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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान सरकार का फैसला, टीका लगाना होगा अनिवार्य

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वैक्सीन लगाना कोई अधिकार नहीं है, लेकिन वैक्सीन लगाने पर कोई मना नहीं कर सकता है. लोगों को कुछ समय दिया जाए.

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कोरोना की रोकथाम को लेकर गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है
कोरोना की रोकथाम को लेकर गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान में 160 दिन बाद 42 संक्रमित मिले
  • प्रदेश सरकार ने लिया सख्ती बढ़ाने का फैसला

राजस्थान में कोरोना संक्रमण के साथ ही ओमिक्रॉन का कहर जारी है. सूबे में 160 दिन के बाद कोरोना के ज्यादा 42 मामले सामने आए हैं. इसके चलते प्रदेश सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला लिया है. गहलोत सरकार ने राजस्थान में राजस्थान वैक्सीन लगवाने को अनिवार्य करने का फैसला लिया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने को सरकारी योजनाओं के लाभ से जोड़कर देखा जाए. जो वैक्सीन नहीं लगवाएगा उसे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा. 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वैक्सीन लगाना कोई अधिकार नहीं है, लेकिन वैक्सीन लगाने पर कोई मना नहीं कर सकता है. लोगों को कुछ समय दिया जाए. लेकिन वैक्सीन लगवाने को सरकारी योजनाओं के लाभ से जोड़कर देखा जाए. लिहाजा जो भी अब वैक्सीन नहीं लगवाएगा उसे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा. इसके साथ ही मास्क लगाने को कानून की तरह बनाएं.  

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में नाइट कर्फ्यू पर भी सख्ती बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इसके तहत राजस्थान में मास्क पहनने और नाइट कर्फ़्यू को सख्ती से लागू किया जाएगा. वहीं स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने कहा कि नए साल पर जश्न से पहले पाबंदियां लगाना जरूरी है, अन्यथा कोरोना संक्रमण फैल सकता है. 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार ने बूस्टर डोज के लिए केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाने का फ़ैसला किया है. बता दें कि सूबे में ओमिक्रॉन के 22 केस सामने आ चुके हैं. राजस्थान में अभी तक 70 फीसदी को ही दोनों डोज लगी हैं.

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