देश के सबसे बड़े कारोबारी घराने में हो रहे सत्ता हस्तांतरण के समय बॉम्बे हाउस में कोई प्रतीकात्मक गतिविधि नहीं देखी गई. टाटा संस के सेवानिवृत्त होने जा रहे अध्यक्ष रतन नवल टाटा खुद इस मौके पर यहां नहीं थे, जिन्होंने 50 साल पहले कारोबारी समूह से नाता जोड़ा था और जो आज 100 अरब डॉलर से अधिक का विशाल साम्राज्य बन चुका है.
एक साल पहले टाटा के वारिस घोषित किए जा चुके 44 वर्षीय साइरस पालोंजी मिस्त्री शनिवार को समूह के छठे अध्यक्ष के रूप में बागडोर सम्भालेंगे. समूह की स्थापना 1868 में जमसेदजी नुसेरवांजी टाटा ने की थी. शुक्रवार को 75 वर्ष के हो चुके रतन टाटा समूह के सेवानिवृत्त अध्यक्ष बने रहेंगे.
रतन टाटा ने मिस्त्री को तेज और सुयोग्य कहा था. उन्होंने कहा था कि वह (मिस्त्री) अगस्त 2006 से टाटा संस के बोर्ड में हैं और मैं उसकी सहभागिता की गुणवत्ता तथा क्षमता, उसकी तेज पारखी नजर और नम्रता से प्रभावित हूं.
टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस के पास बड़ी संख्या में संवाददाता, फोटोग्राफर और टेलीविजनकर्मी रतन टाटा के आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि वह बाहर हैं. जबकि मिस्त्री ने चुपचाप भवन में प्रवेश किया.
मिस्त्री निर्माण क्षेत्र के दिग्गज पालोंजी मिस्त्री के छोटे पुत्र हैं, जिनका परिवार टाटा समूह की सर्वाधिक 18.8 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाला परिवार है. मिस्त्री के लिए नई जिम्मेदारी आसान नहीं होने वाली है.
समूह में आज 100 कम्पनियां हैं, जिनकी कुल आय 100.09 अरब डॉलर है, जिसकी 60 फीसदी से अधिक आय विदेश से आती है, जिसका कारोबार 80 देशों में फैला हुआ है और जिसके कर्मचारियों की संख्या 4.5 लाख है.
लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में एमएससी डिग्री धारक मिस्त्री 144 वर्षीय टाटा समूह के छठे अध्यक्ष होंगे और बिना टाटा उपनाम वाले दूसरे अध्यक्ष होंगे. रतन टाटा के अलावा समूह के अन्य पूर्व अध्यक्षों में हैं जमसेदजी नुसेरवांजी टाटा, सर दोराब टाटा, सर नौरोजी सकलातवाला और जे.आर.डी. टाटा.
मिस्त्री अपने पारिवारिक कारोबार शपूरजी पालोंजी एंड कम्पनी से 1991 में जुड़े थे. उन्हें 1994 में कम्पनी का प्रबंध निदेशक बना दिया गया था. टाटा समूह में रतन टाटा के वारिस नियुक्त किए जाने के बाद मिस्त्री ने अपना पारिवारिक कारोबार छोड़ दिया.