सरकारी बैंकों के लाखों कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर. वित्त मंत्रालय अब एक ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है कि उनका वेतन उनके परफॉर्मेंस पर आधारित हो जाएगा. यानी बेहतर प्रदर्शन करने वालों को अधिक वेतन वृद्धि.
आर्थिक पत्र द इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों से कहा है कि वे वर्षों से चली आ रही वेतन वृद्धि की परंपरा को खत्म कर दें. इनके तहत कर्मचारियों और अधिकारियों की सैलरी स्वतः बढ़ती रहती है. लेकिन अब वित्त मंत्रालय चाहता है कि इसे परफॉर्मेंस यानी प्रदर्शन पर आधारित किया जाए. बेहतर प्रदर्शन करने वालों की ज्यादा सैलरी वृद्धि हो. लेकिन इसमें एक अड़ंगा है और वह यह कि इसके लिए उसे ट्रेड यूनियनों को राजी करना होगा.
बुधवार को वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव टकरू ने बैंकों के प्रमुखों से कहा कि वे उन कर्मचारियों और अधिकारियों को बढ़ोतरी दे सकते हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन कमजोर बैंकों को ज्यादा वेतन बढ़ोतरी से रोका जा रहा है और उन्हें सिर्फ 10 प्रतिशत तक ही वेतन बढ़ोतरी दी जाएगी. इन बैंकों के बहुत पैसे डूब रहे हैं.
सराकारी बैंकों के सामने इस समय बहुत बड़ी समस्या यह है कि कर्जों को कैसे वसूला जाए. उनके करोड़ों रुपये कर्ज में फंस गए हैं. अर्थव्यवस्था के कमजोर हो जाने से बैंकों को कर्ज वसूली में भारी परेशानी हो रही है. उनका एनपीए बढ़ता ही जा रहा है. इस वजह से वे अपने कर्मचारियों को बढ़िया बढ़ोतरी देने में समर्थ नहीं हैं.