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कोरोना

कोरोना का कहर रोकने में ज्यादा सफल है वुमन पावर? ये देश हैं नजीर

कोरोना का कहर रोकने में ज्यादा सफल है वुमन पावर? ये देश हैं नजीर
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अगर आपको कोरोना वायरस महामारी में किसी देश के नेतृत्व की काबिलियत को देखना है. तो उन देशों को देखिए जहां महिलाएं सुप्रीम लीडर हैं. यहां सुप्रीम ली़डर कहने का मतलब है जिनके फैसले से इस महामारी ने उनके देश में घुटने टेक दिए हैं. दूसरे देशों के पुरुष लीडर्स की तुलना में ये महिलाएं दुनिया के सामने मिसाल बनकर सामने आई हैं. खासकर यह देखते हुए कि विश्व के नेताओं में महिलाएं 7 प्रतिशत से भी कम हैं. आइए जानते हैं कि ये कौन से देश हैं और ये महिला लीडर्स कौन हैं?

कोरोना का कहर रोकने में ज्यादा सफल है वुमन पावर? ये देश हैं नजीर
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एंजेला मर्केल, चांसलर, जर्मनी

जर्मनी में कोरोना वायरस की वजह से एक लाख से ज्यादा लोग बीमार हुए, लेकिन मौतों के केस कम हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल के फैसले. एंजेला ने शुरुआती दौर में ही लोगों को चेतावनी दी. लॉकडाउन लगाया. कहा कि ये बीमारी खतरनाक है, हमारी 70 फीसदी आबादी को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने तत्काल सारे एहतियाती कदम उठाए. कई प्रतिबंधों और पाबंदियों के साथ जागरुकता और सोशल डिस्टेंसिंग का जरूरी तौर पर पालन करने का आदेश दिया. तब जाकर जर्मनी की स्थिति सुधरी. (फोटोः IANS)
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साइ इंगवेन, राष्ट्रपति, ताइवान

कोरोना के हमले के साथ ही सबसे तेज रिसपॉन्स देने वाली लीडर्स में से एक हैं ताइवान की लीडर साइ इंगवेन. जनवरी में जैसे ही इन्हें कोरोना के लक्षणों और संक्रमण का पता चला. इन्होंने तत्काल 124 कड़े नियम लागू कर दिए. नतीजा ये हुआ कि ताइवान में कोरोना के संक्रमण को बिना लॉकडाउन के ही नियंत्रित कर लिया गया. अब साइ इंगवेन की कहने पर ताइवान की सरकार 1 करोड़ फेस मास्क अमेरिका और यूरोप भेज रही है. ताइवान में कोरोना से सिर्फ 6 मौतें हुईं. (फोटोः AFP)
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जेसिंडा आर्डर्न, प्रधानमंत्री, न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कोरोना से अपनी लड़ाई 14 मार्च को शुरू की थी. उन्होंने देश में आने वाले सभी लोगों को 14 दिन के सेल्फ आइसोलेशन में भेजने का फैसला सुना दिया. जैसे ही कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 100 पार हुई, उन्होंने देश में लॉकडाउन लगा दिया. नतीजा ये हुआ कि अप्रैल के मध्य तक कोरोना सिर्फ 4 लोगों की ही जान ले पाया. अब जेसिंडा इस बात का फैसला कर चुकी हैं कि न्यूजीलैंड के कुछ इलाकों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाए जाए ताकि देश फिर से सामान्य हो सके. (फोटोः Reuters)
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कैटरीन जकोब्स्दोतिर, प्रधानमंत्री, आइसलैंड

आइसलैंड एक बेहद खूबसूरत देश है. यहां की आबादी 3.60 लाख के करीब है. सर्दी के मौसम की वजह से यहां कोरोना के फैलने की आशंका भी ज्यादा थी. लेकिन प्रधानमंत्री कैटरीन जकोब्स्दोतिर ने सबसे पहले मुफ्त में कोरोना वायरस जांच शुरु की. इसके बाद उन्होंने तमाम प्रभावशाली कदम उठाए जिनसे कोरोना के फैलने का खतरा रोका जा सकता था. (फोटोः AFP)
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सना मारिन, प्रधानमंत्री, फिनलैंड

फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन पिछले साल दिसंबर में ही देश की लीडर चुनी गईं. पद संभालते ही उनके सामने कोरोना वायरस चुनौती बनकर आया. यूरोप के बाकी हिस्सों की तुलना में फिनलैंड की मृत्यु दर कम है. सना दुनिया की सबसे युवा नेताओं में से एक हैं. 34 वर्षीय सना ने वक़्त रहते वो तमाम उपाय किए जिसकी बहुत जरूरत थी. नतीजा यह रहा कि 55 लाख की आबादी में केवल 59 मौतें हुईं. पूरे देश में तथ्यपरक जानकारियों से लोगों को जागरूक किया. समाज के हर वर्ग से हर उम्र के विख्यात लोगों से कहा कि कोरोना को लेकर जागरुकता फैलाएं. (फोटोः Reuters)
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एरना सोलबर्ग, प्रधानमंत्री, नॉर्वे

नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग ने कोरोना से देशवासियों को बचाने के लिए कारगर उपाय किए. साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए कई नए तरीके अपनाए. उन्होंने टीवी के जरिए बच्चों से सीधी बात की. उनके सवालों के जवाब दिए. उन्होंने समझाया कि संक्रमण रोकने के लिए वे क्या कर सकते हैं. नॉर्वे में कोरोना का संक्रमण रुक गया है. यहां 98 मौतें हुई हैं. (फोटोः AFP)
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मेटे फ्रेड्रिक्सन, प्रधानमंत्री, डेनमार्क

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेड्रिक्सन ने भी एरना सोलबर्ग की तरह ही अपने देश के लोगों से बातचीत की. कोरोना वायरस को लेकर लोगों को जागरूक किया. यहां कोरोना वायरस की वजह से 260 लोगों की मौत हुई लेकिन अब कोरोना के मामले रुक गए हैं. (फोटोः AFP)
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