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कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, ईपीएफओ बढ़ा सकता है ब्याज दर

पांच करोड़ से ज्यादा पीएफ खाताधारकों के लिए एक खुशखबरी है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 फीसदी से बढ़ाकर 8.95 फीसदी कर सकता है.

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PF पर मिलेगा उच्चतम रिटर्न
PF पर मिलेगा उच्चतम रिटर्न

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की वित्त समिति ने मौजूदा वित्त वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 फीसदी से बढ़ाकर 8.95 फीसदी करने की सिफारिश की है.

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय इसकी अधिसूचना जारी करे उससे पहले इस प्रस्ताव को ईपीएफओ की शीर्ष निर्णायक इकाई, केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) से मंजूरी मिलना जरूरी है.

अब तक का उच्चतम रिटर्न
अगर इन सिफारिशों पर मुहर लग जाती है तो 2010-11 में मिली 9.5 फीसदी रिटर्न के बाद से यह अब तक का उच्चतम रिटर्न होगा. यह प्रस्ताव तब आया है जब सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दर घटाने की सोच रहे हैं ताकि बैंक भी आने वाले समय में लेंडिग रेट घटाएं और निवेश बढ़ाया जा सके.

एनएससी पर घटेगी ब्याज दर
गौरतलब है कि हाल ही में खबर आई थी कि केंद्र सरकार की नजर अब छोटी बचतों पर ब्याज दर घटाने की है. सरकार का इरादा आने वाले समय में नेशनल सेविंग्‍स सर्टिफिकेट (एनएससी) पर दी जा रही मौजूदा ब्याज दरों में कटौती करने का है. हालांकि यह कटौती कितने फीसदी की होगी इस बारे में अभी को भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक , आरबीआई 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है . इतना ही नहीं ऐसा अनुमान है कि फिक्स डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दर में भी कमी की जा सकती है.

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इस वजह से हो सकती है कटौती
आपको बता दें कि बचत की इन योजनाओं में सबसे ज्यादा निवेश मध्यम वर्ग के लोग ही करते हैं, ऐसे में जब कुछ दिनों बाद इस पर मुहर लग जाएगी तो सबसे ज्यादा नुकसान भी इसी वर्ग को होगा. इस फैसले के पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि फिक्स डिपॉजिट की तुलना में इस तरह की स्कीमों में ज्यादा रिटर्न मिलने के चलते लोग इनमें निवेश करने को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं.

इन योजनाओं पर कोई असर नहीं
हालांकि कि इस नए फैसले की अच्छी बात ये है कि इसमें महिलाओं और वरिष्‍ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाएं शामिल नहीं की जाएगी. साथ ही इसका असर बेटियों के लिए शुरू की गई सुकन्‍या समृद्धि योजना पर भी नहीं पड़ेगा.

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