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बिहार के पास टेक्नीशियन नहीं, बेकार पड़े वेंटिलेटरों को निजी अस्पतालों को देगी सरकार

बिहार में टेक्नीशियन की कमी के कारण सरकार के पास जो वेंटिलेटर हैं, उन्हें अब निजी अस्पतालों को तीन माह के लिए दिया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से विज्ञापन जारी किया गया है. वहीं इस मामले पर नेता विपक्ष ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. 

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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव.
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तीन महीने के लिए वेंटिलेटर दे रही सरकार
  • बिहार सरकार के पास टेक्नीशियन नहीं
  • चलती हुई हालत में वापस करने होंगे वेंटिलेटर 

कोरोना काल में बिहार की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई परत दर परत खुलती जा रही है. बिहार के सरकारी अस्पतालों से वेंटिलेटर के धूल फांकने की खबरें लगातार आ रही हैं. जिलों से शिकायत आ रही हैं कि अस्पतालों में वेंटिलेटर तो हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाले टेक्नीशियन नहीं हैं. जिसकी वजह से मशीनें अस्पताल में पड़े-पड़े धूल फांक रही हैं.

निजी अस्पतालों को देंगे वेंटिलेटर
बिहार के सरकारी अस्पतालों में पहले से ही वेंटिलेटर की कमी है. बीते साल केंद्र से मदद मिलने के बाद कुछ वेंटिलेटर आए तो जरूर, लेकिन चल नहीं पाए. अब कोरोना की दूसरी लहर के आते ही बिहार सरकार के हाथ पांव फूलने लगे हैं. पहले तो मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति का आदेश दिया और अब अस्पतालों में बंद पड़े वेंटिलेटर को निजी अस्पतालों को सौंपने का फैसला लिया है.

स्वास्थ्य समिति ने जारी किया विज्ञापन 
बिहार स्वास्थ्य समिति की तरफ से इसके लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है. इसके जरिए निजी अस्पतालों को वेंटिलेटर लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. विज्ञापन में जिलावार उपलब्ध वेंटिलेटर की लिस्ट जारी की गई है. राज्य स्वास्थ्य समिति ने कहा है कि कोरोना संक्रमण में जिला स्तर पर चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यशील होने की वजह से सिविल सर्जन और डीएम द्वारा अनुरोध किया जा रहा है कि इन वेंटिलेटर का निजी क्षेत्र में कार्यरत अस्पतालों के सहयोग से संचालन किया जाए.

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तीन माह के लिए दिए जाएंगे वेंटिलेटर 
समिति ने कहा है कि यदि कोई अस्पताल जिला स्तर पर उपलब्ध वेंटिलेटर का उपयोग करना चाहता है तो वह आवश्यक दक्ष मानव बल की सूची के साथ सिविल सर्जन को आवेदन दे सकता है. आवेदन के आलोक में संबंधित अस्पताल का निरीक्षण करने पर यदि उक्त अस्पताल वेंटिलेटर को संचालित करने हेतु सक्षम पाया जाता है, तो जिला स्तर पर पर उपलब्ध वेंटिलेटर को निजी अस्पतालों को अगले 3 माह के लिए आवंटित किया जाएगा.

2 हजार की सहूलियत 
समिति के मुताबिक वेंटिलेटर आवंटित होने पर इसका इलाज हेतु उपयोग किए जाने की स्थिति में भर्ती मरीजों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से 2 हजार रुपये प्रतिदिन से कम की राशि निजी अस्पतालों द्वारा ली जाएगी. वहीं संबंधित अस्पताल से प्राप्त आवेदन के आधार पर यदि किसी जिले में उपलब्ध वेंटिलेटर से ज्यादा संख्या हेतु आवेदन प्राप्त होते हैं और अस्पताल योग्य पाए जाते हैं, तो अन्य जिलों में रखे वेंटिलेटर भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं. निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराए गए वेंटिलेटर निर्धारित अवधि के बाद चलती हुई हालत में ही संबंधित सिविल सर्जन को वापस करने होंगे.

तेजस्वी ने साधा सीएम नीतीश पर निशाना
वहीं बिहार सरकार के इस फैसले पर नेता प्रतिपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'हे भगवान! हमारे बिहार की क्या दुर्दशा कर दी 16 वर्षों के CM नीतीश कुमार और भाजपा ने? बिहार में वेंटिलेटर चलाने के लिए सरकारी अस्पतालों में टेक्निशियन नहीं है इसलिए सरकारी वेंटिलेटर अब निजी अस्पतालों को दिए जा रहे हैं. बेशर्मों, और जंगलराज का रोना रोइए.'

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