मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच टर्निंग प्वाइंट साल 2005 में आया. जब दोनों भाइयों के बीच मां कोकिलाबेन ने समझौता करवाया. उस वक्त कारोबार के बंटवारे के लिहाज से मुकेश घाटे में थे क्योंकि 2005 में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल से रिफाइनरियों के फायदे पर संकट मंडराने लगा तो वहीं अनिल के हाथ फायदे का सौदा लगा था क्योंकि उस वक्त टेलिकॉम सेक्टर में अनिल के पास काफी अच्छे मौके थे और मोबाइल फोन के बाजार में भारत का भविष्य देखा जा रहा था. लेकिन वक्त बदलते देर नहीं लगा.