पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच सब्सिडी पर दिये जाने वाले सस्ते गैस सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने पर बात चल रही है. पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि यदि वित्त मंत्रालय तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 3,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराता है तो सस्ते सिलेंडर की संख्या छह से बढ़ाकर नौ की जा सकती है.
पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने गुरुवार को इस मुद्दे पर पहले वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात की और फिर तीनों तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ दो घंटे तक बातचीत की.
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि तेल कंपनियों को पहले ही डीजल और खाना पकाने के ईंधन की उनकी वास्तविक लागत से कम दाम पर बिक्री से रोजाना 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. ऐसे में सिलेंडर पर अतिरिक्त सब्सिडी वहन करना उनके लिये संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि यदि वित्त मंत्रालय अतिरिक्त सब्सिडी देने पर सहमत हो जाता है तो हम सब्सिडी वाले सिलेंडर की संख्या बढ़ाकर नौ कर सकते हैं. चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में इसके लिये 3,000 करोड़ रुपये और सालाना आधार पर 9,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि उपलब्ध करानी होगी.
केन्द्र सरकार ने 13 सितंबर को एक फैसले के तहत उपभोक्ताओं को घरेलू रसोई में उपयोग होने वाले 14.2 किलो के सब्सिडीयुक्त एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति एक साल में छह सिलेंडर पर सीमित कर दी थी. इससे अधिक सिलेंडर बाजार मूल्य पर खरीदने होंगे. बाजार मूल्य के सिलेंडर का दाम दिल्ली में सब्सिडी पर मिलने वाले सिलेंडर की तुलना में दोगुना तक है. सब्सिडीयुक्त सिलेंडर दिल्ली में 410.50 रुपये पर उपलब्ध है.
दिल्ली में 44 प्रतिशत उपभोक्ता ही साल में छह सिलेंडर का उपयोग करते हैं. बाकी उपभोक्ताओं को तीन से लेकर छह सिलेंडर बाजार मूल्य पर 895.50 रुपये प्रति सिलेंडर के दाम पर खरीदने होंगे. इस वजह से विभिन्न वर्गों से सब्सिडी वाले सिलेंडर की संख्या बढ़ाने की मांग उठ रही है.
पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने पिछले सप्ताह ही संसद में कहा था कि सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने की मांग पर गौर किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा फिलहाल अब तक वित्त मंत्रालय ने अतिरिक्त सब्सिडी देने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि छह सस्ते सिलेंडर प्रति परिवार दिये जाने के बावजूद तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,63,000 करोड़ रुपये की कमाई का नुकसान होने का अनुमान है. इसकी भरपाई के लिये वित्त मंत्रालय को 1,05,525 करोड़ रुपये की नकद सहायता देनी होगी. सरकार की राजकोषीय स्थिति को देखते हुये मंत्रालय के लिये इस राशि को पूरा करना भी मुश्किल दिख रहा है.
सस्ते सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने पर इसमें 3,000 करोड़ रुपये की राशि और बढ़ जायेगी. बाकी जो भी नुकसान होगा उसकी भरपाई तेल कंपनियां करेंगी. तेल कंपनियों को इस समय एक लीटर डीजल की बिक्री पर 10.19 रुपये, राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल पर 32.87 रुपये और घरेलू गैस सिलेंडर पर 478.50 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है.
पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने कंपनियों को 83,500 करोड़ रुपये की नकद सब्सिडी उपलब्ध कराई थी. वित्त मंत्रालय को कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में हुये 55,000 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिये 30,000 करोड़ रुपये की नकद सब्सिडी देने की मांग भी वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाई गई.