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बुकिंग के बाद नहीं आया ओला-उबर का कैब ड्राइवर तो 25 हजार जुर्माना

दिल्ली सरकार कैब कंपनियों के लिए एक नीति बना रही है. इस नीति से ओला और उबर कैब के ड्राइवरों पर लगाम लगेगी जो धर्म और जाति के आधार पर यात्रियों को बैठाने से मना कर देते हैं.

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ओला कैब (फाइल फोटो)
ओला कैब (फाइल फोटो)

अगर आपने मोबाइल ऐप के जरिए कैब बुक की है और ड्राइवर ने आखिर समय में आने से मना कर दिया तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार एक नीति लाने जा रही है जिससे ऐसा करने पर कैब कंपनी पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा.

केजरीवाल सरकार जो नीति बना रही है उसके मुताबिक अगर कोई यात्री छेड़खानी या ड्राइवर के गलत व्यवहार की शिकायत करता है तो इसकी शिकायत एग्रिगेटर को पुलिस में दर्ज करानी होगी. अगर वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसपर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक लाइंसेंसिंग एंड रेगुलेशन ऐप बेस्ड एग्रिगेटर रुल्स 2017 और सिटी टैक्सी स्कीम 2017 पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन मंत्री की अध्यक्षता में बन रहा है. उम्मीद की जा रही है पैनल जल्द ही इस नीति को अंतिम रूप देगा और मुहर के लिए दिल्ली कैबिनेट के पास भेजेगा.

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परिवहन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक लोगों को एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए कैब सर्विस एक बड़ा माध्यम है. और ऐसे में इन कैब सर्विस के संचालन के लिए एक नियम बनाने की जरूरत है. एक बार जब यह नियम लागू हो जाएगा तो ऐप के जरिए कैब चलाने वाली कंपनियों को दिल्ली में ऑपरेट करने के लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होगा.

कैब कंपनियों को 24 घंटे और सातों दिन एक कॉल सेंटर चलाना होगा और सभी कैब का लाइव जीपीएस डेटा परिवहन विभाग के कंट्रोल सेंटर से साझा करना होगा. नई कैब नीति से यात्रियों की डेटा और यात्रा दोनों सुरक्षित होने वाली है. नई नीति के मुताबिक हर गाड़ी में एक पैनिक बटन भी होगा.

इस नई नीति से उन ड्राइवरों पर भी लगाम लगेगी जो धर्म, जाति  के आधार पर यात्रियों को बैठाने से मना कर देते हैं. इसके अलावा एग्रिगेटर को एक नया फीचर भी जोड़ना होगा. जिसमें यात्री अपनी लोकेशन और कैब की जानकारी ऐप के जरिए कम से कम 2 लोगों को भेज सकेंगे.

ऐप में पैनिक बटन भी होगा. यात्री के दबाते ही स्थानीय पुलिस अलर्ट हो जाएगी. ऐप के जरिए ड्राइवर की साफ फोटो  और गाड़ी की जानकारी भी बतानी होगी और कैब में एक कम से कम 6 इंच का जीपीएस डिस्पले होना जरूरी होगा जो गाड़ी की मौजूदा लोकेशन बताएगी.

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इसके अलावा नीति में इस बात का भी सुझाव दिया गया है कि ऐप में फायरवाल फीचर भी हो जिससे यात्रियों की निजी जानकारी सुरक्षित रहे.

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