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MPF में हो सकता है बदलाव, सरकार से बात करेगा रिजर्व बैंक

बजट के बाद कार्यक्रम के तहत शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरबीआई गवर्नर और केंद्रीय बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ बैठक की.

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आरबीआई गवर्नर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
आरबीआई गवर्नर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

  • लगातार 2 बार से रेपो रेट में नहीं हो रही कटौती
  • महंगाई के आंकड़े और राजकोषीय घाटा है वजह

भले ही रिजर्व बैंक ने फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट कटौती नहीं की हो लेकिन केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगे स्थिति में सुधार के संकेत दिए हैं. इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर ने मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क में बदलाव की भी बात कही है.

शक्‍तिकांत दास ने बताया कि मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) पिछले तीन साल से काम कर रहा है लेकिन केंद्रीय बैंक आंतरिक तौर पर इस बात का विश्लेषण कर रहा है कि MPC फ्रेमवर्क कितना कारगर रहा है.  इस बारे में जरूरत पड़ने केंद्रीय बैंक सरकार के साथ बातचीत करेगा. यहां बता दें कि मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क के तहत आरबीआई हर दो महीने पर देश की इकोनॉमी को लेकर चर्चा करता है. ये बैठक 3 दिनों तक चलती है और इसकी अध्‍यक्षता केंद्रीय बैंक के गवर्नर करते हैं. इसी बैठक में रेपो रेट कटौती को लेकर फैसले लिए जाते हैं.

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रेपो रेट कटौती की उम्‍मीद बरकरार

वहीं केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट कटौती की रफ्तार में काफी सुधार हुआ है. उम्‍मीद है कि आगे कटौती की रफ्तार तेज होगी. आरबीआई गवर्नर ने ये बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक के बाद कही.

यहां बता दें कि महंगाई और राजको‍षीय घाटा के अनुमान संशोधन की वजह से आरबीआई ने इस बार रेपो रेट को स्थिर रखा है. यह लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. फिलहाल, रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार है. वहीं बीते साल पांच बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कुल 1.35 की कटौती की थी.

रेपो रेट कटौती का मतलब क्‍या है?

केंद्रीय बैंक आरबीआई रेपो रेट के आधार पर ही बैंकों को कर्ज देता है. रेपो रेट जितना कम होता है, बैंकों के लिए उतना ही फायदेमंद होता है. रेपो रेट कटौती होने के बाद बैंकों पर ब्‍याज दर कम करने का दबाव बनता है. ब्‍याज कम होने का मतलब ये है कि आपकी ईएमआई और लोन सस्‍ता हो जाएगा. आरबीआई हर दो महीने पर होने वाली मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो रेट की समीक्षा करता है.

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6 फीसदी ग्रोथ का अनुमान

इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट छह फीसद रहने का अनुमान है. उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की आर्थिक समीक्षा के आधार पर अगले वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगया गया है.

कृषि क्षेत्र को दिए जा रहे लोन पर नजर

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को दिए जा रहे लोन की स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के लोन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा. सरकार ने 2020-21 के आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए लोन वितरण का लक्ष्य 11 प्रतिशत बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपये रखा है. बजट में कृषि और संबंधित क्षेत्रों की विविध योजनाओं के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

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