बहुपक्षीय वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिये भारत के अभियान को एक बड़ी कामयाबी मिली और उभरती विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के सशक्त समूह ब्रिक्स ने नये विकास बैंक की स्थापना करने का फैसला किया. ब्रिक्स देशों ने आपातकालीन ऋण संकट के समय आपस में मदद के लिये 100 अरब डालर के आर्थिक कोष की व्यवस्था किये जाने पर भी सहमति जताई.
ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) देशों के शीर्ष नेताओं के सम्मेलन में ब्रिक्स व्यावसायिक परिषद शुरु करने का भी फैसला किया गया ताकि सदस्य देशों की कंपनियों के बीच व्यापार, निवेश तथा सहयोग को और प्रोत्साहित किया जा सके.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित अलग अलग महाद्वीपों के इन देशों के समूह के शीर्ष नेताओं की आज सुबह हुई बैठक में सहमति बनी. यह बैठक निर्धारित समय से थोड़ा लंबी खिंची. बैठक में ब्रिक्स बैंक बनाने के बारे में सदस्यों देशों के वित्त मंत्रियों के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया.
बैठक के बाद जारी बयान में इन नेताओं ने कहा ‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि एक नये विकास बैंक की स्थापना का प्रस्ताव व्यावहारिक है और उसे चलाया जा सकता है.’ उन्होंने कहा ‘हम मानते हैं कि विकासशील देशों को ढांचागत सुविधाओं के विकास में मुश्किलें आतीं हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त दीर्घावधि रिण और खासकर पूंजीगत क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के अभाव का सामना करना पड़ता है.’ ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि ब्रिक्स देशों को पूंजीगत संसाधनों की कमी के कारण वैश्विक मांग प्रभावित होती है. उन्होंने कहा ‘वैश्विक वित्तीय संसाधनों के अधिक उत्पादक प्रयोग की दिशा में ब्रिक्स देशों के सहयोग से वैश्विक मांग में कमजोरी की समस्या के समाधान में सकारात्मक योगदान हो सकता है.’
सुबह दो घंटी चली शिखर बैठक के बाद जारी बयान में नये विकास बैंक के गठन के फैसले की घोषणा तो की गई है लेकिन बैठक में प्रस्तावित बैंक की पूंजी के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया. ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्री बैंक की पूंजी और अन्य मुद्दों पर सितंबर तक विचार विमर्श कर प्रस्ताव तैयार करेंगे.
पिछले साल दिल्ली में हुये ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत ने ब्रिक्स विकास बैंक का विचार रखा था. उस समय विकास बैंक को 50 अरब डालर की पूंजी के साथ शुरु किये जाने का प्रस्ताव किया गया था. प्रत्येक सदस्य देश से इसमें 10 अरब डालर की राशि देने को कहा गया था.
हालांकि, इस योगदान को लेकर दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील द्वारा उठाई गई आपत्तियों का कोई समाधान फिलहाल नहीं हो सका.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्य नेताओं के साथ ब्रिक्स विकास बैंक के गठन के प्रस्ताव का स्वागत करते हुये कहा कि उन्हें इस बात को लेकर बहुत संतुष्टि हो रही है. उन्होंने कहा कि इस बैंक का विचार पहली बार दिल्ली शिखर सम्मेलन में सामने आया था. यह विचार विकासशील देशों में बचत को ढांचागत विकास में लगाने की एक व्यवस्था का विचार है और इसे डरबन बैठक में मूर्तरुप दिया गया है.
सिंह ने बाद में अन्य नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘हमारे वित्त मंत्री अब इस परियोजना का ब्यौरा तय करेंगे.’
शिखर बैठक में सिंह के अलावा मेजबान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा, चीन के नये राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और ब्राजील की राष्ट्रपति दिला रोजैफ ने भाग लिया.
जुमा ने अपने संबोधन में कहा कि शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों की अगुवाई में एक नया विकास बैंक स्थापित करने के बारे में औपचारिक बातचीत शुरु करने पर फैसला किया गया है. यह ब्रिक्स देशों की अपनी ढांचागत जरुरतों के आधार पर होगा जिसके लिये अगले पांच साल के दौरान 4,500 अरब डालर की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश भविष्य में अन्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों के साथ भी सहयोग कर सकते हैं.
शिखर बैठक के बाद वित्त मंत्री चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा कि ब्रिक्स विकास बैंक और आपात कोष व्यवस्था :सीआरए: ये दोनों महत्वपूर्ण प्रस्ताव भारत ने पिछले साल दिल्ली शिखर सम्मेलन में रखे थे और आज ये ‘हकीकत’ बन गये हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि नेताओं ने इन दोनों विचारों को सहमति प्रदान कर दी है. वित्त मंत्रियों की व्यक्तिगत राय जो भी रही हो पर शिखर नेताओं ने बैंक और सीआरए की स्थापना के विचार का तहेदिल से स्वागत किया है.
ब्राजील की राष्ट्रपति की टिप्पणी का उल्लेख करते हुये चिदंबरम ने कहा कि प्रस्तावित ब्रिक्स बैंक की पूंजी चुनौतियों और बैंक के लक्ष्यों के अनुरुप ही होनी चाहिये.
चिदंबरम ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने भी बैंक की स्थापना के विचार का समर्थन किया जबकि चीन इस प्रस्ताव पर पहले से ही उत्साहजनक राय रखता आ रहा है.
चिदंबरम ने कहा कि भारत चाहता है कि अगली शिखर बैठक से पहले बैंक के बारे में पूरे प्रस्ताव करीब करीब तैयार कर लिये जायें. अगली बैठक अगले साल मार्च में ब्राजील में होगी.
उन्होंने कहा कि शुरु में बैंक की अधिकृत पूंजी 50 अरब डालर रखने का विचार था पर शुरु में ही इस पर फैसला नहीं करने पर सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि यह तय हुआ है कि इस पर देश बाद में फैसला करेंगे. यह सदस्य देशों की अंशदान की क्षमता पर निर्भर करेगा.
चिदंबरम ने कहा कि भारत बैंक की पूंजी 50 अरब डालर रखने को लेकर संतुष्ट है. उन्होंने कहा कि इस बैंक की पूंजी, सदस्यता, संचालन और इसके मुख्यालय के मुद्दे पर सालभर के अंदर बहुत कुछ तय किया जाना बाकी है. उन्होंने कहा कि यह काम मिल बांटकर करने का विचार हुआ है. उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि अधिकारी काम समय से पूरा कर लेंगे.
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि बैंक के लिये शुरुआती अंशदान इतना रहेगा कि वह ढांचागत विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये पर्याप्त होगा. आपात कोष के बारे में उन्होंने कहा कि भारत को इसे 50 से 100 अरब डालर के बीच रखे जाने को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी.
इस बात पर सहमति बनी थी कि भारी विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले चीन का इसमें 41 अरब डालर का योगदान करेगा. दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर बाकी सदस्य देश 18-18 प्रतिशत (18-18 अरब डालर) योगदान करेंगे जबकि दक्षिण अफ्रीका का इसमें 5 अरब डालर का योगदान करेगा.
चिदंबरम ने कहा कि भारत ब्रिक्स व्यावसायिक परिषद और ब्रिक्स विशेषज्ञ समूह की स्थापना को लेकर प्रसन्न है. उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन की इस टिप्पणी पर भी गौर किया कि ब्रिक्स समूह के पांच देश विश्व जीडीपी में 27 प्रतिशत योगदान रखते हैं और यह एक महत्वपूर्ण समूह है जो जी-20, मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों की चर्चाओं को प्रभावित करने की स्थिति में है. ‘यदि ये पांचों देश आने वाले समय में और मिलजुल कर काम करें तो वे अंतरराष्ट्रीय मामलों में बड़ी ताकत होंगे.’