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आपदा से लड़ रहे हैं हिमाचल और पंजाब, मंत्रियों का आरोप- केंद्र से नहीं मिली मदद

पिछले दिनों आई आबदा से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश और पंजाब सरकार के मंत्रियों का कहना है कि केंद्र सरकार से उनको मदद नहीं मिल रही है, जिस वजह से राज्य के लोगों की मदद करना मुश्किल हो रहा है.

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पहाड़ से लेकर मैदान तक क्यों आई आपदा? (Photo-ITG)
पहाड़ से लेकर मैदान तक क्यों आई आपदा? (Photo-ITG)

आजतक के 'निर्माण भारत समिट' में हिमाचल प्रदेश और पंजाब के मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में आई प्राकृतिक आपदा पर बात की. दोनों ने बताया कि कैसे इस आपदा ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया, और केंद्र से अपेक्षित मदद न मिलने पर भी अपनी चिंता जताई. 

पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने कहा कि हाल की बारिश और बाढ़ ने राज्य में भारी तबाही मचाई है, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं. राज्य सरकार लोगों की पूरी मदद करने की कोशिश कर रही है, लेकिन नुकसान बहुत बड़ा है. केंद्र सरकार से मदद मांगी थी, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1600 करोड़ रुपये का रिलीफ फंड देने की बात कही थी. हालांकि, मुंडियन ने कहा कि यह राशि हुए नुकसान की भरपाई के लिए काफी कम है और अभी तक यह पैसा भी पूरी तरह से नहीं मिला है.

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पंजाब पर पहले से है कर्ज

पंजाब पर पहले से ही कर्ज का बोझ है और उसपर इस आफत से कैसे निपटेंगे? इस सवाल पर हरदीप सिंह ने कहा कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और उनकी मदद करना है. उन्होंने बताया कि करीब 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. सरकार सबसे पहले बेघर हुए लोगों के लिए घर बनाने और बाढ़ में डूबी फसलों के लिए किसानों को मुआवजा देने पर ध्यान दे रही है.

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हिमाचल प्रदेश में बार-बार आपदा का सामना

हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि यह समस्या जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर होती जा रही है. 2023 की आपदा से हिमाचल अभी उबर भी नहीं पाया था कि एक बार फिर से उन पर आपदा आ गई. उन्होंने बताया कि 2023 के नुकसान के लिए उन्होंने केंद्र से 9,200 करोड़ रुपये का क्लेम भेजा था, जिसका दो साल तक इंतजार किया गया, पिछले महीने केवल 2,000 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली, जिसमें से भी अभी तक उन्हें सिर्फ 400 करोड़ रुपये ही मिले हैं. जिस वजह से कई मरम्मत का काम भी पूरा नहीं पाया था. 

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धर्माणी ने बताया कि इस बार हिमाचल में 50 से ज़्यादा बादल फटने की घटनाएं हुई हैं. उनकी सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए योजना बना रही है, जिसमें छोटी नदियों के किनारे हो रहे निर्माण पर रोक लगाना भी शामिल है, इसके अलावा, वे आपदा प्रबंधन के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने पर भी काम कर रहे हैं.

 

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