कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए डायमंड नगरी सूरत में कुछ डायमंड फैक्टरी के मालिकों ने स्वदेशी तरीका ढूंढ़ निकाला, लेकिन उनका यह जुगाड़ काम न आया और प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया.
सूरत के कापोदरा इलाके में स्थित क्रिनल जेम्स नामक डायमंड फैक्टरी है, यहां भी डायमंड वर्कर कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए काम करते नज़र आए, मगर यहां अन्य डायमंड फैक्ट्रियों से कुछ अलग है तो वो है डायमंड कटिंग पॉलिशिंग मशीन (घंटी) पर लगे कार्ड बोर्ड.
इस डायमंड फैक्टरी के मालिक मिलन भाई बताते हैं कि फैक्टरी में काम करने वाले डायमंड वर्करों में कोरोना संक्रमण ना फैले इसलिए घंटी के बीच में कार्डबोर्ड यानी पुट्ठा लगा दिया, लेकिन प्रशासन ने उनके इस आइडिया को फेल कर दिया है और एक घंटी पर चार या दो वर्करों के बैठने के बजाए सिर्फ एक वर्कर के काम करने की इजाजत दी है.
सूरत की डायमंड फैक्टरी क्रिनल जेम्स की ही तरह और भी डायमंड फैक्ट्रियों के मालिकों ने कोरोना के सीधे संक्रमण से बचने के लिए यह तरीका अपनाया था, लेकिन इस फैक्टरी की तरह सभी डायमंड फैक्टरी का यह तरीक़ा प्रशासन ने फेल कर दिया और जिसके तहत एक घंटी पर एक ही डायमंड वर्कर काम कर सकता है.
क्रिनल जेम्स में काम करने वाले डायमंड वर्कर अश्वनी भाई ने बताया कि उनकी डायमंड फैक्टरी में वर्करों के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए कई स्टेप लिए जाते हैं, फैक्टरी में प्रवेश करने से पूर्व तापमान भी चेक किया जाता है. सैनिटाइज किया जाने के साथ-साथ काढ़ा भी पिलाया जाता है.
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कोरोना की वजह से डायमंड उद्योग को भी भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है. सामान्य दिनों में जहां डायमंड फैक्टरी में 100 प्रतिशत डायमंड वर्कर काम करते थे तो कोरोना के समय सिर्फ 25 प्रतिशत ही वर्कर काम कर रहे हैं.
सूरत की डायमंड फैक्टरी के मालिकों द्वारा डायमंड मशीन (घंटी) पर कार्डबोर्ड लगाने के उनके नायाब तरीक़े को रद्द कर प्रशासन ने और भी आर्थिक चोट दी है, लेकिन क्या करे कोई कोरोना सभी पर भारी जो पड़ रहा है.