सरकार ने जीएसटी में बड़ा बदलाव किया है और इसके तहत आने वाले टैक्स स्लैब को घटाकर दो कैटेगरी में सीमित कर दिया है. अब सिर्फ 5% और 18% की कैटेगरी रहेगी, जबकि 12% और 28% वाले जीएसटी स्लैब को खत्म कर दिया गया है. इसके साथ ही जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक बड़ा फैसला लेते हुए अब इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को जीरो कर दिया है, जो अभी तक 18 फीसदी था. इसे लेकर लंबे समय से मांग उठाई जा रही थी, जिसे सरकार ने मान लिया है. पॉलिसी होल्डर को सरकार के इस फेसले कैसे और कितनी बचत होगी, समझते हैं पूरा कैलकुलेशन...
पहले 18% जीएसटी, अब सीधे खत्म
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म को लेकर ऐलान किए गए. इसके बारे में जानकारी शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए इंडिविजुअल लाइफ और हेल्थ बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी को सीधे '0' फीसदी की कैटेगरी में डाल दिया गया है. मतलब बदलाव लागू होने की तारीख 22 सितंबर 2025 से पॉलिसी होल्डर को किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा. देश में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी की शुरुआत के बाद इंश्योरेंस पर पहली बार ये कटौती की गई है. ये बदलाव सभी पर्सनल यूलिप प्लान, फैमिली फ्लोटर प्लान, सीनियर सिटीजंस प्लान और टर्म प्लान पर लागू होगा.

कैसे होगी पॉलिसी होल्डर को बचत?
सरकार के इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी को खत्म करने से पॉलिसी होल्डर्स को होने वाले फायदे का कैलकुलेशन बेहद आसान है. दरअसल, अगर किसी व्यक्ति का हर महीने बेस जीएसटी प्रीमियम 20,000 रुपये था, जो उस पर अब तक 18 फीसदी के हिसाब से 3600 रुपये का टैक्स भी देना होता था. यानी इसे जोड़कर 23600 रुपये का भुगतान करना होता था. वहीं अब जीएसटी जीरो होने से ये टैक्स की ये अतिरिक्त लागत बच जाएगी और सिर्फ बेस प्रीमियम का पेमेंट ही करना होगा. ऐसे ही अगर किसी का प्रीमियम 10,000 रुपये है, तो उसे सीधे 1800 रुपये की बचत होगी. टैक्स फ्री होने के चलते अब लोगों के लिए बीमा खरीदना और भी किफायती हो जाएगा.
लंबे समय से इंश्योरेंस पर प्रीमियम पर टैक्स खत्म करने की मांग उठाई जा रही थी. इस पर जीरो जीएटी का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले साल इस पर कई सवाल उठे थे. ऐसे में गहन विचार-विमर्श के बाद हमने इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स खत्म करने का फैसला किया है और इसपर सभी सदस्यों ने सहमति जताई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि इस फैसले का पूरा लाभ कंपनियां पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति को पहुंचाएं.
नितिन गडकरी ने भी की डिमांड
गौरतलब है कि इंश्योरेंस पर प्रीमियम को खत्म करने को लेकर बीते साल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री को एक पत्र लिखा था, जो खासा सुर्खियों में रहा था. 28 जुलाई 2024 को लिखे इस पत्र में उन्होंने उन्होंने वित्त मंत्री से लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी को हटाने की मांग करते हुए इसे 'जिंदगी की अनिश्चितताओं पर कर लगाने जैसा' करार दिया था. इसके अलावा कन्फेडरेशन ऑफ जनरल इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी सरकार से जीएसटी घटाने की अपील की थी.

बीमा कंपनियों ने बताया एतिहासिक कदम
सरकार के इस फैसले को बीमा सेक्टर की दिग्गज कंपनियों ने एतिहासिक कदम बताया है. बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के एमडी-सीईओ डॉ. तपन सिंघल ने कहा कि यह निर्णय ये स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा को अधिक किफायती बनाएगा, वो भी ऐसे समय में जबकि चिकित्सीय लागत आसमान छू रही है. इससे देश की स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी. बीमा-पे फिनश्योर के सीईओ हनुत मेहता ने कहा कि यह कदम पहली बार पॉलिसी खरीदने वालों को प्रोत्साहित कर सकता है, प्रीमियम फाइनेंसिंग को अपनाने का दायरा बढ़ाने के साथ ही ग्राहकों को उच्च कवरेज चुनने के लिए भी प्रेरित कर सकता है.
जीएसटी जीरो, फिर ITC का क्या होगा?
यहां ये समझ लेना भी जरूरी है कि सरकार ने इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी जीरो कर दिया है, तो बीमा कंपनियों के आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का आखिर क्या होगा? क्या इसका असर तमाम कंपनियां ग्राहकों पर बोझ डाल सकती हैं? दरअसल, बीमा कंपनियां ग्राहकों से जीएसटी वसूलती हैं, तो मार्केटिंग, ऑफिस किराए समेत अन्य चीजों पर जीएसटी चुकाती भी हैं और इन खर्चों को प्रीमियम पर टैक्स से मिली राशि से समायोजित करने के बाद सरकार को देती हैं.
जैसे मान लीजिए बीमा कंपनी को 200 रुपये के प्रीमियम पर 36 रुपये जीएसटी मिलता है. वहीं कंपनी 80 रुपये ऑफिस स्पेस, 60 रुपये एजेंट कमीशन के रूप में खर्च करती है. इस खर्च पर कंपनियां भी 18 फीसदी जीएसटी पेमेंट करती हैं, जो 25.20 रुपये होता है. अभी कंपनी ग्राहकों से मिले 26 रुपये के जीएसटी में इसे समायोजित करने के बाद बाकी बचे 10.80 रुपये सरकार को देती है. अब जीएसटी खत्म हो गया है, इसका आईटीसी उन्हें नहीं मिलेगा, क्योंकि कंपनियों को 36 रुपये की कमाई नहीं होगी. ऐसे में उनकी इनपुट लागत बढ़ने पर उन्हें अपने खर्चों पर दिए जाने वाले टैक्स का बोझ खुद उठाना होगा, तो संभावना है कि इस अतिरिक्त लागत को वे ग्राहकों के बेस प्रीमियम में जोड़ सकती है.