सुप्रीम कोर्ट ने भारती-एयरटेल पर लगे 350 करोड़ रुपये के जुर्माने पर स्टे लगाने से इंकार कर दिया है. गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी एकल पीठ के 3 जी रोमिंग पर एक आदेश को निरस्त करते हुए भारती-एटरटेल पर 350 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने देश की प्रमुख दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल को अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर 3जी अंतर-सर्कल रोमिंग सुविधा जारी रखने की मंजूरी दी थी.
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश डी मुरुगेसन और न्यायमूर्ति वी के जैन ने इस मामले में एकल पीठ द्वारा दूरसंचार विभाग (डीओटी) की अधिसूचना पर जारी स्थगन आदेश का खारिज कर दिया. 15 मार्च को जारी इस अधिसूचना में भारती पर (समझौतों के जरिए) 3जी सेवाओं में अंतर-सर्कल रोमिंग सुविधा प्रदान करने पर रोक लगाई थी.
दूरसंचार विभाग ने मोबाइल कंपनी को उन सात सर्कल में अंतर-सर्कल 3जी रोमिंग सुविधा बंद करने के लिए कहा था जहां उसके पास स्पेक्ट्रम नहीं है. साथ ही लाइसेंस की शर्त के उल्लंघन के मामले में कंपनी पर 350 करोड़ रुपये (50 करोड़ रुपये प्रति सर्कल) का दंड भी लगाया था.
पीठ ने यह आदेश रिलायंस कम्यूनिकेशंस लिमिटेड की याचिका पर जारी किया जिसमें एकल पीठ के 18 मार्च के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि 3जी के मामले में उसे रोजाना भारी नुकसान हो रहा है और भारती को यह सुविधा मुफ्त मिल रही है.
पीठ ने रिलायंस को इस मामले में पक्ष बनने की स्वीकृति दे दी. हालाकि इस संबंध में विस्तृत आदेश आना बाकी है.
रिलायंस ने अपनी याचिका में कहा, ‘भारती और अन्य सेवा प्रदाताओं के बीच हुए 3जी अंतर-सर्कल रोमिंग समझौते को गैर कानूनी करार दिया जाए और इसे संविधान की धारा 14,19 और 21 का उल्लंघन माना जाए.’
रिलायंस ने कहा, ‘उसने 3जी स्पेक्ट्रम के लिए हजारों करोड़ रुपये का भुगतान किया और भारती सात सर्कल में इसका मुफ्त उपयोग कर रही है इसलिए कंपनियों को काम करने का बराबरी का मौका नहीं मिल रहा. यदि इसकी मंजूरी मिलती है तो किसी लाइसेंसी के लिए नीलामी में भागीदारी और 3जी स्पेक्ट्रम खरीदने की कोई जरूरत नहीं है.’
पीठ ने यह आदेश रिलायंस कम्यूनिकेशंस लिमिटेड की याचिका पर जारी किया जिसमें एकल पीठ के 18 मार्च के फैसले को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि 3जी के मामले में उसे रोजाना भारी नुकसान हो रहा है और भारती को यह सुविधा मुफ्त मिल रही है. पीठ ने रिलायंस को इस मामले में पक्ष बनने की स्वीकृति दे दी. हालाकि इस संबंध में विस्तृत आदेश आना बाकी है.
रिलायंस ने अपनी याचिका में कहा, ‘भारती और अन्य सेवा प्रदाताओं के बीच हुए 3जी अंतर-सर्कल रोमिंग समझौते को गैर कानूनी करार दिया जाए और इसे संविधान की धारा 14,19 और 21 का उल्लंघन माना जाए.’
रिलायंस ने कहा, ‘उसने 3जी स्पेक्ट्रम के लिए हजारों करोड़ रुपये का भुगतान किया और भारती सात सर्कल में इसका मुफ्त उपयोग कर रही है इसलिए कंपनियों को काम करने का बराबरी का मौका नहीं मिल रहा. यदि इसकी मंजूरी मिलती है तो किसी लाइसेंसी के लिए नीलामी में भागीदारी और 3जी स्पेक्ट्रम खरीदने की कोई जरूरत नहीं है.’