आम्रपाली ग्रुप और फ्लैट खरीदारों के बीच चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने कड़े लहजे में पैसों के लेन देन को लेकर ग्रुप से जवाब मांगा है. कोर्ट ने ग्रुप से कहा है कि वह अपनी तरफ से और अपने साथी डेवलपर्स की तरफ से ट्रांसफर की गई रकम का पूरा ब्यौरा सौंपे. इसके साथ ही कोर्ट ने प्रोजेक्ट्स में लिफ्ट लगाने समेत अन्य जरूरी सुविधाएं देने के लिए अभी से तैयारी करने की हिदायत दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली और इसके को-डेवलपर्स को करोड़ों रुपये ट्रांसफर करने के मामले में ब्यौरा देने को कहा है. दरअसल घर खरीददारों ने दलील दी कि सहारा, यूनिटेक और जेपी की तरह ही आम्रपाली और इसके निदेशकों की निजी संपत्ति भी अटैच कर दी जाए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि इन लोगों से कम से कम 500 करोड़ रुपये जमा कराए जाएं. उसके बाद ही ये लोग हीलाहवाली छोड़कर प्रोजेक्ट पूरा करेंगे.
होम बायर्स की दलीलों के बाद कोर्ट ने ग्रुप से सख्त लहजे में पूछा कि आखिर उसके पास जो पैसा आया, वह कहां से आया और किन कंपनियों को दिया गया. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जो पैसा आया, वह किस रूप में मिला. यह पैसा उधार दिया गया, एडवांस के तौर पर दिया गया या फिर किसी अन्य बहाने से ट्रांसफर किया गया? इसकी पूरी जानकारी ग्रुप को देनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि किस नियम व प्रावधान के तहत रकम ट्रांसफर की गई. कोर्ट ने ग्रुप को यह भी बताने के लिए कहा है कि यह रकम RERA कानून लागू होने से पहले भेजी गई थी या बाद में? कोर्ट ने तारीख के साथ ट्रांसफर की गई रकम का ब्यौरा सौंपने को कहा है. इसके अलावा फॉरेंसिक रिपोर्ट का ब्यौरा भी मांगा है.
इस मौखिक निर्देश के अलावा कोर्ट ने आदेश में कहा कि आम्रपाली के अलग-अलग प्रोजेक्ट में जो लिफ्ट लगी हैं, लेकिन चल नहीं रही हैं, उन्हें दो महीनों के भीतर ठीक किया जाए. जिन प्रोजेक्ट्स में लिफ्ट नहीं लगी है, तो अगले 12 महीनों में लग जानी चाहिए.
कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा कि प्रोजेक्ट में कितने लोग रहेंगे, इसका हिसाब लगाए बगैर आम्रपाली और इससे जुड़े डेवलपर्स बिजली और सीवरेज के कनेक्शन के लिए अप्लाई कर लें. ताकि समय रहते सुविधा दी जा सके. कोर्ट ने कहा कि नोएडा-ग्रेटर नॉएडा अथॉरिटी की निरीक्षण टीम इन प्रोजेक्ट्स में लिफ्ट, अग्निशमन, पानी, बिजली और सीवर की स्थिति पर मंगलवार तक रिपोर्ट देगी.