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हरियाणा के गांव का लड़का आशीष यादव एस्‍ट्रोनॉट बनने चला नासा

आशीष यादव भी अमेरिका के नेशनल एयरोनॉटिक स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन यानी कि नासा जाने की तैयारी में हैं.

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आशीष यादव
आशीष यादव

पहले भारतीय मूल की अमेरिकी एस्‍ट्रोनॉट कल्‍पना चावला की जड़े हरियाणा के करनाल से जुड़ी हुईं थीं और अब राज्‍य के ही एक और शहर नारनौल के 19 वर्षीय आशीष यादव भी अमेरिका के नेशनल एयरोनॉटिक स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन यानी कि नासा जाने की तैयारी में हैं. यादव उन तीन भारतीय छात्रों में शामिल हैं, जिनका सलेक्‍शन अमेरिका में तीन साल की एस्‍ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए हुआ है, जिसका पूरा खर्च नासा उठाएगा. यादव अगले महीने अमेरिका के लिए रवाना हो रहे हैं.

एस्‍ट्रोनॉट बनने को तैयार यादव कहते हैं, 'मैं बचपन से ही अंतरिक्ष पर जाने का सपना देखता था, इसलिए मैंने हाईस्‍कूल में फिजिक्‍स, केमिस्‍ट्री, बायोलॉजी और मैथ्‍स जैसे सबजेक्‍ट्स लिए.'

उन्‍होंने कहा, 'पहले मेरा लक्ष्‍य डॉक्‍टर बनने का था. तब मैं अपने कजिन से प्रेरित था जो खुद भी एक डॉक्‍टर है. मैंने महेंद्रगढ़ जिले के नांगल चौधरी गांव के सरस्‍वती विद्या मंदिर से इस साल 84 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास की. इसके बाद मैंने मेडिकल परीक्षा दी, जिसमें पूरे भारत में मेरी 37वीं रैंक आई.'

यादव बताते हैं, 'मैथ्‍स भी मेरा सब्‍जेक्‍ट था, इसलिए मैंने इस साल आईआईटी की परीक्षा भी दी, जिसमें मेरी 112 रैंक आई. मेरी दिलचस्‍पी मेडिकल साइंस में ज्‍यादा थी और मुझे सभी ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS) के लिए चुन लिया गया.'

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उन्‍होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आयोजित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एयरोनॉटिक्स एंड टेक्नोलॉजी (IISAT) की प्रवेश परीक्षा को भी पास किया है. उनके मुताबिक, 'जब मुझे ISRO के लिए चुन लिया गया तो मैंने एस्‍ट्रोनॉट बनने का ही फैसला कर लिया.'

दुनिया भर के स्‍पेस इंस्‍टीट्यूट्स द्वारा आयोजित परीक्षाओं के आधार पर नासा एस्‍ट्रोनॉट बनने के इच्‍छुक छात्रों का चुनाव करता है. इस साल नासा ने दुनिया भर से 10 छात्रों का सलेक्‍शन किया है, जिनमें तीन भारतीय भी शामिल हैं. आशीष यादव के अलावा आंध्र प्रदेश और केरल से भी एक-एक छात्र को चुना गया है. आपको यह भी बता दें कि भारत में आशीष को नंबर वन रैंक मिली है.

यादव के मुताबिक, 'मैंने नासा में सलेक्‍ट होने के लिए दिल्‍ली के इसरो दफ्तर में लिखित परीक्षा देने के साथ ही 6 इंटरव्‍यू भी दिए. जब मैंने पहली बार नासा के वैज्ञानिकों का सामना किया तो मैं बहुत घबराया हुआ था, लेकिन बाद में सहज महसूस करने लगा. 3 सितंबर को छठे इंटरव्‍यू के बाद नासा के वैज्ञानिकों ने कहा था कि एस्‍ट्रोनॉट ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए मेरा सलेक्‍शन कर लिया जाएगा और एक दिन बाद मुझे ईमेल मिली जिसमें मेरे सलेक्‍शन की पुष्टि कर दी गई थी.'

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आशीष की मां सुमन कहती हैं, 'मेरे बेटे को सभी विषयों का अच्‍छा ज्ञान है. जब वह अपने पैृतक गांव धौलेरा में दूसरी क्‍लास में पढ़ता था तब से ही वह बड़े बच्‍चों के सवाल हल किया करता था. तब मैंने सीमित संसाधनों के बावजूद फैसला किया कि मैं उसे शहर के स्‍कूल में अच्‍छी शिक्षा दूंगी. मेरे पति सेना में छोटी नौकरी करते थे और वही कमाने वाले इकलौते सदस्‍य हैं. उन्‍होंने कहा, 'हम आशीष की पढ़ाई के लिए नरनौल शहर चले गए और किराए के मकान में रहने लगे ताकि उसे अच्‍छी शिक्षा मिल सके. वह स्‍कूल के बाद रोजाना 6 घंटे पढ़ाई करता था.'

सेना से रिटायर होने के बाद आशीष के पिता राधे श्‍याम यादव को दिल्‍ली पुलिस के बम निरोधी दस्‍ते में नौकरी मिल गई. अपने बेटे की उपलब्धि पर वे गर्व से कहते हैं, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि उसे इतनी बड़ी कामयाबी मिलेगी. ये तो किसी भी पिता के लिए सपने के सच होने जैसा है. मैं अपने बेटे की कामयाबी से संतुष्‍ट हूं और मुझे उम्‍मीद है कि नासा के ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद वह देश की सेवा करेगा.'

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