बैंकों के कर्ज डूबने की समस्या बढ़ती ही जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हालात चिंताजनक बने हुए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनपीए और उसकी रिकवरी के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया है कि 2023-24 में नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी NPA की रिकवरी में 23 फीसदी की गिरावट आई है.
दरअसल, 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल 2023-24 में 1 लाख 23 हजार 299 करोड़ रुपये के एनपीए रिकवर किए गए. उससे पहले 2022-23 में 1 लाख 59 हजार 787 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई थी.
क्या होता है NPA?
जिन फंसे हुए कर्जों की किस्तों का एक तय समय तक भुगतान नहीं आता है तो बैंक उसे डिफॉल्ट मानकर एनपीए में डाल देते हैं. आमतौर पर 90 दिनों तक कर्जदार की तरफ से किसी भी तरह का भुगतान ना होने पर ये कार्रवाई की जाती है, यानी अगर कोई कर्जदार 90 दिनों तक कर्ज की किस्तें नहीं जमा करता है तो बैंक उस कर्ज को एनपीए में डाल देते हैं.
NPA को सरल शब्दों में वैसा कर्ज भी कहा जा सकता है जिनकी रिकवरी की बैंकों को कम उम्मीद रहती है. वित्त मंत्री की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, 2023-24 में भले ही एनपीए की रिकवरी में गिरावट आई. लेकिन उससे पहले लगातार दो साल से रिकवरी में तेजी आ रही थी.
2020-21 में एनपीए की रिकवरी का आंकड़ा 1 लाख 14 हजार 368 करोड़ रुपये और 2021-22 में 1 लाख 37 हजार 456 करोड़ रुपये रहा था. बैंकों के हिसाब से देखें तो एनपीए के मामले में सरकारी बैंक काफी आगे हैं.
सबसे ज्यादा SBI का NPA
31 मार्च 2024 तक के आंकड़ों के हिसाब से सबसे ज्यादा 84 हजार 276 करोड़ रुपये का ग्रॉस एनपीए एसबीआई का है, एसबीआई ग्राहकों की संख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बैंक भी है, उसके बाद 56 हजार 343 करोड़ रुपये के ग्रॉस एनपीए के आंकड़े के साथ पंजाब नेशनल बैंक दूसरे नंबर पर है.
फिलहाल 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का ग्रॉस एनपीए सिर्फ इन्हीं दो बैंकों का है. वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ग्रॉस एनपीए का आंकड़ा 43 हजार 98 करोड़ रुपये, केनरा बैंक का ग्रॉस एनपीए 40 हजार 605 करोड़ रुपये का है.
हालांकि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की NPA के मामले में स्थिति बेहतर है. प्राइवेट सेक्टर में सबसे ज्यादा एनपीए HDFC बैंक का है और उसका ग्रॉस एनपीए 31 हजार 57 करोड़ रुपये है और ये बैंक मार्केट कैप के हिसाब से अब एसबीआई को पीछे छोड़ देश का सबसे बड़ा बैंक बन चुका है.
दूसरे सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक का ग्रॉस एनपीए 27 हजार 314 करोड़ रुपये है. यानी सरकारी बैंकों को इस मामले में ज्यादा सतर्क होने की जरुरत है और अपने डूबते कर्जों की रिकवरी के लिए सावधानी से काम करने की जरुरत है.