एक तरफ जहां पूरा मध्य प्रदेश कोरोना की चपेट में है और सूबे के 50 जिलों में कोरोना के मामले अबतक सामने आ चुके हैं वहीं राज्य के 30 गांव ऐसे भी हैं जहां कोरोना का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है. ये हैं मध्य प्रदेश के वो आयुष गांव जहां आयुर्वेद के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों को जागरुक किया जाता है.
आखिर क्या है आयुष गांव और कैसे ये यहां कोरोना की है नो एंट्री पढ़िए, इस ग्राउंड रिपोर्ट में.
आयुर्वेदिक जीवन शैली पर जोर
देश में इन दिनों कोरोना महामारी का कहर है. हिंदुस्तान का दिल मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं. एमपी में अब तक कोरोना के 7 हजार से ज़्यादा मामला सामने आ चुके हैं और यहां 300 से ज्यादा लोगों की अब तक कोरोना से मौत हो चुकी है.
लेकिन इन सब के बीच मध्य प्रदेश के 30 गांव ऐसे हैं जहां अब तक कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है. ये कोई मामूली गांव नहीं बल्कि आयुष विभाग द्वारा चिन्हित आयुष गांव हैं जहां लोगों को उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक जीवन शैली अपनाने के लिए जागरुक किया जाता है.
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इन गांवों में देसी तरीके से इलाज के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी टिप्स भी दिए जाते हैं. यहां आयुष विभाग की टीम सालभर सर्वे करती है और कैंप भी लगाती है. यहां के गांव वालों को आयुष विभाग आयुर्वेदिक काढ़े से लेकर आयुर्वेदिक दवाइयों तक का वितरण करता है.
आयुष पद्धतियों से चलने की सीख
इस गांव के लोगों को मौसमी फल और सब्जियों के सेवन से लेकर आयुष पद्धतियों के बारे में बताया जाता है. कोरोना के चलते जहां लोगों में खौफ है तो वहीं आयुष गांव के लोग आयुर्वेद के साथ कोरोना को अब तक हराते दिख रहे हैं.
मध्य प्रदेश के 30 गांवों से में एक आयुष गांव भोपाल से सटा कालापानी गांव है. आखिर आयुष गांव अबतक कोरोना मुक्त कैसै हैं ये जानने के लिए आजतक की टीम ने कालापानी गांव का दौरा किया.
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यहां पहुंचते ही हमने देखा कि आयुष विभाग की टीम यहां लोगों की स्क्रीनिंग कर रही थी. इस स्क्रीनिंग के जरिए लोगों में कोरोना के शुरुआती लक्षण यानि बुखार का पता लगाया जाता है जिसके आधार पर बाद में उनका टेस्ट लिया जाता है.
यही नहीं, यहां बकायदा घर-घर जाकर लोगों को आयुष विभाग की टीम काढ़ा भी बांटती दिखी. इन गांवों में लगातार सैनिटाइज़ेशन भी होता रहता है.
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के सभी आयुष गांवों में मार्च के पहले हफ्ते से ही आयुर्वेदिक काढ़ा बांटने का काम शुरू कर दिया गया था और लोगों को बकायदा इसके सेवन के लिए जागरुक किया गया था.
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गांव के हर घर में काढ़ा बनता दिख जाएगा. केंद्र सरकार भी स्पष्ट कर चुकी है कि कोरोना को हराने के लिए इम्युनिटी को मज़बूत करना ज़रूरी है. कालापानी गांव के हर घर में रोजाना लोग काढ़े का सेवन करते हैं.
लगातार जागरुक किया जा रहाः आयुष विभाग
आयुष विभाग के प्रभारी उपसंचालक डॉक्टर राजीव मिश्रा ने 'आजतक' से बात करते हुए बताया कि कालापानी गांव की आबादी करीब 7 हज़ार 200 है. यहां आयुष विभाग के आयुर्वेदिक दवाखाने की दीवारों पर मौसम के हिसाब से दिनचर्या बताई गई है जिसे यहां के गांव वालों ने अपनाया और खुद को फिलहाल कोरोना से सुरक्षित रखा है. यहां लोगों को योग के प्रति भी जागरुक किया जाता है ताकि वो स्वस्थ रहें. यही वजह है कि कोरोना जैसी बीमारी कालापानी गांव में भी एंट्री नहीं कर सकी है.
मध्य प्रदेश आयुष विभाग के कमिश्नर एमके. अग्रवाल के मुताबिक आयुष गांव में गांववालों को आयुष जीवन शैली के तरीके अपनाने के टिप्स दिए जा रहे हैं और यहां लगने वाले कैम्प में आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य रक्षा के उपाय, दिनचर्या और ऋतुचर्या का पालन करने की सलाह दी जाती है.
कमिश्नर एमके अग्रवाल के मुताबिक मध्य प्रदेश के 11 जिलों के 30 आयुष गांवों में मार्च से ही आयुर्वेदिक काढ़ा बांटना शुरू कर दिया गया था ताकि लोगों की इम्युनिटी बढ़ाई जा सके. आयुष कमिश्नर के मुताबिक कोरोना संकट के दौरान आयुष विभाग की दवाइयों और औषधियों की मांग इतनी तेज़ी से बड़ी है कि बीएसएफ जैसे अर्धसैनिक बलों से भी उसे काढ़े और आयुर्वेदिक तेल के ऑर्डर आ चुके हैं.
फिलहाल कोरोना का संकट खत्म नहीं हुआ है और यही वजह है कि आयुष विभाग की टीमों ने आयुष गांव को कोरोना से जंग में एक आदर्श गांव बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है.
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दूसरी तरफ कोरोना के ज्यादातर मामले और मौतें उन लोगों में देखने को मिली हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है और इसलिए माना जा रहा है कि वोकल फॉर लोकल का जो मंत्र पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को दिया है उसे ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद में यदि कोरोना की काट ढूंढी जाए तो इसे पूरी दुनिया में पहचान मिल सकेगी.