कोरोना वायरस की महामारी जैसी संकट की घड़ी में जब दुनिया भर के देश एक साथ आ रहे हैं, पाकिस्तान भारत के साथ अपनी दुश्मनी नहीं भुला पा रहा है. पाकिस्तान ने बुधवार को दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (सार्क) की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक का बहिष्कार कर दिया. पाकिस्तान ने दलील दी कि बैठकों की अगुवाई भारत के बजाय संगठन के अध्यक्ष को करनी चाहिए.
सार्क के सदस्य देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, भूटान और मालदीव हैं. इस वक्त संगठन की अध्यक्षता नेपाल के पास है. सार्क देशों ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के असर पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई थी. हालांकि, पाकिस्तान को इस बात पर आपत्ति हो गई कि बैठक का नेतृत्व भारत कर रहा है.
इससे पहले 15 मार्च को भी कोरोना वायरस को लेकर सार्क के सदस्य देशों के बीच कोरोना वायरस के संकट को लेकर बातचीत हुई थी. पाकिस्तान ने इस बैठक में शिरकत करने के लिए अपने एक मंत्री को भेजा था. कोरोना वायरस के संकट को लेकर बुलाई गई कॉन्फ्रेंस में भी पाकिस्तानी मंत्री डॉ. जफर मिर्जा कश्मीर का मुद्दा उठाने से बाज नहीं आए, कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए पाकिस्तानी मंत्री ने कहा था कि कश्मीर में स्वास्थ्य सुविधाओं की बहाली के लिए पाबंदियों में ढील दी जाए.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी किया और सार्क देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल ना होने की वजहें बताईं.
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, संस्थापक सदस्य होने की वजह से पाकिस्तान को विश्वास है कि सार्क क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है. सार्क के व्यापारिक प्रतिनिधियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बुधवार को बैठक हुई लेकिन इस तरह की गतिविधियां तभी प्रभावी होंगी जब सार्क अध्यक्ष इसकी अगुवाई करें. चूंकि आज की वीडियो कॉन्फ्रेंस में अध्यक्ष शामिल नहीं थे इसलिए पाकिस्तान ने इससे बाहर रहने का फैसला किया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आइशा फारूकी ने कहा, सार्क को अगर कोई भी कदम आगे बढ़ाना है तो इसके अध्यक्ष को हर कार्यक्रम और बैठकों में अपनी भूमिका अदा करनी होगी. जब पूरा क्षेत्र अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है तो सभी संस्थाओं की पूरी क्षमता का इस्तेमाल होना चाहिए.
कोरोना वायरस की महामारी की वजह से पाकिस्तान पर गंभीर आर्थिक संकट भी मंडरा रहा है. पाकिस्तान ने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं से आर्थिक मदद मांगी है. कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने के बावजूद पाकिस्तान ने अब तक लॉकडाउन जैसा कदम नहीं उठाया है. उसे डर है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह ढह जाएगी और भुखमरी-गरीबी चरम पर पहुंच जाएगी.