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Success Story: पिता से लिया उधार... छोटे से कमरे में शुरू किया काम, फिर दो बहनों ने बना दी 3500 करोड़ की कंपनी!

मुंबई की रहने वाली दो बहनों ने अपने पिता से उधार लेकर साल 2004 में एक छोटे से कमरे में बेकरी बिजनेस की शुरुआत की थी. यह बिजनेस इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि आज भारत के बड़े बेकरी ब्रांडों में से एक बन चुका है.

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केनाज मेसमान
केनाज मेसमान

दो बहनें इन दिनों लोगों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. उन्‍होंने मिलकर एक कमरे में अपना बेकरी बिजनेस शुरू किया था, जो आज के समय में एक बड़ा कारोबार बन चुका है. इसके देशभर कई स्‍टोर्स खुल चुके हैं. हजारों कर्मचारी इस कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं. हम बात कर रहे हैं 'थिओब्रोमा' कंपनी के बारे में, जो भारत में पॉपुलर बेकरी ब्रांडों में से एक है. इसे केनाज और टीना मेसमान दो बहनों की जोड़ी ने साल 2004 में शुरू किया था. 

मुंबई की रहने वाली दो बहनों ने अपने पिता से उधार लेकर साल 2004 में एक छोटे से कमरे में बेकरी बिजनेस की शुरुआत की थी. यह बिजनेस इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि आज भारत के बड़े बेकरी ब्रांडों में से एक बन चुका है. देशभर में इसके 225 आउटलेट खोले जा चुके हैं और कंपनी का वैल्‍यूवेएशन 3500 करोड़ रुपये हो चुका है. केनाज और टीना मेसमैन ने बिना किसी बड़े बिजनेस प्लान के सिर्फ अपने पैशन के दम इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर दिया. 

कैसे शुरू किया इतना बड़ा कारोबार 
थिओब्रोमा का सफर 2004 में तब शुरू हुआ जब केनाज को पीठ में चोट के कारण अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी. ये एक पेस्‍ट्री सेफ के तौर पर काम करती थीं. वे अपनी मां की मदद अलग-अलग तरह के डिश बनाने में करती थीं. 16 साल की उम्र में जब वह फ्रांस के टूर पर गई थीं तो उन्‍होंने सोच लिया कि वे आगे चलकर शेफ ही बनना चाहती हैं. भारत के अग्रणी होटल प्रबंधन संस्थान IHM मुंबई और ओबेरॉय सेंटर ऑफ लर्निंग एंड डेवलपमेंट (OCLD) दिल्ली से ग्रेजुएट कैनाज ने 2004 में पहली थियोब्रोमा पेस्ट्री की दुकान स्थापित करने से पहले ओबेरॉय उदयविलास में पेस्ट्री शेफ के रूप में काम किया. 

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theobroma Owner

पिता से लिया उधार 
बहनों के पास बेकिंग का अच्छा अनुभव था, लेकिन उन्‍हें बेकरी बिजनेस शुरू करने के लिए कैपिटल की आवश्‍यकता थी. फिर इनके पिता ने दोनों बहनों की मदद की. उनके पिता ने इस बिजनेस को शुरू करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी लगाई. उनकी शुरुआत पूरी तरह से शून्य से नहीं थी, क्योंकि वे पहले से ही घर पर बेकिंग कर रही थीं और बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए इस पूंजी की आवश्‍यकता थी. 

कैसे रखा गया कंपनी का नाम 
कंपनी के नाम रखने के पीछे भी कहानी बड़ी दिलचस्‍प है. बहनों का पहला आउटलेट 2004 में दशहरा के दिन मुंबई के कोलाबा में खुला था. बेकरी के लिए नाम चुनना भी दिलचस्प था. ऐसे में एक दोस्त ने उन्‍हें थिओब्रोमा नाम बताया, जिसका ग्रीक शब्दों थिओस (ईश्वर) और ब्रोमा (भोजन) से लिया गया है. इसका मतलब है 'देवताओं का भोजन'. ऐसे में ये नाम सभी को खूब पसंद आया और इस कंपनी का नाम थिओब्रोमा रख दिया गया. 

देखते ही देखते बन गई 3,500 करोड़ रुपये की कंपनी 
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि थिओब्रोमा को जल्द ही 3,500 करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर अधिग्रहित किया जा सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि क्रिसकैपिटल थिओब्रोमा फूड्स और बेल्जियम वफल कंपनी का लगभग 3,200-3,500 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने के करीब है.  

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