देश के चर्चित प्राइवेट बैंकों में से एक YES बैंक की हालत किसी से छुपी नहीं है. कर्ज में डूबा ये बैंक अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की पाबंदी झेल रहा है.
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वहीं येस बैंक के लिए सरकार पुनर्गठन योजना की भी तैयारी कर रही है. इस योजना के तहत येस बैंक में एसबीआई 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगा तो वहीं अन्य नए निवेशकों को भी आमंत्रित किया गया है.
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येस बैंक जैसी ही हालत देश के एक और बड़े बैंक की हो रही है. ये बैंक 90
साल से भी ज्यादा साल से काम कर रहा है. आइए जानते हैं इस बैंक के बारे
में..
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दरअसल, प्राइवेट सेक्टर के लक्ष्मी विलास बैंक की हालत ठीक नहीं है. इस बैंक का कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो (CAR) मिनिमम रिक्वायरमेंट से काफी नीचे आ गया है. लक्ष्मी विलास बैंक का कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो सिर्फ 3.46 फीसदी है जबकि कम से कम 9 फीसदी रहना अनिवार्य होता है.
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यहां बता दें कि CAR बैंक की पूंजी को मापने का एक तरीका होता है. यह वास्तव में बैंक की जोखिम वाली पूंजी का फीसदी बताता है. यही नहीं, लक्ष्मी विलास बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई निवेशक भी रेस में हैं. इन निवेशकों में कोटक बैंक भी शामिल है.
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बीते साल लक्ष्मी विलास बैंक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में डाल दिया था. इसका मतलब यह हुआ कि लक्ष्मी विलास बैंक न तो नए कर्ज दे सकता है और न ही नई ब्रांच खोल सकता है.
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आरबीआई किसी बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क में तब डालता है जब लगता है कि बैंक
की आय नहीं हो रही है या फिर नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए बढ़ रहा है.
इसके साथ ही आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस
के बीच मर्जर के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था.
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वर्तमान में लक्ष्मी विलास बैंक की देशभर में 569 शाखाएं, 1046 एटीएम हैं. वहीं अगर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की बात करें तो देशभर में 220 से अधिक शाखाएं हैं. अगर इतिहास की बात करें तो साल 1926 में लक्ष्मी विलास बैंक वजूद में आया.
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इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 1958 में लाइसेंस मिला. वहीं साल 1974
से बैंक के ब्रांच का विस्तार शुरू हुआ. लक्ष्मी विलास बैंक के ब्रांच और
फाइनेंशियल सेंटर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल के अलावा दिल्ली, मुंबई और
कोलकाता में भी मौजूद हैं.