बिहार के मुख्यमंत्री और पूर्व रेलमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2012-13 के रेल बजट को निराशाजनक और खाली डिब्बा समान बताया है.
नीतीश ने संवाददाताओं से कहा, ‘रेल बजट में कुछ नहीं है, सेफ्टी को लेकर सबकुछ ‘फ्यूचर टेंस’ में है और आगे क्या करेंगे उसी की चर्चा है.
नीतीश ने कहा कि राजग शासनकाल के दौरान उनके रेल मंत्रित्वकाल में 2003-13 का एक कापरेरेट सेफ्टी फंड और एक कापरेरेट सेफ्टी प्लान बनाया गया था. उस कापरेरेट सेफ्टी प्लान पर क्या किया गया इसपर जानबूझकर चुप्पी साधी गयी है क्योंकि संप्रग एक सरकार के कार्यकाल में रेलवे की सुरक्षा पर ध्यान ही नहीं दिया गया और उसी का नतीजा है कि आज रेलवे की स्थिति खराब है तथा दुर्घटनाएं फिर से बढ़ने लगी हैं.
उन्होंने कहा कि जब इनको मौका मिला रेलवे सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया, कार्यकाल का आखिरी वक्त आ रहा है तो यह ‘फ्यूचर टेंस’ में सारी बात कर रहे हैं जिसका कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे रेल का इस्तेमाल करने वाले के मन में या रेलवे को जानने-समझने वाले के मन में कोई आशा पैदा नहीं होगी. उन्होंने कहा कि रेल मंत्री को 1.50 घंटा मिनट सुनने के बाद यही लगा कि ज्यादा बोलने की जरूरत इसलिए पड़ती है कि कुछ नहीं बोलना है.
नीतीश ने कहा कि रेल मंत्री का भाषण सुनकर उन्हें बहुत ही निराशा हुई, हमारी अपेक्षा थी कि वह सुरक्षा के मसले की ठीक से व्याख्या करेंगे और रेलवे की जो लंबित परियोजनाएं हैं उसपर ध्यान केंद्रित करेंगे.
उन्होंने कहा कि जिस धीमी गति से बिहार में रेलवे परियोजना पर काम हो रहा है उससे लगता है कि या तो इस प्रदेश के साथ भेदभाव है और या अगर यही हालत पूरे पूरे देश की है तो यह बुरी स्थिति का परिचायक है. नीतीश ने रेलवे बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इसमें आम आदमी के लिए कुछ नहीं है और रेल उपयोगकर्ता को कोई राहत नहीं मिली है.