानियां बरतने की जरूरत है.

स्कूलों को कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने को कहा गया है. (फाइल फोटो-PTI)

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता का कहना है कि सबको पता है कि BA.1 और BA.2 फैल रहा है, लेकिन इससे आम फ्लू जैसी बीमारी हो रही है, तो स्कूलों को बंद करने की जरूरत नहीं है. अगर संक्रमण बढ़ता है, तो भी सबकुछ खुला ही रहेगा, फिर स्कूलों को ही बंद क्यों किया जाना चाहिए?

- वहीं, IMA से जुड़े डॉ. राजीव जयदेवन मानते हैं कि स्कूलों को बंद करना सही उपाय नहीं है. उनका कहना है कि महामारी अब भी हमारे बीच में है और बच्चों के संक्रमित होने की आशंका बनी ही हुई है. पहले ही दो साल से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. उनका कहना है कि अगर कोई नया वैरिएंट आता है और हालात बिगड़ते हैं तो फिर दूसरे उपायों की जरूरत पड़ सकती है.

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बच्चों में संक्रमण, क्या घबराने की जरूरत?

- एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पिछली लहरों का डेटा बताता है कि अगर बच्चे संक्रमित हो भी जाते हैं तो उनमें हल्के लक्षण होते हैं और वो जल्दी ठीक हो जाते हैं. 

- महामारी विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया कहते हैं कि स्कूल खुले हैं, इसलिए बच्चे संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन उनमें हल्के लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल खुलने से पहले जब सीरो सर्वे कराए गए थे, तब उसमें भी सामने आया था कि 70 से 90 फीसदी बच्चे पहले ही कोरोना संक्रमित हो चुके हैं.

- वहीं, ICMR के एडीजी समीरन पांडा का कहना है कि बच्चे भी वयस्कों की तरह संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उनमें गंभीर बीमारी या मौत का खतरा बहुत कम होता है. उन्होंने बच्चों को स्कूल में अपना खाना शेयर न करने की सलाह दी है. साथ ही स्कूलों में मास्क का इस्तेमाल और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा है.

 

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