पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. हाल यह है कि वहां अब चीन भी अपना निवेश घटाने लगा है, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है. जानकारों का कहना है कि इसीलिए सीमा पर पाकिस्तान कुछ दुस्साहस करने का प्रयास कर रहा है ताकि अपनी जनता का ध्यान अर्थव्यवस्था के संकट से हटाया जा सके.
गौरतलब है कि चीन को अभी तक पाकिस्तान का ऐसा सदाबहार दोस्त माना जाता रहा है, जो हर मुश्किल में उसके साथ खड़ा रहता है. विश्व बैंक से मदद मिलने से पहले चीन ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया. नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बचाने के लिए इस साल मार्च में चीन ने उसे दो अरब डॉलर का कर्ज दिया था.
लेकिन अब पाकिस्तान के लिए बुरी खबर यह है कि चीन ही वहां से अपना हाथ खींचने लगा है. वित्त वर्ष 2018-19 के छह महीनों, जुलाई से जून, के दौरान पाकिस्तान में चीनी निवेश घटकर 49.6 करोड़ डॉलर रह गया है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में पाकिस्तान में चीन ने 1.8 अरब डॉलर का निवेश किया था.
अमेरिका का भी निवेश घटा
इसी तरह इस दौरान अमेरिका से आने वाला निवेश घटकर 8.4 करोड़ डॉलर रह गया. एक साल पहले इसी दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान में 14.70 करोड़ डॉलर का निवेश किया था.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, विदेशी निवेशक पाकिस्तान के आर्थिक माहौल को लेकर चिंतित हैं. वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों में पाकिस्तान में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 49 फीसदी की भारी गिरावट आई है.
वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान को कुल 9.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज मिला था, जो उसके सालान लक्ष्य 9.3 अरब डॉलर से ज्यादा है. इसके अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से मिला 5 अरब डॉलर का कर्ज भी मिला है जिसे पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के बहीखाते में दर्ज किया जाता है. वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट महज 3.29 फीसदी रही है.
सीपीईसी में हुआ है अरबों डॉलर का निवेश
जब सीपीईसी परियोजना 2013 में शुरू हुई तो चीनी प्रीमियर ली केकियांग और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दोनों देशों के बीच आर्थिक कॉरिडोर बनाने पर हामी भरी. 2014 में जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कई बार चीन का दौरा किया तो यह परियोजना जमीन पर आने लगी.
नवंबर 2014 में चीन सरकार ने ऐलान किया कि यह ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सीपीईसी के तहत 46 अरब डॉलर की वित्तीय मदद करेगा. सितंबर 2016 में चीन ने ऐलान किया कि सीपीईसी के लिए 51.6 अरब डॉलर का एक नया समझौता हुआ है. नवंबर 2016 में सीपीईसी की कुछ योजनाएं शुरू हो गई और चीन से ट्रक भरकर सामान पाकिस्तान के बंदरगाह ग्वादर पर आने लगे. इसके बाद चीन ने फिर ऐलान किया कि वह अप्रैल में पाकिस्तान में 62 अरब डॉलर का निवेश बढ़ाएगा. इसके बाद चीन लगातार पाकिस्तान को कर्ज के लिए हाथ आगे बढ़ाता रहा है.