चीनी माल पर टैरिफ बढ़ाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया कदम से चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर गहरा गया है. इसकी वजह से अमेरिकी शेयर बाजारों भारी गिरावट आई है. शुक्रवार को डाओ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज में 623 अंकों की गिरावट आई है. एसऐंडपी 500 और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स में भी गिरावट आई है. सोमवार को इसका भारत सहित दुनिया के अन्य बाजारों पर भी असर दिखेगा. अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने का चीन ने कड़ा विरोध किया है.
ट्रंप ने शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद यह ट्वीट किया था कि वह चीनी की करीब 250 अरब डॉलर की वस्तुओं पर टैरिफ यानी आयात कर 25 से बढ़ाकर 30 फीसदी कर देंगे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा करीब 300 अरब डॉलर की अन्य चीनी वस्तुओं पर भी टैरिफ 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी किया जाएगा. 250 अरब डॉलर की वस्तुओं पर 30 फीसदी टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होगा. इसी तरह 300 अरब डॉलर वस्तुओं पर टैरिफ 1 सितंबर और 15 दिसंबर से प्रभावी होगा.
असल में चीन ने शुक्रवार को 75 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया था, जिसके जवाब में अमेरिका ने यह कार्रवाई की. ट्रंप ने तो यहां तक आदेश दे दिया कि अमेरिकी कंपनियां चीन से अपना कामकाज समेटकर कहीं और ले जाएं, इससे अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को भारी गिरावट आ गई.
ट्रंप ने ट्वीट में कहा, ' दुखद यह है कि पिछले प्रशासन ने चीन को इस बात की गुंजाइश दी कि वह उचित और संतुलित व्यापार से आगे बढ़ जाए, जिसकी अमेरिकी टैक्सपेयर को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. एक राष्ट्रपति होने के नाते अब मैं इसे होने नहीं दूंगा.'
बाद में फ्रांस के बियारिट्ज में आयोजित जी-7 समिट में ट्रंप ने कहा कि वह तो चीन के सामान पर और टैरिफ लगाना चाहते थे और ऐसा न कर पाने का उन्हें पछतावा है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि वह ट्रेड वॉर को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया था.
चीन ने किया कड़ा विरोध
अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने का चीन ने कड़ा विरोध किया. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक ब्रिटेन में लंदन अर्थतंत्र और वाणिज्य नीतिगत कार्यालय के पूर्व प्रधान जॉन रोस ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका ने बेवजह चीनी वस्तुओं के प्रति टैरिफ बढ़ाया, चीन का विरोधी कदम उठाना इसका अपरिहार्य जवाब है.
अमेरिका में चीन-अमेरिका अनुसंधान केंद्र के जाने-माने विद्वान सौरभ गुप्ता के मुताबिक चीन का विरोधी कदम उठाना अप्रत्याशित नहीं है. चीन के कदम से बाहरी दुनिया को महत्वपूर्ण सूचना दी गई, यानी कि व्यापारिक वार्ता को संप्रभुता की समानता के आधार पर होना चाहिए. चीन एकतरफा तौर पर अपने लिए निष्पक्ष स्पर्धा वातावरण की प्राप्ति के लिए टैरिफ कदम को नहीं छोड़ेगा.