भारतीय रेल में सौ प्रतिशत एफडीआई के लिए रास्ता खुल गया है. एफडीआई का काम देखने वाले विभाग डीआईपीपी ने इस विषय पर कैबिनेट को प्रस्ताव देने का मन बना लिया है.
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मेल टुडे को बताया कि इस प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है और सरकार ने इस पर जल्दी कार्रवाई का फैसला कर लिया है. रेल और वित्त मंत्रालय ने पहले ही इसे अनुमति दे दी है.
अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव में कहा गया है कि रेलवे परियोजनाओं में सौ प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने की व्यवस्था की जा रही है. इनके तहत वे बंदरगाहों, खदानों, औद्योगिक इकाइयों और बिजली संयंत्रों तक कनेक्टिविटी के लिए निवेश तो कर ही सकेंगे, साथ ही सबर्बन रेलवे और हाई स्पीड ट्रैक्स में भी पैसा लगा सकेंगे. लेकिन वर्तमान रेलवे और पैसेंजर ऑपरेशनों में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं होगी.
सरकार इस समय रेलवे के विस्तार के लिए धन की कमी से जूझ रही है. वहां कई तरह की समस्याएं हैं और रेलवे के लिए उनका समाधान जरूरी है. यह एफडीआई पीपीपी मॉडल पर होगा जैसा कि एयरपोर्टेस के मामले में हुआ है. भारत सरकार रेलवे के लिए 10 अरब डॉलर (62,080 करोड़ रुपये) का निवेश जुटाना चाहती है और इसके लिए वह संयुक्त उपक्रम की भी अनुमति भी देगी.
सूत्रों ने बताया कि कई कंपनियां जैसे कि कनाडा की बॉमबर्डियर, अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक और जर्मनी की जीमन्स ने भारतीय रेल में पैसा लगाने में दिलचस्पी दिखाई है. बॉमबर्डियर का तो भारत में एक प्लांट भी है और वह दिल्ली मेट्रो के डिब्बे भी बनाती है.
चीन की कंपनी सीएसआर कॉर्प लिमिटेड और जापान की कई कंपनियों ने भी इनमें दिलचस्पी दिखाई है. रेलवे की आर्थिक स्थिति बदहाल है क्योंकि नेताओं ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया. 2012-13 में रेलवे को 26,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.