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छोटी सी उम्र में दिल की बड़ी बीमारी से जीता लोकनाथ

लोकनाथ ने छोटी-सी उम्र में बड़ी बीमारी से लड़कर जीत हासिल की है. वह अब पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता और अपने सपने पर ध्यान लगाए हुए है. लोकनाथ पायलट बनना चाहता है.

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लोकनाथ ने छोटी-सी उम्र में बड़ी बीमारी से लड़कर जीत हासिल की है. वह अब पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहता और अपने सपने पर ध्यान लगाए हुए है. लोकनाथ पायलट बनना चाहता है.

कक्षा छठी का यह छात्र दिल की बीमारी 'टेट्रोलॉजी ऑफ फेलेटो' से पीड़ित था. उसके हृदय के तीन वाल्व खराब थे, लेकिन अब वह पूरी तरह स्वस्थ है. उसे थकान, कमजोरी, सांस फूलना, भूख न लगना, चक्कर आना, बेचैनी व घबराहट होना जैसी कई परेशानियों से निजात मिल गई है.

मासूम लोकनाथ छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के ग्राम भोथली का रहने वाला है. मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले उसके पिता उदल यादव पर उस समय कहर टूट पड़ा, जब पता चला कि बेटे लोकनाथ को दिल की बीमारी है.

राजीव गांधी शिक्षा मिशन की पहल पर एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डाक्टरों ने परीक्षण कर बताया कि इलाज के लिए हृदय का ऑपरेशन करना जरूरी है. इलाज में काफी खर्च होना था. अत्यंत गरीब होने के कारण उदल यादव के लिए इलाज का खर्च जुटाना एक बड़ी समस्या थी. ऐसे में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस बच्चे के लिए मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना वरदान सिद्ध हुई.

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योजना के तहत लोकनाथ के ऑपरेशन के लिए आर्थिक सहायता मुहैया हो सकी, जिससे इसी साल 22 फरवरी को रायपुर के एस्कॉर्ट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हो सका.

लोकनाथ के पिता ने बताया कि उनका बेटा पायलट बनना चाहता है. अब उसका सपना पूरा हो सकेगा. उन्होंने बताया कि वे गांव में मजदूरी कर जीवन-यापन करते हैं. उनके लिए अपने बच्चे के हृदय के ऑपरेशन के लिए लगभग दो लाख 20 हजार रुपये की व्यवस्था करना संभव नहीं था.

राजीव गांधी शिक्षा मिशन के शिक्षकों ने उनकी भरपूर मदद की और सरकारी खर्च पर इलाज कराया. उन्होंने ऑपरेशन के लिए मिली सहायता के लिए मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ शासन के प्रति आभार जताया.

दिल की बीमारी से लड़ने वाला प्रदेश में लोकनाथ अकेला नहीं है. इसी की तरह रायपुर जिले के पारागांव में कक्षा सातवीं का छात्र शिवशंकर भी आरएचडी वाल्वुलर नामक हृदय की बीमारी से ग्रसित था. उसका मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना के तहत 21 फरवरी को एस्कॉर्ट अस्पताल रायपुर में ऑपरेशन हो सका.

दिल की बीमारी से जूझ रहे ये बच्चे अब पूरी तरह से स्वस्थ होकर अध्ययनरत हैं. अब उन्हें न चक्कर आएगा और न ही थकान और कमजोरी सताएगी.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों के इलाज में सहायता के लिए प्रदेश में 28 जुलाई 2008 को मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना शुरू की गई थी. इस योजना के तहत 15 वर्ष तक के बच्चों के हृदय से संबंधित सभी रोगों के इलाज में हुए खर्च का भुगतान राज्य सरकार करती है. सहायता के लिए जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है.

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