रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI ) की तीन दिनों तक चलने वाली मॉनिटरिंग पॉलिसी की बैठक अगले सप्ताह होने वाली है. इस बैठक से पहले रियल एस्टेट सेक्टर ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती की मांग की है.
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के तत्वाधान में गठित नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष डा. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रेपो दर में पिछले कुछ महीनों के दौरान 0.75 फीसदी तक की कटौती की है. लेकिन इस कटौती का रियल एस्टेट सेक्टर को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि रेपो रेट में 0.75 फीसदी तक की और कटौती होनी चाहिए ताकि बैंकों की विभिन्न वित्तीय उपकरणों में अटकी पड़ी करोड़ों रुपये की राशि को उपयोग में लाया जा सके.’’
बता दें कि 5 अगस्त से मॉनिटरिंग पॉलिसी की समीक्षा बैठक होने वाली है. महंगाई दर के आंकड़े काबू में रहने की वजह से इस बैठक में एक बार फिर रेपो रेट कटौती पर फैसला होने की उम्मीद है. बीते जून महीने की बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी. वर्तमान में आरबीआई की रेपो रेट 5.75 फीसदी पर है. इस रेट पर आरबीआई बैंकों को उनकी फौरी जरूरत के लिए नकदी उपलब्ध कराता है.
2,000 अरब डॉलर की जरूरत
नारेडको के चेयरमैन राजीव तलवार ने कहा, ''एक अनुमान के मुताबिक देश में 11 करोड़ घरों की कमी को पूरा करने के लिये 2022 तक क्षेत्र में 2,000 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी. इस लिहाज से यह महत्वपूर्ण है कि सरकार को इतनी बड़ी मात्रा में वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए कोई अलग प्रणाली लानी चाहिए.’’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने बजट में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के नकदी संकट को दूर करने के कुछ उपायों की घोषणा की है लेकिन इसका लाभ रियल एस्टेट क्षेत्र तक पहुंचना अभी बाकी है. हालांकि, नारेडको रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है और उसका मानना है कि अगले दो- तीन साल के दौरान इस क्षेत्र में 30- 35 फीसदी की जोरदार वृद्धि दर्ज की जाएगी.