पंजाब नेशनल बैंक (PNB) महाघोटाले के मामले में लगातार नई-नई परतें खुल रही हैं. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू कर दी है. सीबीआई पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है. करीब 11 हजार करोड़ से भी ज्यादा के इस घोटाले का पता बैंक के ऑडिट के दौरान लगा. जब तक इस घोटाले का राज खुला, तब तक नीरव मोदी और उनका परिवार देश से निकल चुके थे.
पंजाब नेशनल बैंक को इस मामले का पता ऑडिट के दौरान चला. 2011 में बैंक के ऑडिट के दौरान 280 करोड़ रुपये का पूरा हिसाब नहीं लग पा रहा था. ऑडिट में यह बात सामने आने के बाद बैंक ने इसको लेकर एक्शन लेने की सोची. पीएनबी के सीएमडी सुनील मेहता ने बताया कि उन्हें इस घोटाले का पता जनवरी के तीसरे हफ्ते में चला.
ऑडिट में 280 करोड़ रुपये के लेन-देन की गड़बड़ी सामने आने के बाद 2011 में पीएनबी ने मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी. सीएमडी ने बताया कि बैंक ने 3 से 4 दिनों तक इस मामले की अपने स्तर पर जांच की. इस दौरान उसे पता चला कि इसमें उसके कर्मचारी भी शामिल हैं और यह पूरा घोटाला उनकी सहमति से ही हुआ है.
29 जनवरी : सीबीआई को की शिकायतपंजाब नेशनल बैंक ने आतंरिक स्तर पर जांच करने के बाद इस मामले की शिकायत सीबीआई से की. बैंक ने 29 जनवरी को अपनी शिकायत में बैंक ने नीरव मोदी के अलावा अन्य लोगों के नाम दिए.
मामला दर्ज होने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, केस की परतें खुलती गईं.
एएनआई को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नीरव मोदी 1 जनवरी को ही देश से निकल चुके थे. इसी दिन नीरव के भाई निशाल मोदी ने भी देश छोड़ा. इसके बाद नीरव की पत्नी ने 6 जनवरी को देश छोड़ा. वहीं, मेहुल चौकसी 4 जनवरी को देश से निकल गए.
कुछ समय तक मामले की जांच करने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दी. इसके साथ ही जांच जारी रखी.
सीबीआई की जांच जहां अभी भी जारी है. वहीं, 15 फरवरी (गुरुवार) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले की जांच करने में जुट गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक और डायमंड कारोबारी नीरव मोदी सहित कई टॉप ज्वैलर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इस जालसाजी के सामने आने के बाद PMLA की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मार्केट रेग्युलेटर सेबी भी इस मामले की जांच से जुड़ सकती है. सेबी भी न सिर्फ बैंक बल्कि शेयर बाजार में लिस्टेड कई कंपनियों के खिलाफ जानकारी छिपाने के मामले में जांच शुरू कर सकती है.