बीते मार्च महीने में मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को एक तोहफा दिया था. दरअसल, सरकार ने अपने केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी के लिए महंगाई भत्ते में चार फीसदी का इजाफा कर दिया.
इस बढ़ोतरी के बाद कर्मचारियों को 17 की बजाए 21 फीसदी महंगाई भत्ता मिलने की उम्मीद थी. लेकिन अब सरकार ने इस बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है. ये रोक जुलाई 2021 तक के लिए लागू है. मतलब ये कि अब केंद्रीय कर्मचारी या पेंशनभोगी को करीब 18 महीने तक सिर्फ 17 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा.
सरकार को होगी कितनी बचत
महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को रोकने के इस कदम से केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 और अगले वित्त वर्ष 2021-22 में कुल मिलाकर 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी. आमतौर पर इस मामले में राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार का अनुसरण करतीं हैं. अगर राज्य सरकारें भी जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ते की बढ़ी दर पर भुगतान नहीं करती हैं तो उन्हें 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत होगी. कुल मिलाकर केंद्र और राज्यों के स्तर पर इससे 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.
सरकार के इस फैसले का असर करीब 48 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स पर पड़ने की आशंका है. हालांकि, कोरोना संकट से जूझ रहे देश के सरकारी खजाने को राहत मिल सकती है. इस फैसले से सरकारों को राजस्व के संग्रह में आ रही कमी के संकट से जूझने में मदद मिलेगी.
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क्या होता है डीए?
केंद्रीय कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए महंगाई भत्ता (डीए) दिया जाता है. महंगाई भत्ते की गणना बेसिक सैलरी के आधार पर होती है. केंद्र सरकार साल में दो बार डीए में बदलाव करती है.पहला जनवरी से जून के पीरियड के लिए जबकि दूसरी बार जुलाई से दिसंबर के लिए होता है. इसका मकसद महंगाई में बढ़ोतरी की भरपाई करना होता है.