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2025 में 50 लाख से कम वाले घरों की सेल हुई कम, खूब बिके करोड़ों के लग्जरी फ्लैट

2025 का रियल एस्टेट बाजार यह साफ संकेत दे रहा है कि भारतीय खरीदार अब बेहतर अनुभव को चुन रहा है. यह भारतीय मध्यवर्ग के उच्च-मध्यवर्ग में तब्दील होने की कहानी है, जो देश के आर्थिक ढांचे में आ रहे बदलाव को भी दर्शाती है.

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2025 में लग्जरी घरों की खूब रही डिमांड (Photo-ITG)
2025 में लग्जरी घरों की खूब रही डिमांड (Photo-ITG)

एक दौर था जब भारत में लोगों का सपना एक ऐसा घर लेने का होता था, जो उनकी जरूरत के हिसाब से हो और जेब पर भी भारी न पड़े. लेकिन पिछले कुछ वक्त में ट्रेंड बदल गया है लोगों की पसंद अब लग्जरी घर हैं चाहें उसके लिए उन्हें बड़ी कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े. 2025 में लोगों देश के टॉप शहरों में किफायती घरों से ज्यादा लग्जरी घरों की सेल देखने को मिली, जो ये दर्शाता है कि कैसे देश के होमबायर्स की पसंद बदली है.     

2025 में रियल एस्टेट मार्केट एक ऐतिहासिक बदलाव का गवाह बना. एक ओर जहां मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए बने किफायती घरों (₹50 लाख से कम) की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई, वहीं दूसरी ओर ₹1 करोड़ से अधिक कीमत वाले लग्जरी और प्रीमियम घरों की मांग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. नाइट फ्रैंक (Knight Frank) और एनरॉक (Anarock) जैसे प्रमुख रियल एस्टेट कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के टॉप 8 शहरों में कुल बिक्री में प्रीमियम सेगमेंट की हिस्सेदारी अब 60% से अधिक हो गई है. आखिर खरीदार का मन और बाजार का मिजाज पूरी तरह क्यों बदल गया है?

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किन शहरों में लग्जरी घर बिके?

मुंबई, दिल्ली- एनसीआर और बेंगलुरु जैसे शहरों में लग्जरी घरों की डिमांड में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई है. कुछ महीने पहले ही आई Crisil की रेटिंग के मुताबिक प्रीमियम और लग्जरी घरों की डिमांड 2020 में 9 फीसदी से बढ़कर 2024 में 37 फीसदी हो गया, जो लोगों की आलीशान घरों की प्रति चाहत को दिखाता है, 2026 तक इस सेगमेंट में और तेजी आने की उम्मीद है, वहीं लग्जरी प्रोजेक्ट के लॉन्च में 40 फीसदी तक हिस्सेदारी की उम्मीद जताई गई है. 

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क्यों बदल रही है होमबायर्स की पसंद?

कोविड के बाद उच्च आय वर्ग की आय और बचत में तेजी से वृद्धि हुई है, वहीं मध्यम और निम्न आय वर्ग महंगाई और नौकरी की अनिश्चितता से जूझ रहा है, उच्च आय वर्ग के पास निवेश के लिए अतिरिक्त पूंजी है, जो वे लग्जरी घरों में लगा रहे हैं. अब घर सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि एक 'स्टेटस सिंबल' और 'वेलनेस हब' बन गया है.

2025 के खरीदार को सिर्फ 2BHK नहीं चाहिए, उन्हें जिम, क्लब हाउस, ग्रीन स्पेस, वर्क-फ्रॉम-होम के लिए अलग केबिन और स्मार्ट होम ऑटोमेशन जैसी सुविधाएं चाहिए. ₹50 लाख से कम के घरों में ये आधुनिक सुविधाएं देना डेवलपर्स के लिए बढ़ती निर्माण लागत के कारण मुश्किल हो रहा है.

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वहीं NRI और निवेशकों का बढ़ता भरोसा भारतीय शेयर बाजार और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, अनिवासी भारतीयों  ने भारतीय रियल एस्टेट को सबसे सुरक्षित निवेश माना है. डॉलर और पाउंड के मुकाबले रुपये की स्थिति ने लग्जरी संपत्तियों को उनके लिए और अधिक आकर्षक बना दिया है. इसके अलावा, शेयर बाजार में मुनाफा कमाने वाले रिटेल निवेशक भी अब अपना पैसा 'टैंजिबल एसेट्स' यानी रियल एस्टेट में शिफ्ट कर रहे हैं.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

हीरो रियल्टी के सीईओ रोहित किशोर का कहना है- 'कोरोना महामारी के बाद देश में लोगों के रियल एस्टेट में निवेश के तरीके में बदलाव आया है. लग्जरी सोसायटीज में लोगों के लिए सिर्फ घर नहीं बल्कि पूरा लाइफस्टाइल मिलता है. इन सोसायटीज में लोगों को क्लब हाउस, स्वीमिंग पूल से लेकर सुपरमार्केट तक सबकुछ एक कैंपस में मिल रहा है, इसलिए लोग रहने के लिए और निवेश के लग्जरी घरों को प्राथमिकता दे रहे हैं.' 

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डेवलपर्स ने बदली अपनी रणनीति

बाजार की इस नई दिशा को देखते हुए बिल्डर्स ने भी अपनी रणनीति बदल दी है. ₹50 लाख से कम के प्रोजेक्ट्स में मुनाफा बहुत कम होता है, इसके विपरीत, ₹1 करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट्स में बिल्डर्स को बेहतर मार्जिन मिलता है, जिससे वे अधिक सुविधाएं दे पाते हैं. एनरॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्स में से 40% से ज्यादा अब लग्जरी और अल्ट्रा-लग्जरी सेगमेंट में हैं. शहर के प्रीमियम इलाकों (जैसे नोएडा एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स रोड, और मुंबई के वर्ली) में जमीन की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि वहां किफायती घर बनाना आर्थिक रूप से संभव ही नहीं रहा.

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किफायती आवास के सामने चुनौतियां

वैसे किफायती घरों के सामने कई चुनौतियां भी हैं. नाइट फ्रैंक इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में किफायती घरों की कमी तो है ही साथ ही खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं. इसके पीछे कई बड़े कारण हैं. जैसे होम लोन की ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी भी ₹50 लाख के खरीदार के बजट को बिगाड़ देती है. स्टील, सीमेंट और श्रम की बढ़ती कीमतों ने ₹50 लाख के अंदर अच्छी गुणवत्ता वाले घर बनाना चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
 
आज का मिडिल क्लास भी अब छोटे और भीड़भाड़ वाले इलाकों के बजाय थोड़ा कर्ज लेकर बेहतर सुविधाओं वाले 'मिड-प्रीमियम' सेगमेंट (₹80 लाख से ₹1.2 करोड़) की ओर बढ़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि लग्जरी सेगमेंट का यह उछाल अभी अगले 2-3 वर्षों तक जारी रह सकता है.

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