आगरा की रहने वाली इस लड़की को सेप्टीसीमिया की शिकायत थी और इस कारण घर वालों ने उसे आगरा के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया था.
इस लड़की को पहले आगरा के मेडिकल कॉलेज में दिखाया गया और बाद में तबीयत खराब होने पर आगरा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सरकारी अस्पताल में दिखाया गया लेकिन वहां डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया और सर्जरी की बात कर केस आगे के लिए रेफर कर दिया. डॉक्टर की ओर से परिजनों को बताया गया कि अब इसकी सर्जरी किए जाने की जरुरत है जिसकी सुविधा आगरा के अस्पताल में नहीं है.
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9 अप्रैल को जयपुर पहुंचा परिवार
जयपुर के जेके लोन अस्पताल में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात से बच्चे इलाज के लिए आते हैं. 9 अप्रैल को यह लड़की अपने घर वालों के साथ जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पहुंची जहां सर्जरी की सुविधा थी.
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आगरा के अस्पताल से रेफर होने की वजह से इसे यहां पर भर्ती कर लिया गया लेकिन 11 अप्रैल की रात उसकी मौत हो गई. हालांकि इससे पहले जयपुर के डॉक्टरों ने इसमें कोराना के लक्षण देखे और तुरंत जांच के लिए सैंपल ले लिए थे.
अब समस्या यह हो गई है कि बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल में सैंपल लेने के समय डॉक्टरों ने पीपीई किट का इस्तेमाल नहीं किया था और आगरा से लेकर जयपुर तक बच्ची न जाने कितने लोगों के संपर्क में आई होगी, इसका भी पता नहीं है. इसे देखते हुए जेके लोन अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है.
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जयपुर में अब तक 2 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में ठीक से जांच नहीं होना अभी बड़ी समस्या बनी हुई है.